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Ather Energy IPO: इस कारण एथर की बाइक्स पर डिस्काउंट नहीं, आईपीओ में निवेश से पहले चेक करें कंपनी की स्ट्रैटेजी

Ather Energy IPO: एथर एनर्जी के सीईओ का कहना है कि वह सेल्स वॉल्यूम को बढ़ाने के लिए डिस्काउंट का सहारा नहीं लेंगे।

Ather Energy IPO: एथर एनर्जी के सीईओ का कहना है कि वह सेल्स वॉल्यूम को बढ़ाने के लिए डिस्काउंट का सहारा नहीं लेंगे। इसके अलावा कंपनी की योजना सप्लाई चेन को सुरक्षित करने के लिए भारत में लीथियम-आयन सेल का प्रोडक्शन बढ़ाने की है। ये बातें कंपनी के सीईओ और फाउंडर तरुण मेहता ने आज 29 अप्रैल को मनीकंट्रोल से बातचीत में कही। उन्होंने बताया कि कंपनी के प्रस्तावित विस्तार से सालाना उत्पादन बढ़कर 5 लाख यूनिट्स तक पहुंच सकती है। मार्च 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी की सालाना ईवी उत्पादन क्षमता 4.2 लाख यूनिट की है। महाराष्ट्र में नई मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को उन्होंने कंपनी के लिए अहम बताया क्योंकि इसका लक्ष्य इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बढ़ती मांग के बीच गैर-दक्षिण मार्केट्स हैं।

Tariff War से मिलेगा भारत को फायदा!

इस समय दुनिया भर में अमेरिकी टैरिफ के चलते हड़कंप मचा हुआ है। हालांकि एथर के सीईओ का कहना है कि टैरिफ की यह लड़ाई मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के बीच हो रहा है, और भारत जो सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं है, इससे लाभ उठा सकता है। उन्होंने कहा कि ईवी बनाने वाली भारतीय कंपनियों को लिथियम-आयन सेल की वैश्विक सप्लाई से फायदा मिलेगा। लॉन्ग टर्म में एथर एनर्जी का लक्ष्य मोटर्स और सेल्स समेत भारत में ही उत्पादन बढ़ाने का है। एथर का मोटर प्रोडक्शन पहले से ही भारत में है और अब कंपनी रेयर अर्थ मैग्नेट-फ्री मोटर्स की तरफ बढ़ रही है। सप्लाई चेन को सुरक्षित करने के लिए कंपनी अमाराराजा जैसी कंपनियों के साथ साझेदारी के जरिए भारत में लीथियम-आयन सेल प्रोडक्शन बढ़ेगा।

डिस्काउंट क्यों नहीं है बेहतर?

कीमतों पर डिस्काउंट नहीं देना एथर एनर्जी की रणनीति का हिस्सा है। ऐसा इसलिए क्योंकि एथर एनर्जी के सीईओ का मानना है कि डिस्काउंट के चलते वॉल्यूम में थोड़े समय के लिए बढ़ोतरी हो सकती है लेकिन यह ब्रांड इक्विटी को कमजोर करने और समय के साथ ग्राहकों के भरोसे को खत्म कर सकती है। कंपनी का कहना है कि डिस्काउंट देने की बजाय कंपनी ने सॉफ्टवेयर कैपिबिलिटीज, सेफ्टी के खास फीचर्स और ग्राहकों के ओवरऑल अनुभव के जरिए प्राइसिंग को लेकर अनुशासित रहती है।

मुनाफे को लेकर क्या है कंपनी का प्लान?

प्रॉफिटेबिलिटी को लेकर एथर के सीईओ ने कहा कि दो अहम फैक्टर्स- यूनिट इकनॉमिक्स और वॉल्यूम ग्रोथ पर जोर है। एथर की इंजीनियरिंग पर फोकस के चलते तीन साल में कीमतों में 31 फीसदी की गिरावट आई जिससे ग्रास मार्जिन 9 फीसदी से उछलकर 19 फीसदी पर पहुंच गया। सरकारी सब्सिडी पर कंपनी की निर्भरता प्रति यूनिट ₹55000 से गिरकर ₹5000 पर आ गई है। इसके अलावा कंपनी की योजना एलईपी बैटरियों, सस्ते स्कूटर प्लेटफॉर्म और महाराष्ट्र में एक बड़े इंटीग्रेटेड फैसिलिटी के जरिए लागत को और घटाने की है। दक्षिण भारत के बाहर विस्तार से मार्जिन में बढ़ोतरी टिकाऊ होगी और सेल्स वॉल्यूम भी मजबूत होगा। इन सबके साथ कंपनी के सीईओ मुनाफे को लेकर काफी आश्वस्त दिख रहे हैं।

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