हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाHindu-Muslim Population: 25 साल बाद दुनिया का सबसे बड़ा मुस्लिम देश बन जाएगा भारत, जानें कितनी होगी आबादी; प्यू रिसर्च की ये रिपोर्ट चौंका देगी
प्यू रिसर्च के अनुसार, 2050 तक भारत में दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी होगी. पढ़ें इस जनसांख्यिकीय बदलाव के पीछे के आंकड़े और कारण.
By : एबीपी लाइव | Edited By: सौरभ कुमार | Updated at : 07 Jun 2025 01:18 PM (IST)
भारत में मुसलमानों की जनसंख्या रिपोर्ट
Source : SOCIAL MEDIA
Hindu-Muslim Population Of India: अमेरिका स्थित प्यू रिसर्च सेंटर की तरफ से साल 2015 में प्रकाशित एक स्टडी में अनुमान लगाया गया है कि साल 2050 तक भारत में मुस्लिम जनसंख्या इतनी बढ़ जाएगी कि वह दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा. वर्तमान में यह स्थान इंडोनेशिया के पास है, लेकिन भारत की तेज़ी से बढ़ती जनसंख्या और विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय की उच्च वृद्धि दर इसे बदल सकती है.
प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2050 तक भारत की कुल आबादी 166 करोड़ हो जाएगी, जिसमें हिंदुओं की आबादी 130 करोड़ और मुस्लिम की 31 करोड़ रहने की संभावना है. उस वक्त तक दुनिया की कुल मुस्लिम आबादी में भारत का हिस्सा 11 फीसदी रहेगा. यह बदलाव केवल संख्या का नहीं बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विमर्श में महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला जनसांख्यिकीय परिवर्तन होगा.
1951 से 2011 के बीच कितने हिंदू-मुस्लिम?
1951 से 2011 तक भारत में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृत्ति धार्मिक आधार पर काफी विविध रही है. प्यू रिसर्च की तरफ से पेश आंकड़े यह स्पष्ट करते हैं कि मुस्लिम जनसंख्या में सबसे तेज़ी से वृद्धि दर्ज की गई है. साल 1951 में मुसलमानों की आबादी 3 करोड़ 54 लाख थी, जो साल 2011 में 17 करोड़ 20 लाख हो गई. इस दौरान मुसलमानों की आबादी में 386 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई.
वहीं 1951 में हिंदुओं की आबादी 30 करोड़ थी, जो साल 2011 में 96 करोड़ के पार चली गई. इस दौरान 218 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई, जो मुसलमानों की तुलना में 168 फीसदी कम है. इसके अलावा सिख और ईसाई की आबादी में 1951 से लेकर 2011 के बीत क्रमांश 235 और 232 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. मुस्लिम जनसंख्या वृद्धि की दर भले ही तेज़ रही हो, लेकिन इसका एक प्रमुख पहलू यह भी है कि समय के साथ प्रजनन दर में गिरावट दर्ज की गई है.
हिंदू और मुस्लिम आबादी की प्रजनन दर में गिरावट
प्यू रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदायों में प्रजनन दर में स्पष्ट गिरावट आई है, जो जनसंख्या स्थिरीकरण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है. अगर मुसलमानों में प्रजनन दर को देखें तो साल 1992-93 में मुस्लिम महिलाओं का प्रजनन दर 4.4 फीसदी था, जो साल 2022 में 2.3 हो गया. इस बीच 47 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. वहीं साल 1992-93 में हिंदू महिलाओं का प्रजनन दर 3.3 था, जो साल 2022 में 1.9 हो गया. इस बीच 42 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई. यह आंकड़े बताते हैं कि मुस्लिम महिलाओं में प्रजनन दर में तेज़ गिरावट आई है, जिससे यह धारणा टूटती है कि मुस्लिम समुदाय अनियंत्रित रूप से जनसंख्या बढ़ा रहा है.
क्या जनसंख्या वृद्धि सामाजिक चिंता का विषय है?
धार्मिक जनसंख्या के आंकड़े अक्सर राजनीतिक और सामाजिक विमर्श में भावनात्मक और विवादास्पद मुद्दा बन जाते हैं, लेकिन वास्तविक आंकड़ों की व्याख्या से स्पष्ट होता है कि मुस्लिम जनसंख्या की वृद्धि प्राकृतिक और शिक्षा/संपत्ति पहुंच जैसे कारकों पर आधारित है.प्रजनन दर में गिरावट का रुझान सभी समुदायों में समान रूप से दिखाई दे रहा है. 2050 तक भारत बहुधार्मिक लेकिन सामाजिक रूप से अधिक समान जनसंख्या संरचना की ओर बढ़ रहा है.
Published at : 07 Jun 2025 01:18 PM (IST)
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