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एफएमसीजी इंडेक्स 21 महीने के निचले स्तर पर

मांग और मुद्रास्फीति दबाव की वजह से बीएसई एफएमसीजी सूचकांक मंगलवार को दिन के कारोबार में 21 महीने के निचले स्तर पर आ गया।

Last Updated- March 04, 2025 | 10:21 PM IST

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मंगलवार को एफएमसीजी कंपनियों के शेयर दबाव में रहे। मांग और मुद्रास्फीति दबाव की वजह से बीएसई एफएमसीजी सूचकांक मंगलवार को दिन के कारोबार में 21 महीने के निचले स्तर पर आ गया। विश्लेषकों का मानना है कि शहरी मांग का रुझान सुस्त है और मुद्रास्फीति के चरम पर पहुंचने तथा आयकर दरों में कटौती के अपेक्षित लाभ से सुधार काफी धीरे-धीरे होने की संभावना है। बीएसई एफएमसीजी सूचकांक 1 फीसदी गिरकर 18,196.88 पर आ गया जो जून 2023 के बाद से इस सूचकांक का सबसे निचला स्तर है। जून 2023 में इस सूचकांक ने 18,111.20 का निचला स्तर बनाया था। मंगलवार को एफएमसीजी सूचकांक 0.40 फीसदी गिरकर 18,317.32 पर बंद हुआ जबकि बीएसई के सेंसेक्स में 0.13 फीसदी की गिरावट आई।

पिछले एक महीने में, बीएसई एफएमसीजी सूचकांक 12 फीसदी कमजोर हुआ है जबकि सेंसेक्स में 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। पिछले 6 महीने में एफएमसीजी सूचकांक 21 फीसदी नीचे आया है जबकि सेंसेक्स में 11 फीसदी की गिरावट आई है। हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर इंडिया, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, मैरिको, कोलगेट-पामोलिव (इंडिया) और गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट्स (जीसीपीएल) गुरुवार को बीएसई पर 1 से 2 प्रतिशत के बीच गिर गए। पिछले 6 महीने में ये शेयर 35 फीसदी तक लुढ़के हैं।

कमजोर मांग और मुद्रास्फीति के कारण आय पर दबाव होने से एफएमसीजी कंपनियों के मूल्यांकन में गिरावट देखी गई है। ऊंची बेरोजगारी और धीमी मजदूरी वृद्धि के कारण शहरी क्षेत्रों में मांग वृद्धि सुस्त पड़ी है जबकि ग्रामीण भारत में पिछले साल सरकारी हस्तक्षेप और सामान्य मॉनसून के बाद इसमें इजाफा हुआ है।

एफएमसीजी क्षेत्र ने वित्त वर्ष 2025 की दिसंबर तिमाही में एक बार फिर से सुस्त प्रदर्शन दर्ज किया। इस क्षेत्र ने एक अंक की राजस्व वृद्धि दर्ज की जो 2-4 प्रतिशत की कमजोर बिक्री वृद्धि से प्रभावित हुई। इसकी वजह यह भी रही कि शहरी बिक्री वृद्धि लगातार तीसरी तिमाही में कमजोर रही जबकि ग्रामीण मांग में थोड़ा-बहुत सुधार देखा गया। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज ने कहा कि कच्चे माल की ऊंची लागत और प्रतिस्पर्धी दबाव के परिणामस्वरूप अधिकांश उपभोक्ता वस्तु कंपनियों के लिए एबिटा मार्जिन में 50 से 350 आधार अंक की गिरावट आई है।

वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में पाम तेल कीमतों में अचानक आई तेजी ने एफएमसीजी कंपनियों को चौंका दिया। घरेलू तेल उत्पादन की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा नए शुल्क लगाए जाने से कीमतें ज्यादा चढ़ गईं। ज्यादा हेजिंग न होने से एफएमसीजी कंपनियों के मार्जिन में भारी गिरावट आई है।

एमके ग्लोबल फाइनैं​शियल सर्विसेज के विश्लेषकों ने इस क्षेत्र पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारे एफएमसीजी कवरेज में बीकाजी, ब्रिटानिया और गोदरेज कंज्यूमर ऊंचा मार्जिन आधार दर्ज कर रहे हैं, जिससे आय पर दबाव बने रहने की आशंका है।

First Published - March 4, 2025 | 10:21 PM IST

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