Stock Market Bull Run: भारत समेत दुनिया भर के शेयर बाजारों में पिछले कुछ महीनों से काफी अस्थिरता और गिरावट देखने को मिल रही थी। इसकी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वॉर और अलग-अलग हिस्सों में भूराजनीतिक तनाव था। हालांकि, अब स्थिति कुछ हद वापस सामान्य होती दिख रही है। इससे दुनियाभर के शेयर बाजारों में वापस तेजी आ रही है।
ऐसे में सवाल उठता है कि क्या शेयर बाजार बुल रन के लिए तैयार हो गए हैं? इसका जवाब जानने के लिए कुछ बातों पर गौर करना होगा।
दुनिया भर के शेयर बाजार में तेजी की वजह?
ट्रंप ने व्यापार और निवेश समझौतों पर नरम रुख अपनाने का संकेत दिया है। इससे अमेरिका-चीन संबंध में अस्थायी नरमी आई है। वॉल स्ट्रीट इसका जश्न मना रहा है। S&P 500 अब 5,958 के स्तर पर है, जो फरवरी के उच्चतम स्तर 6,148 से केवल 3% नीचे है।
वहीं, भारत की बात करें, तो NSE Nifty इंडेक्स ने भी वापसी की है। यह अब अपने उच्चतम स्तर से लगभग 5% नीचे है। बीते एक महीने में अधिकांश वैश्विक सूचकांकों ने बढ़त दर्ज की है, जिसमें टेक्नोलॉजी-प्रधान Nasdaq सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला इंडेक्स रहा है।
दुनिया भर के इंडेक्स में उछाल
इंडेक्स | 1 महीना (%) | YTD (%) |
Dow | 8.97% | 0.26% |
S&P-500 | 12.79% | 1.30% |
Nasdaq | 17.96% | -0.52% |
DAX | 12.08% | 19.38% |
FTSE 100 | 4.94% | 6.26% |
CAC 40 | 8.25% | 6.86% |
Nikkei 225 | 8.71% | -5.37% |
Shanghai Composite | 2.77% | 0.47% |
Hang Seng | 9.11% | 16.38% |
Taiwan | 12.63% | -5.17% |
KOSPI | 5.78% | 9.48% |
Nifty | 4.90% | 5.82% |
BSE Sensex | 4.81% | 5.36% |
भारत में विदेशी निवेशकों की वापसी
भारत में विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) अब शुद्ध खरीदार बन गए हैं। इससे बाजार की धारणा को बल मिला है। साल की पहली तिमाही में ₹1.16 लाख करोड़ से अधिक की बिकवाली के बाद अप्रैल और मई में अब तक लगभग ₹23,000 करोड़ का निवेश किया गया है।
इस तेजी के चलते Bharti Airtel और JSW Infrastructure जैसे बड़े ब्लॉक डील भी बाजार में लौटे हैं। इसी बीच, प्राइमरी मार्केट में भी सुधार के संकेत मिले हैं। नए वित्त वर्ष का पहला मेनबोर्ड IPO Ather Energy सफलतापूर्वक बंद हुआ है।
भारतीय बाजार में FPI का ट्रेड
महीना | नेट फ्लो (₹ करोड़ में) |
जनवरी | -78,027 |
फरवरी | -34,574 |
मार्च | -3,973 |
अप्रैल | 4,223 |
मई | 18,620 |
क्या यह तेजी जारी रह सकती है?
यह सवाल कई निवेशकों के मन में है। इसका जवाब जानने के लिए कुछ बातों का समझना जरूरी है:
ट्रंप का नरम रुख
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुरू में आक्रामक टैरिफ नीति से वैश्विक बाजारों को चौंका दिया था। लेकिन अब यह स्पष्ट हो रहा है कि यह कदम अन्य देशों को वार्ता की मेज पर लाने की रणनीति का हिस्सा था। ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौता और चीन के साथ 90 दिन की नरमी यह बताती है कि अमेरिका टैरिफ और रियायतों की मांग जारी रखेगा, लेकिन बड़ी सप्लाई चेन गंभीर रूप से बाधित नहीं होंगी। हाल ही में प्रस्तावित दवा मूल्य निर्धारण बिल को भी कमजोर कर दिया गया है।
इससे संकेत मिलता है कि ट्रंप की ओर फिलहाल कोई ऐसा बड़ा कदम नहीं उठने वाला है, जिसका शेयर बाजारों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़े। हालांकि, मामूली उतार-चढ़ाव वाले कदमों से इनकार नहीं किया जा सकता।
अमेरिका की रेटिंग में कटौती
Moody’s ने शुक्रवार को अमेरिका की संप्रभु रेटिंग को Aaa से घटाकर Aa1 कर दिया और आउटलुक को ‘नकारात्मक’ से बदलकर ‘स्थिर’ कर दिया। यह पहलू बेशक नकारात्मक है, लेकिन अमेरिका की बिगड़ती वित्तीय स्थिति को लेकर पहले से ही चिंता थी। इसके कारण पूंजी का प्रवाह डॉलर से सोने की ओर हो गया है।
इसलिए शेयर बाजार की प्रतिक्रिया सीमित रह सकती है, क्योंकि ऐसा होने की संभावना पहले से ही थी।
भारत तैयार, लेकिन पूरी रफ्तार से नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वैश्विक अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए FY26 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 6.7% से घटाकर 6.5% कर दिया है। हालांकि, वैश्विक व्यापार में सुधार के साथ भारत अनुमान से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है। RBI पहले ही FY27 में विकास दर 6.7% तक पहुंचने की संभावना जता चुका है। भारत-UK व्यापार समझौते और आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव से निर्यात के अवसर बढ़ सकते हैं।
भारत का IT सर्विसेज सेक्टर अमेरिकी व्यापार धारणा से जुड़ा हुआ है। इसमें तेजी से सुधार हो सकता है। डील्स मिलते रहे हैं, लेकिन पिछली अनिश्चितताओं के कारण ग्रोथ धीमी रही है। इसमें उछाल भारत की उपभोग-आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूती दे सकता है।
पूंजीगत व्यय और हाउसिंग मजबूत स्थिति में
बुनियादी ढांचे और आवास जैसे प्रमुख विकास चालक मजबूत स्थिति में हैं। FY25 में सुस्ती के बाद सरकार ने FY26 में पूंजीगत व्यय को ₹10.2 लाख करोड़ से बढ़ाकर ₹11.2 लाख करोड़ कर दिया है। हाउसिंग सेक्टर में भी, सुस्ती की आशंकाओं के बावजूद अधिकांश डेवलपर आशावादी बने हुए हैं।
Brigade Enterprises की एमडी पवित्रा शंकर ने CNBC-TV18 को बताया, “हम अब भी मिड, अपर-मिड, प्रीमियम और सुपर-लक्जरी सेगमेंट में मजबूत मांग देख रहे हैं और FY26 में 15% की YoY ग्रोथ का अनुमान दे रहे हैं।” Signature Global के सीईओ रजत कथूरिया ने कहा, “NCR में मांग में कोई गिरावट नहीं दिख रही है और हम आगे 20% YoY ग्रोथ की उम्मीद कर रहे हैं। सीमित सप्लाई के चलते कीमतें बढ़ती रहेंगी।”
Godrej Properties के सीईओ गौरव पांडे ने कहा, “मीडिया में नकारात्मक बातें हो सकती हैं, लेकिन हमारे नंबर अधिकतर इस बात पर निर्भर करते हैं कि हमें समय पर लॉन्च अप्रूवल मिले। हमने साल का समापन ₹10,000 करोड़ की मजबूत बिक्री के साथ किया है। हमारा व्यापक भौगोलिक विस्तार और विविध पेशकश मजबूत मांग चला रही है।”
कंस्ट्रक्शन और इससे जुड़े सेक्टर में तेजी
भारत का रियल एस्टेट सेक्टर हेल्दी बना हुआ है, जिससे निर्माण गतिविधियां तेज बनी रहेंगी। बड़े शहरों में यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, विशेषकर मुंबई जैसे स्थानों में री-डेवलपमेंट एक्टीविटीज में तेजी आई है। इसके चलते निर्माण सामग्री और होम प्रोडक्ट्स की मांग मजबूत बनी रहने की उम्मीद है।
ग्रामीण खपत में सुधार लेकिन...
शेयर बाजार में तेजी और निवेशकों की बढ़ती आशावादिता प्रीमियम और लग्जरी खपत को समर्थन देती रहेगी। ग्रामीण मांग में भी सुधार दिख रहा है, हालांकि कंपनियां अभी भी शहरी मांग में पूर्ण बहाली को लेकर सतर्क हैं।
कमजोर नौकरी बाजार शहरी खपत पर असर डाल रहा है। हालिया भू-राजनीतिक असंतुलनों के कारण अगर व्यापार का विस्तार होता है, तो घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों पर मांग को गति मिल सकती है।
वैल्यूएशन को लेकर चिंता बरकरार
शेयर बाजार में तेजी तभी टिक पाएगी, जब वास्तविक विकास दिखाई देगा। हालिया तेजी ने फिर से वैल्यूएशन को ऊंचा कर दिया है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच कई विशेषज्ञ आर्थिक अनुमानों को लेकर सतर्क हैं।
एक समझादरी भरा तरीका है- इतिहास के Price-to-Book अनुपात के आधार पर वैल्यूएशन को देखना। इस दृष्टिकोण से BSE Sensex का मौजूदा वैल्यूएशन 4x से अधिक है, जो ऊंचा माना जाता है। हालांकि, अतीत में 2005–08 के बुल रन के दौरान यह स्तर पार हो चुका है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
अब शेयर बाजार की दिशा मुख्य रूप से नए विकास संकेतों पर निर्भर करेगी। ऊंचे वैल्यूएशन के कारण थोड़ी सी भी नकारात्मक खबरों से करेक्शन का खतरा बढ़ सकता है।
ऐसे में एक्सपर्ट का मानना है कि निवेशकों के लिए यह समय नए निवेश को बढ़ाने के लिहाज से सही नहीं है। हालांकि, बाजार से पूरी तरह बाहर निकलने की भी जरूरत नहीं है। बाजार अक्सर ऊपर और नीचे, दोनों ओर चौंका सकते हैं, इसलिए किसी निर्णायक कदम से पहले स्पष्ट संकेतों का इंतजार करना बेहतर है।
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