2 दिन पहले 1

Waqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून मामले में बहस पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाWaqf Amendment Act: वक्फ संशोधन कानून मामले में बहस पूरी, सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा फैसला

16 अप्रैल को पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की बेंच ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ दाखिल 72 याचिकाओं पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने इस सुनवाई में हियरिंग के लिए याचिकाओं की संख्या 5 पर सीमित कर दी थी.

By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: नीलम राजपूत | Updated at : 22 May 2025 05:40 PM (IST)

वक्फ संशोधन कानून, 2025 के विरोध में दाखिल याचिकाओं पर गुरुवार (22 मई, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है. मुख्य न्यायाधीश भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने केंद्र और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया. याचिकाकर्ताओं ने वक्फ कानून में किए गए बदलावों पर रोक की मांग की थी.

सीजेआई गवई और जस्टिस मसीह की बेंच 20 मई से लगातार मामले पर सुनवाई कर रही थी. उससे पहले अप्रैल में पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के पास यह मामला था. लोकसभा और राज्यसभा से पास होने के बाद 5 अप्रैल, 2025 को राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने वक्फ संशोधन बिल को मंजूरी दी थी और इसके साथ ही यह कानून के तौर पर लागू हो गया. हालांकि, राष्ट्रपति की मंजूरी से पहले और बाद में असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना अरशद मदनी, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा समेत कई बड़े नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर कानून पर रोक लगाने की मांग कर दी.

दाखिल हुई थीं 100 से ज्यादा याचिकाएं
कोर्ट में 100 से ज्यादा याचिकाकर्ता कानून को चुनौती देने पहुंचे थे, लेकिन पूर्व सीजेआई संजीव खन्ना ने इनकी संख्या सीमित करके 5 कर दी. 16 अप्रैल को पहली सुनवाई में 72 याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी, लेकिन फिर जस्टिस खन्ना ने निर्देश दिया कि अगली सुनवाई में सिर्फ 5 पर ही सुनवाई होगी क्योंकि सबमें लगभग एक जैसी ही बातें हैं.

याचिकाकर्ताओं को किन बदलावों पर है आपत्ति?
तीन दिनों की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की तरफ से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन समेत पांच वकील पेश हुए. उन्होंने वक्फ कानून के मुख्यरूप से उन बदलावों पर आपत्ति जताई है, जिनमें संपत्ति और वक्फ बाय यूजर का रिजस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया है. उनकी आपत्ति है कि 100-200 साल पुरानी संपत्तियों के कागजात कहां से आएंगे. अगर कोई ये कागजात न दे सका तो प्रॉपर्टी वक्फ नहीं रहेगी और सरकार के पास चली जाएगी. उनका कहना है कि कब्रिस्तान, मस्जिदों की जमीन इस तरह वापस लेना ठीक नहीं है. 

याचिकाकर्ताओं ने सरकार और वक्फ बोर्ड के विवाद में निर्णय सरकारी अधिकारी को ही दिए जाने, वक्फ बोर्ड और काउंसिल में गैर मुस्लिमों की एंट्री और वक्फ करने के लिए कम से कम 5 साल मुस्लिम होने की शर्त जैसे मुद्दे भी बेंच के सामने रखे. 20 मई को बहस की शुरुआत करते हुए सिब्बल ने कहा कि नया कानून वक्फ की संपत्ति हड़पने के मकसद से बनाया गया लगता है. कपिल सिब्बल ने कहा कि पुराने कानून में वक्फ के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था थी, लेकिन ऐसा न होने पर मुतवल्ली को दंड देने का प्रावधान था. नया कानून अनरजिस्टर्ड संपत्ति का वक्फ का दर्जा ही खत्म कर देगा. वक्फ बाय यूजर के रजिस्ट्रेशन को भी अनिवार्य किया गया है, लेकिन किसी पुरानी संपत्ति का सिर्फ यूज (इस्तेमाल) कर रहे व्यक्ति के पास उसके दस्तावेज होना मुश्किल है.

केंद्र ने याचिकाकर्ताओं की आपत्तियों पर क्या कहा?
केंद्र का पक्ष रखने के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने कहा कि कोई भी याचिकाकर्ता ऐसा नहीं है जो कानून से व्यक्तिगत रूप से प्रभावित हो. उन्होंने कहा कि लाखों लोगों की सलाह लेकर कानून बनाया गया, कुछ लोग खुद को पूरे मुस्लिम समाज का प्रतिनिधि नहीं बता सकते हैं. उन्होंने कहा कि वक्फ कानून में 1923 से ही कमी चली आ रही थी, जिसे दुरुस्त किया गया है.

तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि रजिस्ट्रेशन के लिए 6 महीने का समय दिया गया है, अगर कोई संपत्ति या वक्फ बाय यूजर रजिस्टर्ड नहीं है तो उसके पास अब भी समय है. उन्होंने कहा कि 1923 से 1995 के कानून तक व्यवस्था थी कि सिर्फ मुस्लिम ही वक्फ कर सकता था. 2013 में चुनाव से पहले कानून बना दिया गया कि कोई भी वक्फ कर सकता है, उसमें सरकार ने सुधारा किया है. इस वजह से वक्फ करने के लिए कम से कम 5 साल से इस्लाम धर्म का पालन करने की शर्त रखी गई है.

एसजी तुषार मेहता ने सवाल किया कि अगर कोई किसी जगह का इस्तेमाल कर रहा है और उसके पास उस जगह के कागजात नहीं हैं और उसका दावा है कि वह अनरजिस्टर्ड वक्फ बाय यूजर है, जबकि सरकार के रिकॉर्ड में संपत्ति सरकारी है तो क्या इसकी जांच नहीं होगी? सरकारी अधिकारी से संपत्ति की जांच की याचिकाकर्ताओं की आपत्ति पर केंद्र ने कहा कि भू-राजस्व रिकॉर्ड की जांच रेवेन्यू अधिकारी करेंगे. वह कोई अंतिम स्वामित्व नहीं तय कर देंगे. अगर उनके फैसले से किसी पक्ष को आपत्ति है तो वह कोर्ट जा सकते हैं. इस पर याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लेकिन इस पूरी ड्यूरेशन में संपत्ति वक्फ नहीं रहेगी, बल्कि जैसे ही कोई संपत्ति पर दावा करता है, तभी से वक्फ का कब्जा खत्म हो जाएगा और दावे का अधिकार हर किसी को है.

Published at : 22 May 2025 04:54 PM (IST)

हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें ABP News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ लाइव पर पढ़ें बॉलीवुड, लाइफस्टाइल, न्यूज़ और खेल जगत, से जुड़ी ख़बरें

Sponsored Links by Taboola

 '... कल को लखनऊ का इमामबाड़ा भी मांग लिया तो', सिब्बल की दलील पर CJI गवई ने जो कहा, जरूर पढ़ें

'कल को लखनऊ का इमामबाड़ा भी मांग लिया तो', सिब्बल की दलील पर CJI गवई ने जो कहा, जरूर पढ़ें

राजस्थान में IMD ने जारी किया रेड अलर्ट, आसमान से बरसेगी आग, सीवियर हीट वेव की चेतावनी

राजस्थान में IMD ने जारी किया रेड अलर्ट, आसमान से बरसेगी आग, सीवियर हीट वेव की चेतावनी

'बारिश सिर्फ बहाना, बंगाल के साथ की गई साजिश', IPL फाइनल का बदला वेन्यू तो TMC ने बीजेपी पर लगाए आरोप

'बारिश सिर्फ बहाना, बंगाल के साथ की गई साजिश', IPL फाइनल का बदला वेन्यू तो TMC ने बीजेपी पर लगाए आरोप

 शिमरी बॉडीकॉन में कान्स के रेड कार्पेट पर उतरीं अदिति, व्हाइट साड़ी में हुस्न परी लगीं जाह्नवी कपूर

शिमरी बॉडीकॉन गाउन में दिखीं अदिति, व्हाइट साड़ी में हुस्न परी लगीं जाह्नवी

Morgan Santley ने भारत की GDP Growth Forecast को दिखाया Green Flag, सालभर कैसी रही Economy? Mumbai में ज्योति क्यों कर रही थी रेकी? | Salman Khan | India-Pak tension प्रदेश के हर युवा को Business शुरू करने के लिए देगी ₹5 लाखPM Modi ने Bikaner में कहा, जो सिंदूर मिटाने निकले थे, उन्हें मिट्टी में मिला दिया | ABP News

पूरा लेख पढ़ें

ट्विटर से

टिप्पणियाँ