हिंदी न्यूज़बिजनेसTesla का जिक्र आते ही धड़ाम से गिरा शेयर मार्केट, M&M के शेयरों में आई भारी गिरावट; आखिर क्यों?
Share Market: ऑटो सेक्टर की दिग्गज कंपनी Mahindra And Mahindra के शेयर में आज 6 परसेंट की भारी गिरावट देखी गई. कंपनी के शेयर का भाव लुढ़ककर 2500 रुपये के करीब आ गया.
By : एबीपी बिजनेस डेस्क | Edited By: Arijita Sen | Updated at : 21 Feb 2025 06:58 PM (IST)
शेयर मार्केट
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Share Market: भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार लाल निशान पर बंद हुआ. आज कारोबार के अंत तक सेंसेक्स 424 अंक टूटकर या 0.56 परसेंट की गिरावट के साथ 75,311 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 117 अंक फिसलकर या 0.51 परसेंट की कमजोरी के साथ 22,795 पर आ गया. इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में देखने को मिला.
M&M के शेयर में आई भारी गिरावट
इस गिरावट की सबसे बड़ी वजह ऑटो सेक्टर की बड़ी कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra And Mahindra Ltd) के शेयर रहे. M&M के शेयर में आज 6 परसेंट तक की भारी गिरावट आई. इसका निफ्टी-50 पर दबाव बढ़ा. शुक्रवार को 2,815.20 रुपये के लेवल पर ओपन होने के बाद इसमें और गिरावट आई और यह 2653.25 रुपये के इंट्राडे लो पर पहुंच गया. अब सवाल यह आता है कि M&M के शेयर में आई इस बड़ी गिरावट की वजह क्या है?
नई EV पॉलिसी को जिम्मेदार बता रहे एक्सपर्ट्स
मार्केट एक्सपर्ट्स इस गिरावट के पीछे नई EV पॉलिसी को जिम्मेदार बता रहे हैं. बताया जा रहा है कि सरकार जल्द से जल्द इसका ऐलान कर सकती है. इसका मकसद इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली विदेशी कंपनियों को देश में निवेश के लिए लुभाना है.
इस पॉलिसी में देश में सालाना इलेक्ट्रिक वाहनों के आयात (सालाना 8,000 कारें) पर रियायती कस्टम ड्यूटी (वर्तमान में 110 परसेंट के मुकाबले 15 परसेंट पर) का भी लाभ मिलने की बात कही गई है. इसके अलावा, सरकार मैन्युफैक्चरिंग प्लांट के साथ-साथ चार्जिंग स्टेशन पर इंवेस्टमेंट को भी छूट के दायरे में लाने पर विचार कर रही है. इसके साथ ही इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली विदेशी कंपनियों को तीन साल में 4,150 करोड़ रुपये निवेश के दायरे में चार्जिंग स्टेशन पर किए जाने वाले निवेश भी आ जाएंगे.
नई EV पॉलिसी के पीछे यह है सरकार का मकसद
ऑटो सेक्टर के स्टॉक्स में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेस्ला जैसी कई विदेशी कंपनियां इम्पोर्ट ड्यूटी में लगातार कटौती की मांग कर रही है. अब नई EV पॉलिसी के साथ सरकार चाहती है कि ये कंपनियां देश में निवेश करें, मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाएं और शुल्क में छूट का भी लाभ उठाएं. अब अगर विदेशी कंपनियों के वाहनों को इम्पोर्ट ड्यूटी में छूट मिलेगी, तो इसका असर घरेलू ऑटो कंपनियों की बिक्री पर देखने को मिल सकता है.
शेयर मार्केट में गिरावट के लिए ये भी जिम्मेदार
बाजार में दबाव का बड़ा कारण विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली भी है. FIIs ने अब तक भारतीय शेयर बाजार से करीब 11.75 बिलियन डॉलर के शेयर बेच डाले हैं. इसके अलावा, टाटा मोटर्स जैसी कई ऑटो कंपनियों के तीसरी तिमाही के नतीजे उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा फार्मा, सेमीकंडक्टर और ऑटोमोबाइल पर 25 परसेंट या उससे ज्यादा टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद से बाजार में अस्थिरता का माहौल है.
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Published at : 21 Feb 2025 06:58 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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