कंपनी के मैनेजमेंट ने कहा है कि उसने FY26 में कैम्पस हायरिंग के लिए 20,000 एंप्लॉयीज का टारगेट रखा है।
इंफोसिस के चौथी तिमाही ने नतीजों ने निराश किया है। इसका कारण अनिश्चित आर्थिक माहौल हो सकता है। स्टॉक मार्केट को कंपनी का प्रदर्शन थोड़ा कमजोर रहने का अनुमान था। लेकिन, कंपनी के रेवेन्यू में तेज गिरावट दिखी। कंपनी ने कमजोर गाइडेंस दिया है। कंपनी का मार्जिन भी कमजोर रहा। ऑर्डर फ्लो भी अच्छा नहीं है। क्लाइंट मैट्रिक्स में गिरावट आई है। पिछले तीन महीनों में कंपनी का काफी ज्यादा टूटा है। हालांकि, कंपनी के लिए संभावनाएं बेहतर होते ही शेयरों की चमक लौट आएगी।
रेवेन्यू के मोर्चे पर प्रदर्शन खराब
चौथी तिमाही में रिपोर्टेड करेंसी में रेवेन्यू 4.2 फीसदी घटा है। कंस्टैंट करेंसी (CC) में रेवेन्यू 3.5 फीसदी घटा है। कंपनी ने कहा है कि रेवेन्यू में गिरावट की वजह थर्ड पार्टी कॉन्ट्रैक्ट्स में कमी है। अगर अलग-अलग मार्केट्स के लिहाज से देखा जाए तो यूरोप को छोड़ बाकी तीन बड़े मार्केट्स में प्रदर्शन कमजोर रहा है। इंडस्ट्रीज की बात की जाए तो हर वर्टिकल में Infosys का प्रदर्शन कमजोर रहा है। कंपनी ने कहा है कि इसकी बड़ी वजह फैसले लेने में देर है। कंपनी ने FY26 के लिए जो गाइडेंस दिया है, वह निराशा पैदा करता है।
ऑपरेटिंग मार्जिन में भी गिरावट
इंफोसिस ने FY26 के लिए सीसी में 0-3 फीसदी का रेवेन्यू गाइडेंस दिया है। इसमें एमआरई कंसल्टिंग और मिसिंग लिंक के अधिग्रहण शामिल नहीं हैं। इन्हें शामिल करने पर रेवेन्यू में और 50 बेसिस प्वाइंट्स का इजाफा हो सकता है। FY24 में कंपनी मार्जिन में 50 बेसिस प्वाइंट्स का इम्प्रूवमेंट करने में सफल रही है। लेकिन चौथी तिमाही में ऑपरेटिंग मार्जिन 30 बेसिस प्वाइंट्स गिरकर 21 फीसदी पर आ गया। इसमें 140 बेसिस प्वाइंट्स का योगदान जनवरी में कंपनसेशन रिवीजन का है।
बड़ी डील्स में 35 फीसदी कमी
इंफोसिस ने कहा है कि FY26 में ऑपरेटिंग मार्जिन 20-22 फीसदी के बीच रहेगा। रेवेन्यू के रास्ते की बाधाएं और प्रोजेक्ट के कॉस्ट ऑप्टेमाइजेशन को देखते हुए निकट भविष्य में मार्जिन में बड़ी रिकवरी की उम्मीद नहीं दिखती है। 24 बड़ी डील्स में से 63 फीसदी नई नहीं हैं। लार्ज डील हासिल करने के मोर्चे पर प्रदर्शन कमजोर रहा। बड़ी डील की संख्या कम रहने से FY25 में बड़ी डील्स 35 फीसदी घटकर 11.1 अरब डॉलर रहीं।
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आपको क्या करना चाहिए?
चौथी तिमाही में नेट हेडकाउंट एडिशन यानी एंप्लॉयीज की संख्या में वृद्धि नाममात्र की रही। उधर, एट्रिशन यानी एंप्लॉयीज के कंपनी छोड़ने की रफ्तार में इजाफा देखने को मिला। कंपनी के मैनेजमेंट ने कहा है कि उसने FY26 में कैम्पस हायरिंग के लिए 20,000 एंप्लॉयीज का टारगेट रखा है। एक साल पहले यह 15,000 था। इस साल कंपनी का स्टॉक 24 फीसदी टूटा है। इससे वैल्यूएशन ज्यादा नहीं रह गई है। ऐसे में हर गिरावट पर स्टॉक में निवेश बढ़ाया जा सकता है।
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