3 घंटे पहले 1

FIIs की बिकवाली फरवरी में घटने का मतलब यह नहीं कि मार्केट के बुरे दिन खत्म होने जा रहे हैं

फरवरी में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में ज्यादा गिरावट आई। BSE Midcap Index 10.5 फीसदी क्रैश कर गया, जबकि SmallCap Index 14 फीसदी लुढ़का।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफएफआई) की बिकवाली की रफ्तार फरवरी में सुस्त पड़ी है। लेकिन, मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इस बात का संकेत नहीं है कि एफएफआई की बिकवाली का ट्रेंड जल्द बदलने जा रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने फरवरी में करीब 4 अरब डॉलर की बिकवाली इंडियन स्टॉक मार्केट्स में की है। यह जनवरी में उनकी 9 अरब डॉलर की बिकवाली से काफी कम है। फरवरी में बिकवाली का मार्केट पर बड़ा असर देखने को मिला। सेंसेक्स 5.6 फीसदी और निफ्टी 5.9 फीसदी क्रैश कर गए।

फरवरी में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में ज्यादा गिरावट आई। BSE Midcap Index 10.5 फीसदी क्रैश कर गया, जबकि SmallCap Index 14 फीसदी लुढ़का। FIIs ने प्राइमरी मार्केट में 82.49 करोड़ डॉलर का निवेश किया। यह जनवरी में 44.87 करोड़ डॉलर के निवेश से काफी ज्यादा है। निवेशक एफआईआई की खरीदारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, एफआईआई के रुख में जल्द बदलाव आने की उम्मीद नहीं दिखती।

मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि अभी अमेरिकी और चाइनीज मार्केट्स ज्यादा अट्रैक्टिव दिख रहे हैं। इधर, इंडिया में कॉर्पोरेट अर्निंग्स कमजोर बनी हुई है। हालांकि, इंडियन मार्केट्स की वैल्यूएशन घटी है। इसके बावजूद FIIs के जल्द इंडियन मार्केट्स में खरीदारी शुरू करने की उम्मीद नहीं है। 4 मार्च को इंडियन स्टॉक मार्केट बड़ी गिरावट के साथ खुले। अमेरिका के टैरिफ लगाने के ऐलान से 3 मार्च को अमेरिकी बाजारों में बड़ी गिरावट आई थी। इसका असर 4 मार्च को इंडियन मार्केट पर पड़ा।

एक्सिस सिक्योरिटीज के एनालिस्ट राजेश पालवीय ने कहा कि फरवरी में एफआईआई की बिकवाली कम रहने की वजह यह है कि फरवरी में कारोबारी दिनों की संख्या कम रही। उनका कहना है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली का ट्रेंड जारी है। बड़े मार्केट करेक्शन के बावजूद उनकी बिकवाली का ट्रेंड बदलने का संकेत नहीं है। उन्होंने कहा कि सुस्त पड़ती इकोनॉमी की ग्रोथ, कमजोर अर्निंग्स और हाई वैल्यूएशंस इस बिकवाली के बड़े कारण रहे हैं।

DRChoksey FinServ के एमडी देवेन चोकसी ने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशक इंडिया सहित उभरते बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी की वजह से ऐसे फंड इंडियन बाजार से पैसे निकाल रहे हैं, जिन्होंने पैसे उधार लेकर इंडिया में निवेश किए थे। हालांकि, ऐसे फंडों की बिकवाली अब पूरी हो चुकी है।

उन्होंने कहा कि इंडिया का मार्केट अट्रैक्टिव है। इसकी वजह यह है कि एक साल का फॉरवर्ड पीई करीब 18 गुना पर आ गया है। उन्होंने कहा कि एफआईआई की बिकवाली की वजह कुछ हद तक कमजोर लिक्विडिटी भी है। अगर मार्केट में लिक्विडिटी ज्यादा रहती तो इस गिरावट का इतना असर नहीं दिखता।

पूरा लेख पढ़ें

ट्विटर से

टिप्पणियाँ