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Daily Voice: इक्विट्री कैपिटल के पवन भराडिया की राय, तेज करेक्शन के बाद अच्छी क्वालिटी के शेयर अच्छे भाव में उपलब्ध

पवन भराडिया ने कहा कि उनका फोकस 20-25 फीसदी आय संभावना, स्थिर या सुधरते मार्जिन और विवेकपूर्ण पूंजी आवंटन वाली कंपनियों पर रहता है। यह करेक्शन बाजार का एक स्वाभाविक रीसेट है। इससे घबराने की जरूर नहीं है

इक्विट्री कैपिटल (Equitree capital) के को-फाउंडर और सीआईओ पवन पवन भराडिया ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा,"हाल ही में पूंजी बाजार में तीव्र गिरावट के बाद,हम मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग,इंफ्रास्ट्रक्चर एंसिलरी और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड शेयरों पर बुलिश नजरिया रखते हैं।" इक्विट्री में पवन भराडिया और उनकी टीम ने 2024 की दूसरी छमाही से खास तौर पर ऐसे करेक्शनों को ध्यान में रखते हुए नए निवेशकों के लिए कैश रिजर्व बनाया है। उन्होंने कहा,"इससे हमें मोमेंटम का पीछा करने के बजाय विवेकपूर्ण तरीके से पूंजी लगाने में मदद मिलती है।"

प्राइवेट और पब्लिक बाजार में निवेश के क्षेत्र में 25 सालों से अधिक का अनुभव रखने वाले पवन का मानना ​​है कि SIPs (systematic investment planning) अब केवल बचत करने का पारंपरिक विकल्प नहीं रह गए हैं। अब ये भारतीय बाजारों में स्थिरता लाने वाले एक अहम फैक्टर बन रहे है। SIPs को जरिए होने वाले निवेश ग्लोबल पूंजी के प्रवाह की परवाह किए बिना मजबूत घरेलू भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं।

बाजार पर बात करते हुए पवन भराडिया ने आगे कहा कि वे बजार का बॉटम खोजने की कोशिश नहीं करते। अनुभव से पता चलता है कि यह लगभग असंभव भी है। लेकिन बाजार काफी लंबे समय से अपेक्षित सुधार के अंतिंम दौर में नजर आ रहा है। पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो मिड और स्मॉल कैप में अक्सर 8-12 सप्ताह तक करेक्शन का दौर चलता है। अब तक निफ्टी-50 इंडेक्स में 13%, निफ्टी मिडकैप 100 में 18% और निफ्टी स्मॉल कैप 100 में 22% की गिरावट आ चुकी है। ये आमतौर पर दिखने वाले औसत करेक्शन के करीब है।

ग्लोबल चिंताओं (जैसे अमेरिकी टैरिफ) के बावजूद, भारत के घरेलू विकास इंजन जैसे बुनियादी ढांचे पर मजबूत खर्च,मैन्युफैक्चरिंग में तेजी और अर्थव्यवस्था का फॉर्मलाइजेशन, मजबूती दिखा रहे हैं। ये अर्निंग्ल में मजबूती के अनुमान को समर्थन दे रहे हैं।

अगर हम 2018 के स्मॉल-कैप बियर मार्केट से तुलना करें तो पता चलता है कि उस समय छह महीनों में इंडेक्स में ~34 फीसदी की गिरावट आई थी, लेकिन फिर सिर्फ़ 10 महीनों में 135 फीसदी की उछाल आई। हालांकि पिछले प्रदर्शन के दोहराए जाने की कोई गारंटी नहीं है, लेकिन यह दर्शाता है कि मैक्रो स्थितियों के स्थिर होने के बाद भावना कितनी जल्दी बदल सकती है। यह भी ध्यान में रखने की जरूर है कि 2018 की रिकवरी चुनिंदा शेयरों में आई थी। केवल फंडामेंटली मजबूत शेयरों ने ही वापसी की थी। जिससे ऐसे बाजारों में बॉटम-अप स्टॉक सेलेक्शन के महत्व का पता चलता है।

उन्होंने आगे कहा कि कम लिक्विडिटी और सेंटीमेंट में उतार-चढ़ाव के कारण स्मॉल और मिड-कैप में ज़्यादा गिरावट आई है। एनएसई स्मॉल कैप 100 में 22 फीसदी की गिरावट आई है। लेकिन 1,000 करोड़ रुपए से ज्यादा मार्केट कैप वाले 60 फीसदी से ज़्यादा शेयरों में 30 फीसदी से ज़्यादा की गिरावट आई है। जिन शेयरों में सट्टेबाजी के चलते तेजी आई थी उनमें ज्यादा गिरावट देखने को मिली है। 2025 अच्छे शेयर चुनने वालों का बाजार होगा। 10,000 से 70,000 करोड़ रुपये मार्केट कैप के रेंज वाले शेयरों में लगातार वोलैटिलिटी बनी रहेगी। लिक्विडिटी में बढ़त के कारण इस रेंज के शेयरों का वैल्यूएशन काफी महंगा हो चुका था।

इतने करेक्शन के बावजूद, निफ्टी मिडकैप 100 (28.6x फॉरवर्ड अर्निंग्स) और निफ्टी स्मॉल कैप 100 (20.9x) अभी भी अपने 10-वर्षीय औसत से 30-35 फीसदी प्रीमियम पर कारोबार कर रहे हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि अगर अर्निंग्स में मजबूती नहीं आती तो ओवरहीटेड शेयरों में 5-15 फीसदी की गिरावट और आ सकती है। हालांकि, 500-5,000 करोड़ रुपये के मार्केट कैप वाले रेंज वैल्यूएशन ज्यादा सही (केवल 18 फीसदी प्रीमियम) है। ऐसे में उच्च गुणवत्ता वाले स्मॉल कैप शेयरों पर ही दांव लगाने की सलाह होगी।

पवन भराडिया ने आगे कहा कि किसी अनुमानित "परफेक्ट बॉटम" पर एकमुश्त राशि लगाने के बजाय, इस समय सही वैल्यूएशन वाले फंडामेंटली मजबूत शेयरों में धीरे-धीरें चरणबद्ध तरीके से निवेश की सलाह होगी। पवन मैन्युफैक्चरिंग और इंजीनियरिंग,इंफ्रास्ट्रक्चर एंसिलरी और एक्सपोर्ट ओरिएंटेड शेयरों पर बुलिश नजरिया रखते हैं। उनका मानना है कि मैन्युफैक्चरिंग शेयरों को चीन+1 पॉलिसी, पीएलआई प्रोत्साहन और बढ़ती वैश्विक मांग से लाभ होगा। इंफ्रास्ट्रक्चर एंसिलरी के घरेलू पूंजीगत व्यय में बढ़त, रेलवे और बिजली सेक्टर के निवेश में तेजी से फायदा होगा। वहीं, एक्सपोर्ट ओरिएंटेड शेयरों को भारतीय इकोनॉमिक साइकिल से ज्यादा जुड़े न होने और डाइवर्सिफिकेशन का फायदा मिलेगा।

पवन भराडिया ने कहा कि उनका फोकस 20-25 फीसदी आय संभावना, स्थिर या सुधरते मार्जिन और विवेकपूर्ण पूंजी आवंटन वाली कंपनियों पर रहता है। यह करेक्शन बाजार का एक स्वाभाविक रीसेट है। इससे घबराने की जरूर नहीं है। इसके बजाय,यह अच्छी क्वालिटी वाले शेयरों को ऐसे वैल्यूएशन पर जमा करने का अवसर है जो लॉन्ग टर्म वेल्थ क्रिएशन कर सकने की संभावना रखते हैं।

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