हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाRussia-Ukraine War: यूक्रेन युद्ध के तीन साल पूरे, भारत ने बीते एक साल में खरीदा 49 अरब यूरो का कच्चा तेल
रूस-यूक्रेन युद्ध फरवरी, 2022 में शुरू हुआ था, पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए. जिसके बाद चीन और भारत ने रूस से रिकॉर्ड कच्चा तेल खरीदा.
By : पीटीआई- भाषा | Edited By: ऋषि कांत | Updated at : 25 Feb 2025 12:33 PM (IST)
भारत ने रूस से रिकॉर्ड स्तर पर खरीदा कच्चा तेल
Russia-Ukraine War: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध को तीन साल पूरे हो गए. जब रूसी सेना ने यूक्रेन पर हमला किया तो अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए, ताकि रूस की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो जाए, इनमें कच्चे तेल का निर्यात भी शामिल है. हालांकि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक देश भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा. बीते एक साल में भारत ने रूस से 49 अरब यूरो का कच्चा तेल खरीदा है. यह जानकारी ग्लोबल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने दी है.
वैसे तो भारत पारंपरिक रूप से पश्चिम एशिया से अपना तेल खरीदता रहा है. हालांकि उसने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के तुरंत बाद रूस से बड़ी मात्रा में तेल आयात करना शुरू कर दिया. इसका मुख्य कारण यह है कि पश्चिमी प्रतिबंधों और कुछ यूरोपीय देशों द्वारा खरीद से परहेज के कारण रूसी तेल अन्य अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क की तुलना में काफी छूट पर मिल रहा था. इसके परिणामस्वरूप भारत के रूसी तेल आयात में वृद्धि हुई, जो कुल कच्चे तेल आयात के एक प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत तक पहुंच गया.
चीन ने रूस से खरीदा सबसे ज्यादा कच्चा तेल
ऊर्जा एवं स्वच्छ वायु अनुसंधान केंद्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया, 'हमले के तीसरे वर्ष में नए बाजारों पर रूस की पकड़ मजबूत हुई है. तीन सबसे बड़े खरीदार चीन (78 अरब यूरो), भारत (49 अरब यूरो) और तुर्किये (34 अरब यूरो) रहे. आक्रमण के तीसरे वर्ष में जीवाश्म ईंधन से रूस के कुल राजस्व में इनकी हिस्सेादारी 74 प्रतिशत रही.' इसमें कहा गया भारत के आयात मूल्य में सालाना आधार पर आठ प्रतिशत की वृद्धि देखी गई.
रूस ने जीवाश्म ईंधन से कमाए 242 अरब यूरो
आक्रमण के तीसरे वर्ष में रूस की कुल वैश्विक जीवाश्म ईंधन आय 242 अरब यूरो तक पहुंच गई और यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से यह कुल 847 अरब यूरो हो गई है. भारत की कुछ रिफाइनरियों ने रूसी कच्चे तेल को पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में परिवर्तित कर दिया, जिसे यूरोप तथा अन्य जी-7 देशों को निर्यात किया गया. रूसी तेल पर कीमत में छूट (जो कभी-कभी अन्य तेलों के बाजार मूल्य से 18-20 डॉलर प्रति बैरल कम होती है) ने भारत को बहुत सस्ती दर पर तेल खरीदने का मौका दिया. हालांकि, हाल के दिन में छूट घटकर तीन डॉलर प्रति बैरल से भी कम रह गई है.
Published at : 25 Feb 2025 12:32 PM (IST)
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डॉ. राघव कुमार झा, वरिष्ठ पत्रकारJournalist
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