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'चखानी होगी कड़वी दवा', उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किससे और क्यों कही ये बात?

हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया'चखानी होगी कड़वी दवा', उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने किससे और क्यों कही ये बात?

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में कहा कि हमें उन लोगों को पहचानना होगा जो संविधान का विरोध करते हैं और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं.

By : अंकित गुप्ता | Edited By: अविनाश झा | Updated at : 22 Apr 2025 02:41 PM (IST)

Jagdeep Dhankhar News: भारत के संविधान के 75 साल के मौके पर दिल्ली यूनिवर्सिटी में चल रहे कार्यक्रम के दौरान देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि हमको ऐसे लोगों को पहचानना होगा जो देश के संविधान का विरोध करते हैं, प्रदर्शन करते हुए सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि अगर ऐसे लोग समझाने से नहीं समझते तो उनको कड़वी दवा का स्वाद भी चखाना होगा.

दिल्ली यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जब हम संविधान की बात करते हैं तो हमको दो दिन याद आते हैं एक संविधान दिवस और दूसरा संविधान हत्या दिवस. जगदीप धनखड़ ने कहा कि 1975 में देश पर थोपी गई इमरजेंसी संविधान की हत्या के तौर पर याद की जाती है क्योंकि वहां पर लोगों के मौलिक अधिकार तक उनसे छीन लिए गए थे, यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक काला अध्याय है.

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कही ये बड़ी बात

इस दौरान उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि, "हमको ऐसे लोगों से सतर्क रहने की जरूरत जो हमारे दिमाग को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं." धनखड़ ने कहा आपको ऐसे लोगों को पहचानना होगा और उनके मंसूबों को नाकामयाब करना होगा जो लोग पैसे के लिए, दूसरे देशों के हित के लिए, यह ताकत के बल पर प्रभावित करने की कोशिश करते हैं. उपराष्ट्रपति ने कहा कि आपको ऐसे लोगों को पहचानना होगा जो बंटवारे की बात करते हैं.

इस दौरान जगदीप धनखड़ ने कार्यक्रम में मौजूद लोगों को संदेश देते हुए कहा "हमको ऐसे लोगों से सावधान रहना होगा और हम इसको स्वीकार नहीं कर सकते कि ऐसे लोग जो एक नीति के तहत हमारे संवैधानिक संस्थाओं के ऊपर सवाल खड़े करते हैं, लोगों की छवि पर सवाल उठाते हैं, संवैधानिक पद पर बैठे हुए लोग जो बोलते हैं उनको देश को ध्यान में रखकर बोलना चाहिए."

इस दौरान उपराष्ट्रपति ने हिंसक प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारा लोकतंत्र ऐसे लोगों को कैसे स्वीकार कर सकता है, जो संविधान को चुनौती देते हो, देश की कानून व्यवस्था पर जिनको विश्वास ना हो, सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाते हों, सार्वजनिक सड़कों को बंद कर लोगों को परेशान करते हो. हालांकि कानून अपना काम कर रहा है पर हमको भी ऐसे लोगों को पहचानना होगा. पहले ऐसे लोगों को समझना होगा और अगर नहीं समझते तो फिर उनको कड़वी दवा का स्वाद चखाना होगा.

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Published at : 22 Apr 2025 02:41 PM (IST)

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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार

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