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HAL, BEL नहीं...डिफेंस सेक्टर की इन 3 कंपनियों पर रखें नजर, यहां बारूद से बनता है पैसा!

हिंदी न्यूज़बिजनेसHAL, BEL नहीं...डिफेंस सेक्टर की इन 3 कंपनियों पर रखें नजर, यहां बारूद से बनता है पैसा!

डिफेंस सेक्टर में मिसाइल, गोला-बारूद और प्रोपेलेंट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. इसी के चलते Solar Industries, Premier Explosives और GOCL Corporation पर बाजार की नजरें टिकी हैं.

By : सुष्मित सिन्हा | Updated at : 07 Jun 2025 05:55 PM (IST)

भारत अब डिफेंस प्रोडक्शन के सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है. जहां पहले यह सेक्टर बड़ी-बड़ी सरकारी कंपनियों के भरोसे था, वहीं अब प्राइवेट कंपनियां भी इसमें बड़ी भूमिका निभा रही हैं. खासकर एक्सप्लोसिव्स यानी विस्फोटक बनाने वाली कंपनियों ने इस सेक्टर में बड़ी बढ़त हासिल की है. ये विस्फोटक गोला-बारूद, प्रोपेलेंट और मिसाइल सिस्टम के लिए बेहद अहम होते हैं. बढ़ते सरकारी ऑर्डर और निर्यात की मांग ने इन कंपनियों को विस्तार के नए मौके दिए हैं.

सोलर इंडस्ट्रीज, तेज रफ्तार ग्रोथ और अंतरराष्ट्रीय विस्तार

सोलर इंडस्ट्रीज़ भारत की सबसे बड़ी एक्सप्लोसिव्स निर्माता कंपनियों में से एक है. यह बल्क और कार्ट्रिज़ एक्सप्लोसिव, डिटोनेटर और उससे जुड़े तमाम उपकरण बनाती है. इसका नागपुर स्थित संयंत्र दुनिया का सबसे बड़ा सिंगल-लोकेशन कार्ट्रिज़ प्लांट है. कंपनी ने नाइजीरिया, तुर्की, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और घाना जैसे देशों में भी अपने मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित किए हैं और अब सऊदी अरब और कज़ाखस्तान में भी प्लांट लगा रही है.

वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी ने 24 फीसदी की राजस्व वृद्धि दर्ज की और 75.4 अरब का कारोबार किया. खास बात यह रही कि  डिफेंस सेक्टर से मिलने वाले ऑर्डर में 162 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी हुई, जिससे डिफेंस से होने वाली आमदनी 13.6 अरब तक पहुंच गई. कंपनी का शुद्ध लाभ 47 फीसदी बढ़कर 12.9 अरब हो गया है. उसका ऑर्डर बुक भी बेहद मजबूत है, जिसमें 170 अरब के ऑर्डर शामिल हैं, जिनमें से 152 अरब सिर्फ  डिफेंस से संबंधित हैं.

भविष्य की योजनाओं के तहत कंपनी ने महाराष्ट्र सरकार के साथ 127 अरब की लागत वाला एक मेगा डिफेंस और एयरोस्पेस प्रोजेक्ट शुरू करने का समझौता किया है, जिसमें ड्रोन, UAV और सैन्य ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट बनाने की योजना है. हालांकि कंपनी का वैल्यूएशन काफी हाई है और इसका P/E रेशियो 128x तक पहुंच गया है, जो इसके पिछले 10 साल के औसत से कहीं अधिक है. इससे निवेशकों को थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है.

प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स, भारत का मिसाइल पार्टनर

प्रीमियर एक्सप्लोसिव्स एक बड़ी कंपनी है जो  डिफेंस और अंतरिक्ष सेक्टरों के लिए इंडस्ट्रियल एक्सप्लोसिव्स, डिटोनेटर और प्रोपेलेंट बनाती है. यह कंपनी भारत की पहली ऐसी इकाई है जिसने पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विस्फोटक और डिटोनेशन सिस्टम बनाए. भारत के मिसाइल कार्यक्रमों जैसे अग्नि, आकाश, ब्रह्मोस और अस्त्र में इसका अहम योगदान है. इसके अलावा यह इस्राइल, ग्रीस, थाईलैंड और जॉर्डन जैसे देशों को एक्सपोर्ट भी करती है.

FY25 में कंपनी का रेवेन्यू 54 फीसदी बढ़कर 4.2 अरब हो गया, जिसमें से 81 फीसदी  डिफेंस से आया. हालांकि कच्चे माल की कीमतों में 158 फीसदी की बढ़ोतरी के कारण इसका ऑपरेटिंग मार्जिन गिरकर 13.9 फीसदी रह गया. मुनाफा सिर्फ 1.5 फीसदी की मामूली बढ़त के साथ 29 करोड़ पर पहुंचा. कंपनी का ऑर्डर बुक 7.5 अरब का है, जिसमें से अधिकांश हिस्सा डिफेंस सेक्टर से आता है.

आगे की रणनीति में कंपनी हाई-एक्सप्लोसिव मटेरियल जैसे RDX, HMX और TNT की प्रोडक्शन क्षमता बढ़ाने पर काम कर रही है. इसके अलावा मिसाइल इंटीग्रेशन में भी हिस्सेदारी बढ़ाने की योजना है. कंपनी का P/E रेशियो भी 115x के स्तर पर है, जो इसके ऐतिहासिक औसत से कहीं ज्यादा है.

GOCL कॉर्पोरेशन, डिफेंस से आगे की तैयारी

हिंदुजा ग्रुप की जीओसीएल कॉर्पोरेशन ऊर्जा और एक्सप्लोसिव सेक्टर में छह दशकों से काम कर रही है. यह कंपनी अब रियल एस्टेट और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी जैसे सेक्टरों में भी कदम रख रही है. कंपनी की वार्षिक प्रोडक्शन क्षमता 2.7 लाख मीट्रिक टन विस्फोटक और 19.2 करोड़ इनिशिएटिंग डिवाइस है.

FY25 में कंपनी का रेवेन्यू 8.4 अरब रहा. हालांकि, कच्चे माल और वित्त लागत में कमी के चलते नेट प्रॉफिट 258 फीसदी बढ़कर 1.6 अरब हो गया. वहीं, एक्सप्लोसिव्स डिवीजन को मामूली घाटा हुआ है. इस चुनौती से निपटने के लिए कंपनी ने डायवर्सिफिकेशन की नीति अपनाई है. सिंगरौली प्लांट की क्षमता को दोगुना कर 70,000 टन किया गया है और बेंगलुरु में 264.5 एकड़ ज़मीन पर एक विशेष आर्थिक सेक्टर (SEZ) विकसित करने की योजना है.

कंपनी ने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेस की दिशा में भी कदम बढ़ाया है और EV चार्जिंग स्टेशन और कमर्शियल व्हीकल कॉम्पोनेंट्स बनाने की दिशा में काम कर रही है. अच्छी बात यह है कि कंपनी का वैल्यूएशन बाकी दोनों के मुकाबले सस्ता है, इसका P/E सिर्फ 14x है, जो इसके 10 साल के औसत 28x से 50 फीसदी कम है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

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Published at : 07 Jun 2025 05:54 PM (IST)

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