हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाPahalgam Terror Attack: ‘POK, सिंध और बलूचिस्तान, जो हमारा है, वापस ले लो’, पहलगाम आतंकी हमले पर बोले श्रीधर वेम्बू
ज़ोहो के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने कश्मीर आतंकी हमले को लेकर भावुक प्रतिक्रिया दी और इसे भारत की सुरक्षा पर खतरा बताते हुए ऐतिहासिक पीड़ा से जोड़ने की कोशिश की है.
By : एबीपी लाइव | Edited By: सौरभ कुमार | Updated at : 25 Apr 2025 08:02 AM (IST)
श्रीधर वेम्बू का कश्मीर आतंकी हमले पर बयान
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में 22 अप्रैल को पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया. इस घटना में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें विदेशी नागरिक भी शामिल थे. इस दर्दनाक हमले के बाद देश भर में प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया. ज़ोहो के संस्थापक और जाने-माने टेक उद्यमी श्रीधर वेम्बू ने हमले पर एक भावुक बयान दिया, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है. उन्होंने इस आतंकी हमले को देश के लिए चेतावनी बताया. श्रीधर वेम्बू ने केवल वर्तमान खतरे की बात नहीं की बल्कि भारत के ऐतिहासिक दर्द, विशेष रूप से 1947 के विभाजन की त्रासदी का भी जिक्र किया.
श्रीधर वेम्बू ने आंत्रप्रेन्योर प्रकाश ददलानी की एक पोस्ट पर अपना कमेंट दिया था, जिसमें उन्होंने विभाजन के समय अपने परिवार के संघर्षों को साझा किया था. ददलानी ने बताया कि 1947 में उनका परिवार सिंध में फंसा हुआ था. उनके पास तीन विकल्प मौजूद थे. पहला इस्लाम में धर्मांतरण, दूसरा सब कुछ छोड़कर भाग जाना या वहीं मर जाना. उन्होंने दूसरा रास्ता चुना और भारत आ गए. वेम्बू ने इस अनुभव को अमेरिका में रह रहे सिंधी और बंगाली हिंदुओं की बातों से जोड़ा, जिनसे उन्होंने भी ऐसे ही अनुभव सुने थे. वेम्बू का मानना है कि भारत को यह दृढ़ निश्चय करना होगा कि ऐसा इतिहास दोबारा न दोहराया जाए.
I have met many Sindhi Hindus living in the US who told me the same thing Prakash-ji says below about his family's experience of partition. I have heard the same thing from Bengali friends. We have the experience of Kashmiri pandits in living memory.
All this should give us the… https://t.co/8VukaWPGeS
POK, सिंध और बलूचिस्तान को लेने की बात
आंत्रप्रेन्योर प्रकाश ददलानी के एक बयान ने सभी का ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि वह उस दिन को कभी नहीं भूलेंगे, जब भारत सरकार POK, सिंध और बलूचिस्तान जैसे क्षेत्रों को दोबारा हासिल करेगी. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है उन चीजों को दोबारा से हासिल करने का, जो कभी हमारा था. मैं ये नफरत के लिहाज से नहीं बोल रहा हूं, बल्कि अपने देशवासियों की सुरक्षा के लिए ऐसा कह रहा हूं.
हमले के बाद सरकार की प्रतिक्रिया
हमले के कुछ ही घंटों के भीतर भारत सरकार ने सख्त कूटनीतिक और सुरक्षा उपायों की घोषणा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब से लौटकर सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति की एक आपात बैठक की अध्यक्षता की जिसमें विदेश, रक्षा और वित्त मंत्री भी शामिल हुए. भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया और पाकिस्तान के सैन्य और कूटनीतिक अधिकारियों को देश छोड़ने का आदेश दे दिया. अटारी बॉर्डर को बंद कर दिया गया और SAARC वीजा छूट योजना को रद्द कर दिया गया. यह सारे कदम यह स्पष्ट संकेत देते हैं कि भारत अब आतंकवाद को लेकर कोई नरमी नहीं बरतेगा और ऐसे मामलों पर सख्त रुख अपनाएगा.
पर्यटन और शांति पर सीधा हमला
बैसरन घाटी का इलाका, जो कश्मीर में पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है, अब भारत के सबसे दर्दनाक आतंकी हमलों में से एक का प्रतीक बन गया है. 2019 के पुलवामा हमले के बाद यह हमला सबसे बड़ा माना जा रहा है. हमले में मारे गए लोगों में दो विदेशी नागरिक शामिल थे, जिनमें से एक संयुक्त अरब अमीरात से और दूसरा नेपाल से था. इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवादियों का मकसद सिर्फ आम नागरिकों को निशाना बनाना ही नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक स्थिरता और पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को भी कमजोर करना है. सरकार की त्वरित और सख्त प्रतिक्रिया ने यह संदेश दिया है कि अब कोई भी आतंकी हमला जवाब के बिना नहीं जाएगा.
क्या यह एक ऐतिहासिक चेतावनी है?
श्रीधर वेम्बू और प्रकाश ददलानी के बीच सोशल मीडिया पर हुए इस बातचीत ने व्यापक बहस को जन्म दिया है. लोगों ने इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और यह सवाल उठाया कि क्या हमने अपने इतिहास से कुछ सीखा है या नहीं. सांप्रदायिक विभाजन की पीड़ा को वर्तमान आतंकी हमले से जोड़ने की बहस ने भारतीय समाज में इतिहास, पहचान और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे विषयों को केंद्र में ला दिया है. यह केवल एक टेक आंत्रप्रेन्योर की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उन लाखों परिवारों की संवेदना है, जिन्होंने देश के विभाजन की त्रासदी को झेला है. यह बहस इस बात की याद दिलाती है कि, जब तक हम अपनी ऐतिहासिक पीड़ा को ठीक से नहीं समझगें, तब तक भविष्य की सुरक्षा की रणनीति अधूरी रहेगी.
Published at : 25 Apr 2025 08:02 AM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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