थर्मल पावर सेक्टर में माहौल गरमाने जा रहा है। थर्मल पावर से जुड़ी कई बड़ी डील होने वाली हैं।
एक प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन में इंडिया के हाई-प्रोफाइल प्रतिनिधि को अचानक पद से हटा देने के फैसले ने चौंकाया। क्या इस पूर्व प्रतिनिधि से कोई गलती हुई थी? गलती शायद एक नहीं कई हुई थी। बताया जाता है कि यह पूर्व प्रतिनिधि प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते थे। अंतरराष्ट्रीय संगठन के दूसरे अधिकारियों से उनकी बन नहीं रही थी। अंदर की जानकारी रखने वाले सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि उनका 'low EQ' इसकी वजह बनी। लेकिन, सबसे मजेदार यह वजह बताई जा रही है कि यह पूर्व प्रतिनिधि प्राइम मिनिस्टर ऑफिस से अपनी नजदीकी का खूब फायदा उठाते थे। यहां तक कि इसकी बदौलत उन्होंने एक बैंक को अपनी बुक की हजारों प्रतियां खरीदने को कहा था। इस गलती ने अंतरराष्ट्रीय संगठन से उनकी छुट्टी करा दी।
ऐड-टेक फर्म की लिस्टिंग की तैयारी
एक समय इस ऐड-टेक फर्म के एक यूनिकॉर्न (unicorn) में विलय की चर्चा थी। अब सुनने में आ रहा है कि यह फर्म खुद को स्टॉक मार्केट में लिस्ट कराने के बारे में सोच रही है। लेकिन, यह मार्केट के लिए अच्छा समय नहीं है। मार्केट पार्टिसिपेंट्स का कॉन्फिडेंस कमजोर है। उधर, ऐड-टेक (Ed-tech) की दुनिया में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। ऐड टेक दुनिया का चेहरा माने जाने वाली एक बड़ी फर्म ध्वस्त हो चुकी है। माहौल का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि हाल में अक अनुभवी आंत्रप्रेन्योर ने कहा कि फिलहाल ऐड-टेक सेक्टर की कोई कंपनी लिस्टिंग के लिए तैयार नहीं है। इसके बावजूद यह ऐड-टेक फर्म आईपीओ पेश करने की तैयारी में लगी है। बड़ा सवाल यह है कि क्या इससे ऐड-टेक सेक्टर में माहौल बदलने जा रहा है?
थर्मल पावर सेक्टर में गरमाने वाला है माहौल
थर्मल पावर सेक्टर में माहौल गरमाने जा रहा है। एक सूत्र ने एमसी इनसाइडर को बताया है कि थर्मल पावर से जुड़ी कई बड़ी डील होने वाली हैं। एक बड़े फंड के टॉप एग्जिक्यूटिव ने भी पावर की बढ़ती मांग और प्लांट के ज्यादा यूटिलाइजेशन लेवल के बारे में बताया। बताया जाता है कि एक डायवर्सिफायड बिजनेस ग्रुप थर्मल पावर सेक्टर में बड़ी डील करने वाला है। कुछ पुराने इनवेस्टर एग्जिट करने की तैयार में हैं तो कुछ नए की एंट्री होने जा रही है। इसका मतलब है कि थर्मल पावर सेक्टर की पावर फिलहाल बढ़ने जा रही है।
एक्सपायरी डे फिक्सिंग ने उड़ाई ब्रोकर्स की नींद
पिछले महीने ब्रोकर्स को जिस बात ने सबसे ज्यादा परेशान किया, वह मार्केट में गिरावट या ग्लोबल इकोनॉमी की अनिश्चितता नहीं थी। वह थी एक्सपायरी डे पॉलिटिक्स। 17 अप्रैल वीकली ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स पर अंकुश लगाने के फाइनेंशियल रेगुलेटर के प्रस्ताव पर अपनी राय भेजने की अंतिम तारीख थी। एक्सपायरी डे मंगलवार या गुरुवार हो सकता है। लेकिन, एक एक्सचेंज सभी एक्सपायरी एक ही दिन चाहता है, जबकि दूसरा इस मामले में लचीलापन चाहता है। इस बात ने ब्रोकर्स एसोसिएशन की चिंता बढ़ा दी है। उनके सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई है। ब्रोकर्स एसोसिएशन से जुड़े कुछ लोगों का मानना है कि इसका फैसला एक्सचेंज पर छोड़ दिया जाना चाहिए।
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