इस महीने FII (विदेशी निवेशक) ने इंडिया में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन, 20 मई को उन्होंने एक दिन में 10,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की।
इस हफ्ते की शुरुआत स्टॉक मार्केट में बंपर तेजी के साथ हुई थी। एक दिन में मार्केट 3.8 फीसदी चढ़ गया था। लेकिन, उसके बाद मार्केट में उतारचढ़ाव दिखा है। 25,000 प्वाइंट्स पर पहुंचने के बाद निफ्टी 24 मई को 24,500 के नीचे आ गया। फिर बाद में उसमें रिकवरी आई। मार्केट्स के इस उतारचढ़ाव ने इनवेस्टर्स को कनफ्यूज कर दिया है। उनके मन में यह सवाल है कि क्या यह खरीदारी करने का समय है, प्रॉफिट बुक करने का समय है या मार्केट से कुछ वक्त तक दूर रहने में भलाई है?
मार्केट्स में ज्यादा उतारचढ़ा की असली वजह
पिछले कुछ दिनों में बाजार में बड़े उतारचढ़ाव (Market Volatility) की वजह बॉन्ड यील्ड (Bond Yield) रही है। अमेरिकी बॉन्ड्स और इंडिया में बॉन्ड्स की बीच की यील्ड का फर्क काफी घटा है। यह सिर्फ 165 बेसिस प्वाइंट्स रह गया है। यह फर्क बीते दशकों में सबसे कम है। सवाल है कि यील्ड के बीच घटते फर्क की क्या वजह है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भले ही जुलाई तक रेसिप्रोकल टैरिफ पर रोक लगा दी है। लेकिन, इसका असर अमेरिका में इनफ्लेशन के आउटलुक पर पड़ा है। दूसरा, मूडीज ने अमेरिकी डेट की रेटिंग घटाई है। तीसरा, पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता की वजह से दुनियाभर में केंद्रीय बैंक अमेरिकी बॉन्ड्स बेच रहे हैं।
दो दशकों में पहली बार यील्ड के बीच इतना कम फर्क
इन वजहों से अमेरिका में 10 साल के सरकारी बॉन्ड्स की यील्ड बढ़कर 4.5 फीसदी से ज्यादा हो गई है। 30 साल के बॉन्ड्स की यील्ड 5 फीसदी से ऊपर चल रही है। इधर, इंडिया में चीजें बेहतर दिख रही हैं। इनफ्लेशन 4 फीसदी से नीचे बना हुआ है। अप्रैल में यह 3.16 फीसदी पर आ गया। यह बीते छह सालों में सबसे कम है। हालांकि, कोर सेक्टर्स की ग्रोथ घटी है। इंडिया के इंडस्ट्रियल प्रोडक्शंस में कोर सेक्टर की हिस्सेदारी 40 फीसदी से ज्यादा है। इससे इंटरेस्ट रेट घटने की उम्मीद बढ़ी है। इस साल RBI पहले ही इंटरेस्ट रेट 50 बेसिस प्वाइंट्स घटा चुका है। इस साल के अंत तक वह इंटरेस्ट रेट में और 50 बेसिस प्वाइंट्स की कमी कर सकता है।
चीन के सस्तें शेयरों में बढ़ी इनवेस्टर्स की दिलचस्पी
अमेरिकी बॉन्ड्स और इंडियन बॉन्ड्स की यील्ड के बीच का फर्क घटने का मतलब है कि विदेश में कर्ज लेकर इंडिया में इनवेस्ट करने वाले इनवेस्टर्स का प्रॉफिट घटा है। इसके अलावा यील्ड बढ़ने का मतलब है कि बॉन्ड्स की कीमतें घट रही हैं। ऐसे में शेयरों के मुकाबले बॉन्ड्स में निवेश करना अट्रैक्टिव हो जाता है। दूसरा, अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर समझौते का निगेटिव असर भी इंडियन स्टॉक मार्केट्स पर पड़ा है। उधर, चीन अपनी इकोनॉमी को सहारा देने के लिए एक बाद दूसरे उपायों का ऐलान कर रहा है। इससे निवेशकों को कम कीमत पर मिल रहे चाइनीज कंपनियों के स्टॉक्स ज्यादा अट्रैक्टिव लग रहे हैं।
विदेशी निवेशकों की बड़ी बिकवाली
इस महीने FII (विदेशी निवेशक) ने इंडिया में 20,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था। लेकिन, 20 मई को उन्होंने एक दिन में 10,000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। यह फरवरी के बाद किसी एक दिन में विदेशी संस्थागत निवेशकों की सबसे बड़ी बिकवाली थी। उसके बाद उन्होंने 23 मई को और 5000 करोड़ रुपये की बिकवाली की। इसका असर मार्केट पर पड़ा। हालांकि, अच्छी बात यह है कि अमेरिका में पॉलिसी को लेकर अनिश्चितता की वजह से डॉलर कमजोर हुआ है। इससे डॉलर में निवेश का आकर्षण घटा है।
इनवेस्टर्स को अभी क्या करना चाहिए?
अब सबसे बड़ा सवाल है कि इनवेस्टर्स को अभी क्या करना चाहिए? अभी जो स्थितियां हैं, उन्हें देखते हुए तस्वीर अच्छी नहीं दिख रही है। FY25 में प्राइवेट सेक्टर में पूंजीगत खर्च में सुस्ती जारी रही। कंपनियों के चौथी तिमाही के नतीजें भी मिलेजुले रहे हैं। एनालिस्ट्स का कहना है कि अर्निंग्स पर दबाव जारी रह सकता है। हालांकि, अमेरिका में अनिश्चितता बढ़ने से इंडियन मार्केट्स में विदेशी निवेशकों का निवेश बढ़ सकता है। इससे मार्केट में बीच-बीच में तेजी दिख सकती है।
यह भी पढ़ें: SEBI ने दिव्यांगों के लिए लिया बड़ा फैसला, डिजिटल KYC सुविधा देने को कहा
घरेलू संस्थागत निवेशक अच्छा निवेश कर रहे हैं। इसका असर भी मार्केट्स पर पड़ेगा। कुल मिलाकर ऐसा लगता है कि शॉर्ट टर्म में मार्केट में उतारचढ़ाव जारी रह सकता है। ऐसे में शेयरों का सेलेक्शन बहुत मायने रखेगा। लंबी अवधि के इनवेस्टर्स उन कंपनियों के स्टॉक्स पर निवेश कर सकते हैं, जिनकी कीमतें अट्रैक्टिव लेवल पर आ गई हैं।
अनन्या रॉय
(रॉय क्रेडिटबुल कैपिटल की फाउंडर हैं। यहां व्यक्त विचार उनके निजी विचार हैं। इसका इस पब्लिकेशन से कोई संबंध नहीं है।)
टिप्पणियाँ