हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाNEP Controversy: 'केंद्र सरकार 10 हजार करोड़ दे तो भी लागू नहीं करेंगे', नई शिक्षा नीति पर क्या बोले तमिलनाडु के CM स्टालिन?
MK Stalin: तमिलनाडु के CM MK स्टालिन ने फिर NEP का विरोध करते हुए कहा कि राज्य इसे लागू नहीं करेगा. उन्होंने इसे सामाजिक न्याय के खिलाफ बताते हुए केंद्र पर छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप लगाया.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Pooja Kumari | Updated at : 23 Feb 2025 09:12 AM (IST)
Tamil Nadu Politics: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने साफ कर दिया है कि राज्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) लागू नहीं होगी. चाहे केंद्र सरकार इसके बदले 10,000 करोड़ रुपये की पेशकश ही क्यों न करे. उन्होंने कहा कि ये विरोध केवल हिंदी थोपने के प्रयास को लेकर नहीं है बल्कि इस नीति में कई ऐसे प्रावधान हैं जो छात्रों और सामाजिक न्याय प्रणाली पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं.
स्टालिन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि ये नीति छात्रों को स्कूल से दूर कर देगी और कमजोर वर्गों को मिलने वाली वित्तीय सहायता पर भी असर डालेगी. उन्होंने NEP के तहत तीसरी, पांचवीं और आठवीं कक्षा के लिए प्रस्तावित सार्वजनिक परीक्षाओं और कॉलेज प्रवेश के लिए एक समान प्रवेश परीक्षा को लेकर भी चिंता जताई.
केंद्रीय शिक्षा मंत्री पर लगाया फंड रोकने का आरोप
मुख्यमंत्री स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान पर आरोप लगाया कि उन्होंने समग्र शिक्षा अभियान के तहत तमिलनाडु को मिलने वाले 2,000 करोड़ रुपये की राशि रोकने की धमकी दी. यह अभियान व्यावसायिक शिक्षा को सामान्य शिक्षा से जोड़ने की कोशिश करता है जिसे NEP से जोड़ा जा रहा है. स्टालिन ने इस प्रस्ताव को 'ब्लैकमेल' करार देते हुए इसे राज्य के हितों के खिलाफ बताया.
केंद्रीय मंत्री का पलटवार
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार 'राजनीतिक कारणों' से हिंदी थोपने की झूठी कहानी बना रही है. उन्होंने कहा कि राज्य ने पहले NEP लागू करने पर सहमति जताई थी, लेकिन अब राजनीतिक फायदे के लिए अपना रुख बदल लिया है. प्रधान ने ये भी स्पष्ट किया कि तीन-भाषा नीति किसी विशेष भाषा को थोपने के लिए नहीं बल्कि भारतीय भाषाओं को उचित स्थान देने के लिए बनाई गई है.
तीन-भाषा नीति पर बहस तेज
NEP के तहत तीन-भाषा नीति की अनिवार्यता पर भी विवाद बढ़ गया है. केंद्र सरकार का कहना है कि इस नीति का उद्देश्य भारतीय भाषाओं को सशक्त बनाना है, लेकिन तमिलनाडु ने दो-भाषा नीति को अपनाया हुआ है. प्रधान ने कहा कि हिंदी को थोपने का कोई इरादा नहीं है और बाकी राज्यों में यह नीति पहले से लागू है. उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि तमिलनाडु के सीमावर्ती इलाकों के छात्रों को अन्य क्षेत्रीय भाषाएं सीखने का अवसर क्यों नहीं मिलना चाहिए.
प्रधान ने यह भी आरोप लगाया कि तमिलनाडु सरकार की ‘कठोर नीतियों’ की वजह से राज्य को पीएम-श्री योजना के तहत मिलने वाले 2,000 करोड़ रुपये का फायदा नहीं मिल पा रहा है. हालांकि मुख्यमंत्री स्टालिन अपने रुख पर अडिग हैं और NEP को लागू करने से साफ इनकार कर चुके हैं.
Published at : 23 Feb 2025 09:12 AM (IST)
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आनंद कुमार
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