हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाChina Surveillance: ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने स्पेस में की सैटेलाइट डॉग फाइट ड्रिल, भारत की बढ़ी चिंता, जानें क्यों
ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य सफलता के बाद भी चीन की अंतरिक्ष और सर्विलांस क्षमताएं भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं.
By : नीरज राजपूत | Edited By: सौरभ कुमार | Updated at : 11 Jun 2025 11:33 PM (IST)
CIDS एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने चीन को लेकर जताई चिंता
Source : ABP
India Over China Space Power: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भले ही भारत ने पाकिस्तान पर निर्णायक विजय हासिल की है लेकिन भारतीय वायुसेना के सामने चीन की सर्विलांस और स्पेस क्षमताओं को लेकर चिंता बढ़ती जा रही हैं. क्योंकि चीन ने हाल ही में अंतरिक्ष में सैटेलाइट की 'डॉग फाइट' की ड्रिल को अंजाम देकर पूरी दुनिया को सकते में ला दिया है. इस बात का खुलासा खुद चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CIDS) एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित ने किया है.
बुधवार (11 जून) को एयर मार्शल दीक्षित राजधानी दिल्ली में सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज (CPS) की ओर से आयोजित एक सेमिनार को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान CIDS ने साफ तौर से कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पूरी दुनिया ने देख लिया है कि स्वदेशी सैन्य उपकरणों ने अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क से भी ऊंचा प्रदर्शन किया है. एयर मार्शल ने खास तौर से वायुसेना के इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (ISCS) और थलसेना की आकाशतीर प्रणाली का जिक्र किया.
डीप-सर्विलांस की जरूरत- एयर मार्शल दीक्षित
युद्ध के दौरान सर्विलांस और इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर की उपयोगिता पर बोलते हुए एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर से साफ हो चुका है कि जो वॉर-जोन में पहले देखेगा, दूर तक देखेगा और सटीक देखेगा, वही दुश्मन पर भारी पड़ेगा. सीआईडीएस ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने मिलिट्री स्ट्रेटेजिस्ट को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि स्कैल्प, हैमर और ब्रह्मोस मिसाइलों जैसे प्रेशसियन गाईडेड म्यूनिशन सहित बियोंड विज्युल रेंज मिसाइलों और स्वार्म ड्रोन अटैक से भौगोलिक-बैरियर कोई मायने नहीं रखते हैं. ऐसे में डीप-सर्विलांस की जरूरत है.
चीन की बढ़ती सर्विलांस क्षमताओं पर चिंता
थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच समन्वय और सहयोग की कड़ी के तौर पर काम करने वाले चीफ ऑफ इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (CIDS) ने हालांकि, चीन की बढ़ती सर्विलांस क्षमताओं पर चिंता जताई. एयर मार्शल दीक्षित ने कहा कि वर्ष 2010 में चीन की 36 सैटेलाइट थी. लेकिन अब (2024 में) चीन के पास करीब 1000 सैटेलाइट हैं. इनमें से 360 तो आईएसआर यानी इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनिसेंस के लिए तैनात की गई हैं. पिछले साल चीन ने अलग एयरोस्पेस फोर्स (कमांड) खड़ी की है.
सैटेलाइट की डॉग-फाइट मैन्युवर
एयर मार्शल दीक्षित के मुताबिक, हाल ही में चीन ने लो अर्थ ऑरबिट (LEO) में सैटेलाइट की डॉग-फाइट मैन्युवर को अंजाम दिया. इस ड्रिल में चीन ने दुश्मन की सैटेलाइट को ट्रैक कर जाम करने का अभ्यास किया. चीन ने अपनी ISR सैटेलाइट्स को वेपन सिस्टम से जोड़ दिया है. CIDS ने चीन की अंतरिक्ष में बढ़ती ताकत को देखते हुए भारत में भी एआई के जरिए जल, थल, आकाश, स्पेस और साइबर डोमेन से इकठ्ठा होने वाले सर्विलांस डाटा को नेटवर्क सेंटरिक करने पर जोर दिया.
Published at : 11 Jun 2025 11:33 PM (IST)
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