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Option Trading: ऑप्शन ट्रेडिंग शुरू कर रहे हैं? जानें ये 3 जरूरी टिप्स, जो बचा सकती हैं बड़ा नुकसान

Option Trading: ऑप्शन के प्रीमियम के कैलकुलेशन में समय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है

Option Trading: ऑप्शन ट्रेडिंग आसान भी है और मुश्किल भी। आसान इसलिए क्योंकि शेयर बाजार में जहां 15% से 50% का मूव बहुत बड़ा माना जाता है, वहीं ऑप्शंस में आसानी से 100% से भी अधिक का मूव दिख जाता हैं। ऑप्शन सेलिंग एक अलग ट्रेडिंग सिस्टम है जिसके अपने फायदे और आकर्षण हैं। लेकिन फिलहाल हम शुरुआत करने वालों के लिए सिर्फ ऑप्शन बायिंग पर ध्यान देंगे। इसमें कम पूंजी लगती है और बहुत बड़े रिटर्न की संभावना भी होती है। इसके बावजूद बहुत से नए ट्रेडर्स कुछ ही दिनों में ऑप्शन ट्रेडिंग से तौबा कर लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि वे ऑप्शन ट्रेडिंग को स्टॉक ट्रेडिंग जैसा समझ लेते हैं।

असल में हम भले ही स्टॉक्स और इंडेक्स पर ही ट्रेड कर रहे होते हैं, लेकिन ऑप्शन के साथ हम कुछ और चीजों पर भी दांव लगा रहे होते हैं। इसका मतलब है कि स्टॉक या इंडेक्स सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम (यानी ऑप्शन का भाव) का एक हिस्सा होते हैं। ऑप्शन प्रीमियम के कुल तीन बड़े हिस्से होते हैं, जिनका असर ऑप्शन के प्रीमियम कीमत पर पड़ता है-

1. एक्सपायरी तक बचा हुआ समय

3. स्ट्राइक प्राइस का चुनाव

ऑप्शन प्रीमियम का कैलकुलेशन इन्हीं तीन चीजों के आधार पर होती है। अगर हम इन पहलुओं को ध्यान में रखकर ऑप्शन ट्रेडिंग करें तो नए या मिड-लेवल ट्रेडर्स के लिए भी यह बहुत आसान और फायदेमंद साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इन तीनों फैक्टर्स पर आधारित 3 जरूरी टिप्स:

1. तीन दिन से ज्यादा न करें होल्ड

ऑप्शन के प्रीमियम के कैलकुलेशन में समय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जैसे-जैसे समय बीतता है, ऑप्शन का प्रीमियम भी धीरे-धीरे गिरता जाता है। भले ही शेयर के भाव में कोई उतार-चढ़ाव न हो। इसलिए यह उम्मीद करनी चाहिए कि हर दिन ऑप्शन प्रीमियम में थोड़ी गिरावट होगी, चाहे बाजार में कोई हलचल हो या न हो।

यह असर 1 या 2 दिन में बहुत ज्यादा महसूस नहीं होता, लेकिन 3 दिन या उससे ज्यादा हो जाए तो प्रीमियम में गिरावट साफ नजर आती है। इसलिए पहली सलाह है कि कोई भी खरीदा गया ऑप्शन 3 दिन से ज्यादा न होल्ड करें। यानी ऑप्शन ट्रेड में 'टाइम स्टॉप लॉस' जरूर सेट करें, जिससे समय का नुकसान आपके मुनाफे को न खा जाए।

2. वोलैटिलिटी को ध्यान में रखें

जिस तरह समय ऑप्शन प्रीमियम को प्रभावित करता है, उसी तरह स्टॉक या इंडेक्स में वोलाटिलिटी का अनुमान भी ऑप्शन के प्रीमियम पर सीधा असर डालती है। अगर स्टॉक या शेयर बाजार से जुड़ी कोई बड़ी खबर आने वाली है, जैसे कंपनी के नतीजे या किसी पॉलिसी को लेकर ऐलान, तो उस समय ऑप्शन की वोलाटिलिटी सामान्य से ज्यादा होती है। इस कारण ऑप्शन का प्रीमियम भी ऊंचा हो जाता है। लेकिन जैसे ही यह इवेंट खत्म होता है, वोलाटिलिटी फिर से सामान्य स्तर पर लौटती है और ऑप्शन प्रीमियम में तेज गिरावट आ सकती है।

इसलिए सलाह दी जाती है कि इवेंट से पहले ही ऑप्शन खरीदें और इवेंट के पहले ही बेच दें। अगर आप इवेंट के दौरान ऑप्शन होल्ड करने का सोच रहे हैं तो इस बात के लिए मानिसक रूप से तैयार रहें कि प्रीमियम पूरी तरह खत्म हो सकता है। हालांकि अगर अनुमान सही बैठा तो मुनाफा भी बड़ा हो सकता है।

3. सही स्ट्राइक प्राइस चुनना बेहद जरूरी

हम सभी जानते हैं कि ऑप्शंस अलग-अलग स्ट्राइक प्राइसेस के साथ आते हैं। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि हर स्ट्राइक प्राइस स्टॉक के हर ₹1 के मूव पर अलग तरह से रिएक्ट करता है। शेयर के मौजूदा बाजार भाव से बहुत ऊपर के कॉल ऑप्शंस और बहुत नीचे के पुट ऑप्शंस, शेयर के मूव के मुकाबले कम रिएक्ट करते हैं। ऐसे ऑप्शंस सस्ते भी होते हैं, लेकिन इनमें तेजी से मुनाफा कमाना मुश्किल होता है।

इसलिए सही सलाह यही है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में वही स्ट्राइक प्राइस चुनें जो शेयर के मौजूदा प्राइस के सबसे नजदीक हो। इससे स्टॉक के हर मूव का पूरा फायदा आपके ऑप्शन प्रीमियम में दिखेगा और मुनाफे की संभावना बढ़ जाएगी।

(मनीकंट्रोल के लिए इस आर्टिकल को शुभम अग्रवाल ने लिखा है, जो क्वांट्सऐप प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ और हेड हैं)

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