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Ideas Of India Summit 2025: 'अमिताभ बच्चन-धर्मेद्र के सामने मैं कुछ भी नहीं, फिर भी बनाई इनके बीच जगह...', अमोल पालेकर न बताई गजब की बात

Ideas Of India Summit 2025: एबीपी न्यूज के आइडियाज ऑफ इंडिया समिट के चौथे संस्करण की शुरुआत हो चुकी है. इस इवेंट में अलग-अलग क्षेत्रों के दिग्गजों के साथ-साथ एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के भी कई दिग्गज शिरकत करने पहुंचे हैं.

जहां एक ओर तबला मेस्ट्रो जाकिर हुसैन के छोटे भाई उस्ताद तौफीक कुरैशी और तबला प्लेयर बिक्रम घोष ने आकर शास्त्रीय संगीत के बारे में बात की, तो वहीं अब इंडियन सिनेमा के दिग्गज अमोल पालेकर भी मंच में बातचीत के लिए शामिल हुए. 

गोलमाल से लेकर छोटी सी बात जैसी तमाम कल्ट फिल्में देने वाले अमोल पालेकर आज भी एक्टिंग की दुनिया में अपना जलवा दिखा रहे हैं. अमोल पालेकर पिछले 50 सालों में ऐसी फिल्मों का हिस्सा रहे हैं जो आम इंसानों की कहानी बताती रही हैं. उन्होंने यहां 'आर्ट एक्टिविजम एंड एक्टिंग' सेशन में कई सारी इंट्रेस्टिंग बातें कीं.

डेढ़ पन्ने की कहानी में बना डाली 2 घंटे की फिल्म- रजनीगंधा (बासू चटर्जी)

अमोल पालेकर ने बताया कि उनकी फिल्म रजनीगंधा के डायरेक्टर ने उन्हें सिर्फ डेढ़ पन्ने की स्क्रिप्ट देकर 2 घंटे की फिल्म बनाने का ऑफर किया. अमोल कहते हैं कि - ये सवाल मैंने जब डायरेक्टर बासु दा से पूछा कि कैसे करेंगे, तो उन्होंने कहा कि आप क्या तैयार हो. तो मैंने कहा हां और बस बन गई फिल्म.' उन्होंने बताया कि ये फिल्म अलग थी, इसमें हीरो उस जमाने के हीरोज की तरह नहीं था.

मीडिया ने दिया था मुझे बॉय नेक्स्ट डोर वाला लेबल- अमोल पालेकर

चितचोर, छोटी सी बात, और रजनीगंधा जैसी फिल्में लोगों को बहुत पसंद आ रही थीं. मीडिया ने तब मुझे बॉय नेक्स्ट डोर वाला लेबल दे दिया. मतलब ऐसा इंसान जो हमारे आसपास का फील हो.

ये वो जमाना था जब अमिताभ बच्चन बहुत पॉपुलर हो गए थे, राजेश खन्ना का दौर खत्म नहीं हुआ था. धर्मेंद्र और जितेंद्र जैसे बडे़ नाम भी थे. इनकी तुलना में मैं कुछ भी नहीं था इसलिए लोगों को मैं पसंद आया. क्योंकि लोगों को मैं उनके बीच का लगता था. इसी वजह से मेरी 3 फिल्में सिल्वर जुबली हुईं.

एक्टर के तौर पर बढ़ जाती है समाज के प्रति जिम्मेदारी

अमोल पालेकर ने बताया कि उनके और श्याम बेनेगल की शुरुआत एक साथ हुई थी. इस दौरान उन्होंने ये भी बोला कि एक्टर्स और फिल्म मेकर्स की ये जिम्मेदारी बनती है को वो समाज के प्रति उत्तरदायी रहें. उन्होंने श्याम बेनेगल की तारीफ करते हुए कहा कि वो ऐसी ही फिल्में करते थे. और ऐसा हम सभी को करना चाहिए क्योंकि ऐज ऐन एक्टर हमारी रिस्पॉन्सिबिलिटी और भी बढ़ जाती है.

उन्होंने ये भी कहा कि एक समय ऐसा भी आया था कि जब एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के लोग ऐसा कहने लगे थे कि हमारा काम एंटरटेनमेंट देना है, न कि ये सब करना. उन्होंने कहा ऐसा नहीं होना चाहिए.

सेम से*स रिलेशनशिप पर बनाई थी फिल्म

मैंने सेम सेक्स रिलेशनशिप पर फिल्म बनाई जिसका नाम था क्वेस्ट, जिसमें मैन-वुमन रिलेशनशिप और सेम से*स रिलेशनशिप को भी रखा गया था. हमने सेंसर बोर्ड पर एडल्ट सर्टिफिकेट चाहिए, इसके बावजूद मराठी में बनी इसी फिल्म को सेंसर ने सर्टिफिकेट देने से मना किया और बैन करने की भी बात की. उन्होंंने कहा कि कई बार हम चाहते हैं कि अपनी बात रखें, लेकिन ऐसा हर बार नहीं हो पाता.

एक्ट्रेस को बेस्ट एक्टर अवॉर्ड और एक्टर को मिला था बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड- अमोल पालेकर

उन्होंने अपनी फिल्म दायरा के बारे में बात की जिसमें सोनाली कुलकर्णी और निर्मल पांडे थे. कमाल की बात ये है कि इसकी कहानी ऐसी थी कि लड़की को लड़का बनना था और लड़के को लड़की. इसलिए जब अवॉर्ड मिला दोनों बेस्ट एक्टर एक्ट्रेस का तो उसी हिसाब से मिला जैसा रोल उन्होंने फिल्म में किया था यानी लड़के को बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड मिला और लड़की को बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड.

हिंदी vs साउथ पर क्या बोले अमोल पालेकर

हिंदी फिल्म और साउथ फिल्म की तुलना पर अमोल पालेकर ने कहा कि अच्छी फिल्म से उसका बिजनेस नहीं जोड़ना चाहिए. उन्होंने अलग-अलग कमाई के क्लब और बॉक्स ऑफिस पर बात की और कहा कि फिल्म का कलेक्शन देखकर अगर आप कह रहे हैं कि फिल्म अच्छी है तो ये ठीक बात नहीं है.

उन्होंने हिंदी और साउथ की फिल्म का उदाहारण दिया. उन्होंने मलयालम के बासुदेवन नायर नाम के एक लेखक की बात की. उन्होंने कहा उनकी लिखी रचना पर होमेज टू बासुदेवन नायर में एक सीरीज आई थी जिसमें ममूटी समते तमाम बड़े एक्टर्स ने काम किया. इससे कमल हासन, ममूटी जैसे बड़े एक्टर्स जुड़े. हम लोग सिर्फ आरआरआर बाहुबली की बात करते हैं, तो कम से कम ये भी तो देखिए कि इससे भी अच्छी चीजें बनती हैं.

उन्होंने मेहता बॉयज फिल्म के बारे में बात की और कहा कि ये बहुत सिंपल फिल्म है. ये मेरे टाइम वाली शैली पर बनी फिल्म है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हम लोग अच्छा दे नहीं पाते, इसलिए फैक्ट्री से एक जैसी फिल्में देते रहते हैं. जबकि मेहता बॉयज जैसी फिल्में भी बन रही हैं और पसंद की जा रही हैं. उन्होंने कहा कि ओटीटी से ये फायदा मिला है कि हमारी अच्छी फिल्में हर जगह देखी जा रही हैं.

एआई पर क्या बोले अमोल

उन्होंने एआई के खतरे पर बोला कि अंदाजा लगाना मुश्किल है कि इसका कितना नुकसान होगा, लेकिन मैं इस पर कुछ और भी बोलना चाहता हूं. उन्होंने जाकिर हुसैन का उदाहरण देते हुए कहा कि आज मशीन से उनके जैसा तबला बजवाया जा सकता है. लेकिन जाकिर हुसैन का काम एआई नहीं कर पाएगा क्योंकि वो काम जाकिर ही कर सकते थे, इसलिए ह्यूमन एलीमेंट खत्म नहीं होगा.

आर्ट फॉर्म नहीं होगा कभी खत्म

उन्होंने ये बताया कि पहले माना जाता था कि टीवी आने के बाद सिनेमा खत्म हो जाएगा, फिर इतने सारे चैनल आने के बाद और फिर सोशल मीडिया आने के बाद टीवी भी खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं है क्योंकि आर्ट फार्म कभी खत्म नहीं होता. बता दें कि हाल में ही अमोल पालेकर कि किताब व्यूफाइंडर भी आई है.

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