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RBI कल लेगा ब्याज दरों पर बड़ा फैसला, शेयर बाजार की इन 6 चीजों पर रहेगी पैनी नजर

RBI MPC Meet: ज्यादातर एनालिस्ट्स मानते हैं कि 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है

RBI MPC Meet: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक के नतीजे कल 6 जून को आएंगे। मनीकंट्रोल से बात करने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बैठक के नतीजों से शेयर बाजारों में बहुत ज्यादा हलचल होने की संभावना नहीं है। उन्होंने रेपो रेट में 0.25 फीसदी कटौती की उम्मीद जताई है। इसके अलावा उन्हें रेपो रेट या नीतिगत रुख के मोर्चे पर कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। इसकी जगह, कंपनियों की कमाई और ग्लोबल संकेतों के आधार पर अधिक हलचल की संभावना है। हालांकि उन्होंने निवेशकों को RBI की इस बैठक से जुड़ी इन 6 अहम बातों पर खास नजर रखने की सलाह दी

1. रेपो रेट में बदलाव

क्या उम्मीद की जा रही है?: ज्यादातर एनालिस्ट्स मानते हैं कि 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो सकती है, जिससे रेपो रेट घटकर 5.75% हो जाएगा। यह 2025 की तीसरी कटौती होगी। Angel One के सीनियर एनालिस्ट्स वकार जावेद खान ने कहा, “25 बीपीएस कटौती की व्यापक उम्मीद है। 50 बीपीएस की संभावना बहुत कम है। यह कदम मौजूदा विकास दर को बनाए रखने और खुदरा महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए होगा।”

क्यों जरूरी है?: रेपो रेट घटने से लोन सस्ते होते हैं, जिससे खपत और निवेश बढ़ता है और बाजार में सकारात्मक भाव आता है।


2. सेक्टोरल और मार्केट इफेक्ट

क्या उम्मीद की जा रही है?: कंज्म्पशन आधारित सेक्टरों जैसे ऑटो, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और रियल एस्टेट को फायदा मिल सकता है। हालांकि, बैंकों को मिक्स्ड असर झेलना पड़ सकता है। Marcellus Investment के वीआर कृष्णन ने कहा, “कम ब्याज दर से ऑटो जैसी इंडस्ट्री को फायदा मिलता है क्योंकि अधिकतर वाहन फाइनेंस से खरीदे जाते हैं। लेकिन बैंकों को डिपॉजिट दरों में कमी करना मुश्किल होगा, जिससे उनका मार्जिन दब सकता है।”

वहीं Omniscience Capital के CEO विकास गुप्ता ने इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को संभावित लाभार्थी बताय। उन्होंने कहा, “कम ब्याज दरों से प्रोजेक्ट्स की आर्थिक व्यवहार्यता बढ़ती है।” Fisdom के रिसर्च हेड निरव करकेरा ने कहा, “अगर RBI दरें यथावत रखता है तो बैंकिंग, ऑटो, रियल एस्टेट और कैपेक्स सेक्टर में तात्कालिक निराशा हो सकती है।”

क्यों जरूरी है?: ब्याज दरें कम होने से EMI और लोन की लागत घटती है, जिससे कंजंप्शन बढ़ता है। बाजार की प्रतिक्रिया इस पर निर्भर करेगी कि RBI की नीति उम्मीदों के अनुसार है या नहीं।

3. GDP ग्रोथ अनुमान

क्या उम्मीद की जा रही है?: Q4 में भारत की GDP ग्रोथ 7.4% रही, जिसे मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन ने सहारा दिया। RBI के FY25 और FY26 के लिए 6.5% ग्रोथ अनुमान को बनाए रखने की संभावना है। निरव करकेरा ने कहा, “ग्लोबल और घरेलू स्तर पर ग्रोथ सॉफ्ट हो रही है। ऐसे में 50 बीपीएस कट की जरूरत हो सकती है, लेकिन RBI फिलहाल स्थिरता को प्राथमिकता दे सकता है।”

क्यों जरूरी है?: मजबूत ग्रोथ के साथ ब्याज दर में कटौती की जा सकती है बिना महंगाई बढ़ाए। इससे निवेशकों का भरोसा बना रहता है।

4. महंगाई (Inflation)

क्या उम्मीद की जा रही है?: अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 3.16% रही, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है। कोर महंगाई भी 3.5% से नीचे बनी हुई है। मनीकंट्रोल के पोल के मुताबिक RBI अपना महंगाई अनुमान घटा सकता है। कृष्णन ने कहा, “कोर इंफ्लेशन कम है, जिससे RBI को वास्तविक ब्याज दर 2–2.5% बैंड में लाने की गुंजाइश मिलती है।” विकास गुप्ता ने भी कहा, “अगर मानसून सामान्य रहता है और फूड इंफ्लेशन काबू में रहती है, तो आगे और कटौती संभव है।”

क्यों जरूरी है?: कम महंगाई से RBI को दरें घटाने की जगह मिलती है और आम जनता को राहत मिलती है।

5. बैंकिंग लिक्विडिटी

क्या उम्मीद की जा रही है?: जनवरी 2025 से RBI ने बैंकिंग सिस्टम में 100 अरब डॉलर से ज्यादा की लिक्विडिटी डाली है। हालांकि CRR जैसे प्रमुख उपकरण में बदलाव की उम्मीद नहीं है। कृष्णन के मुताबिक, “CRR में बदलाव की संभावना कम है क्योंकि अभी कोई संकट नहीं है। सिस्टम में लिक्विडिटी सरप्लस है।” करकेरा ने भी कहा, “लिक्विडिटी अब कोई बाधा नहीं है। RBI इसका संतुलन बनाए रखेगा।”

क्यों जरूरी है?: बॉन्ड मार्केट और क्रेडिट ग्रोथ पर लिक्विडिटी का सीधा असर पड़ता है। इक्विटी पर असर सीमित हो सकता है, लेकिन समग्र वित्तीय माहौल पर असर होता है।

6. FII फ्लो

क्या उम्मीद की जा रही है?: कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्याज दर में कटौती से भारत और अमेरिका के बीच रिटर्न गैप कम होगा, जिससे विदेशी निवेश कम हो सकता है। कृष्णन ने कहा, “अब एफआईआई ज्यादा यील्ड गैप पर नहीं, बल्कि भारतीय इकॉनॉमी के फंडामेंटल्स पर फोकस कर रहे हैं।”

गुप्ता ने कहा, “ब्याज दर में कटौती FII फ्लो के लिए सकारात्मक है क्योंकि इससे GDP और Earnings ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगा। करकेरा ने कहा, “रेट कट ग्रोथ को सपोर्ट देने वाली नीति का संकेत देगा, जो FII को आकर्षित करेगा।”

क्यों जरूरी है?: FII फ्लो से बाजार में लिक्विडिटी और सेंटीमेंट तय होते हैं। हल्की सी पोजीशनिंग में भी बाजार में बड़ा मूव आ सकता है।

डिस्क्लेमरः Moneycontrol पर एक्सपर्ट्स/ब्रोकरेज फर्म्स की ओर से दिए जाने वाले विचार और निवेश सलाह उनके अपने होते हैं, न कि वेबसाइट और उसके मैनेजमेंट के। Moneycontrol यूजर्स को सलाह देता है कि वह कोई भी निवेश निर्णय लेने के पहले सर्टिफाइड एक्सपर्ट से सलाह लें।

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