हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाकुआं ही नहीं, संभल मस्जिद भी सरकारी जमीन पर है... योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को क्या-क्या बताया?
यूपी सरकार की स्टेटस रिपोर्ट में कहा गया कि जामा मस्जिद कमेटी के अधिकारी सरकारी जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि कुआं सार्वजनिक भूमि पर है.
By : निपुण सहगल | Edited By: नीलम राजपूत | Updated at : 24 Feb 2025 05:40 PM (IST)
संभल मस्जिद मामले में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी स्टेटस रिपोर्ट
संभल में शाही जामा मस्जिद के पास के कुंए को उत्तर प्रदेश सरकार ने उन 19 प्राचीन कुंओं में से एक बताया है, जिनके जीर्णोद्धार की योजना है. सोमवार (24 फरवरी, 2025) को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल स्टेटस रिपोर्ट में राज्य सरकार ने कहा है कि कुंआ सार्वजनिक जमीन पर है. उसे मस्जिद का हिस्सा बताने वाला दावा झूठा है.
ध्यान रहे कि शाही मस्जिद के असल मे हरिहर मंदिर होने को लेकर कानूनी विवाद चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्यवाही पर अंतरिम रोक लगा रखी है. इस बीच मस्जिद कमेटी ने संभल में प्राचीन कुंओं की तलाश और खुदाई के खिलाफ याचिका दाखिल कर दी. मस्जिद पक्ष के खास तौर पर परिसर के पास के कुंए को लेकर यथास्थिति बनाए रखने की मांग की. कमेटी का कहना था कि कुएं की खुदाई और उसे मंदिर का कुंआ कहने से वहां पूजा शुरू हो जाएगी. 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संभल में शाही जामा मस्जिद के पास के कुंए को हरि मंदिर का कुंआ कहने वाले नगरपालिका के नोटिफिकेशन पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी को अगली सुनवाई की बात कहते हुए यूपी सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी. अब यूपी सरकार ने जवाब दाखिल कर कहा है :-
-मस्जिद कमेटी ने गलत फोटोग्राफ पेश कर कोर्ट को भ्रमित करने की कोशिश की है. कुंआ मस्जिद परिसर के पास है, उसके अंदर नहीं. कुंए का मस्जिद से कोई संबंध नहीं. शाही मस्जिद खुद ही सार्वजनिक जमीन पर बनी है.
-लंबे समय से कुंए का उपयोग सभी समुदाय के लोग करते रहे है. 1978 में हुए साम्प्रदायिक दंगों के बाद कुंए के एक हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई. दूसरा हिस्सा इसके बाद भी इस्तेमाल में बना रहा. लेकिन 2012 के आसपास इस कुंए को ढंक दिया गया.
-यह कुंआ उन 19 प्राचीन कुंओं में से एक है, जिनका जिला प्रशासन जीर्णोद्धार करने में लगा है. इन ऐतिहासिक कुंओं से संभल को सांस्कृतिक पहचान मिलेगी.
-नई सांस्कृतिक पहचान से बड़ी संख्या में पर्यटक आकर्षित होंगे. प्रशासन की योजना परिक्रमा पथ, साइन बोर्ड जैसी बहुत सी सुविधाओं के विकास की भी है. मस्जिद कमेटी इलाके के विकास को रोकने की कोशिश कर रही है.
-इस कुंए में अभी पानी नहीं है. प्रशासन का उद्देश्य इस कुंए के जरिए रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, वॉटर रिचार्ज और दूसरे मकसद को पूरा करना भी है.
-सरकार इलाके में लगातार शांति सद्भावना बनाए रखने में लगी है. सार्वजनिक कुओं के इस्तेमाल से रोकना इस लिहाज से भी ठीक नहीं रहेगा.
मंगलवार को होने वाली सुनवाई में हिंदू पक्ष भी अपनी बात रखेगा. पिछली सुनवाई में हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा था कि 2006 तक हिंदू उस कुएं में पूजा करते थे. इलाके में एक समुदाय की संख्या बढ़ जाने से हिदुओं ने वहां जाना बंद कर दिया. वह इस बारे में सबूत कोर्ट के सामने रखेंगे.
Published at : 24 Feb 2025 05:14 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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