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Market outlook: लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट रही जारी, नियर टर्म में कमजोरी जारी रहने की उम्मीद

Market mood : कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच इंडेक्स निगेटिव नोट पर खुले और निफ्टी आज इंट्रा डे में 22,500 के करीब आ गया

Stock market : बेंचमार्क इंडेक्सों में 24 फरवरी को लगातार पांचवें कारोबारी सत्र में गिरावट जारी रही। आज निफ्टी 50 पिछले आठ महीनों के निम्नतम स्तर पर पहुंच गया। आईटी, रियल्टी और टेलीकॉम शेयरों में सबसे ज्यादा बिकवाली देखने को मिली। कारोबारी सत्र के अंत में सेंसेक्स 856.65 अंक या 1.14 फीसदी की गिरावट के साथ 74,454.41 पर और निफ्टी 242.55 अंक या 1.06 फीसदी की गिरावट के साथ 22,553.35 पर बंद हुआ। निफ्टी मिड और स्मॉलकैप इंडेक्सों में 1-1 फीसदी की गिरावट आई।

कमजोर ग्लोबल संकेतों के बीच इंडेक्स निगेटिव नोट पर खुले और निफ्टी आज इंट्रा डे में 22,500 के करीब आ गया। हालांकि,कारोबारी सत्र में ऑटो,फार्मा,एफएमसीजी शेयरों की अगुआई में कुछ रिकवरी देखने को मिली। निफ्टी में शेयरों में सबसे ज्यादा नुकसान विप्रो, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, इंफोसिस, टीसीएस, टाटा स्टील के शेयरों में हुआ। जबकि मएंडएम, आयशर मोटर्स, डॉ रेड्डीज लैब्स, हीरो मोटोकॉर्प और कोटक महिंद्रा बैंक आज निफ्टी के टॉप गेनर रहे।

ऑटो,फार्मा,एफएमसीजी को छोड़कर बाकी सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए हैं। आईटी,मेटल,टेलीकॉम इंडेक्स में 2 फीसदी की गिरावट आई है। पिछले 12 सत्रों में से 11 सत्रों में निफ्टी आईटी इंडेक्स में गिरावट देखने को मिली है।

मेहता इक्विटीज के प्रशांत तापसे ने कहा कि मंदी के मुख्य कारणों में कमजोर एशियाई संकेत और 21 फरवरी को अमेरिकी बाजारों में तेज गिरावट के साथ-साथ ट्रंप की जवाबी टैरिफ धमकियां और विदेशी फंडों की तरफ से लगातार हो रही बिकवाली शामिल है। उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका है कि अमेरिका में महंगाई फिर से लौट रही है। इससे ग्लोबल ग्रोथ की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है,जो पहले से ही मंदी के दौर से गुजर रहा है।

FII की बिकवाली के अलावा,चाइनीज शेयरों में जबरदस्त उछाल एक और बड़ी बाधा बनकर उभरा है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि चाइनीज शेयरों के आकर्षक बने रहने के कारण 'भारत में बिकवाली करो और चीन में खरीदो'की रणनीति कुछ समय तक जारी रह सकती है।

डेज़र्व के को-फाउंडर वैभव पोरवाल का कहना है कि अक्टूबर 2024 से भारत का मार्केट कैप लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर घट गया है। जबकि चीन का मार्केट कैप 2 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गया है। एनएसडीएल के डेटा से पता चलता है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अकेले जनवरी 2024 में भारतीय इक्विटी बाजार से लगभग 25,000 करोड़ रुपये निकाले हैं। जबकि 2023 में 1.7 लाख करोड़ रुपये से अधिक का मजबूत निवेश हुआ था।

पोरवाल ने विदेशी फंडों की इस निकासी के लिए कई वजहों को जिम्मेदार ठहराया है। इसमें भारत के प्रीमियम वैल्यूएशन और चीन का आर्थिक सुधार शामिल है। उन्होंने आगे कहा कि चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें दरों में कटौती,प्रॉपर्टी सेक्टर को सपोर्ट और लिक्विडिटी इंजेक्शन जैसे उपाय शामिल हैं। इन कदमों से खासकर लंबे समय तक नीतिगत सख्ती के बाद निवेशकों का भरोसा बहाल करने में मदद मिली है। इसके अलावा भू-राजनीतिक तनाव और रेग्युलेचरी अनिश्चितताओं के कारण भी चीनी शेयरों में भी भारी गिरावट आई थी। लेकिन स्थितियां सुधरने के बाद अब विदेशी निवेशक चीन की तरफ रुख कर रहे हैं।

नियर टर्म में वोलैटिलिटी के बावजूद, पोरवाल भारत की लॉन्ग टर्म संभावनाओं को लेकर बियरिश बने हुए हैं। उनका मानना है कि अगले 3-6 महीनों में भारत में एफआईआई निवेशवापस आ सकता है। लॉन्ग टर्म के नजरिए से अर्थव्यवस्था और मैक्रो फैक्टर अनुकूल हैं। मजबूत घरेलू मांग,डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन और बुनियादी ढांचे को मिल रहा बढ़ावा लंबी अवधि में फायदा पहुंचाएंगे। इसके आगे कॉर्पोरेट आय में बढ़त होने और विकास में तेजी आने की संभावना है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक नागराज शेट्टी का कहना है कि निफ्टी का ओवरऑल ट्रेंड निगेटिव बना हुआ है। शॉर्ट टर्म में निफ्टी में कमजोरी बनी रहने की उम्मीदा। इसके लिए 22400 पर अगला सपोर्ट है। वहीं, ऊपर की तरफ 22,750 पर पर तत्काल रेजिस्टेंस है।

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