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जब थरूर की तरह विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा गया था UN, पाकिस्तान को दिखाई थी औकात

हिंदी न्यूज़जनरल नॉलेजजब थरूर की तरह विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भेजा गया था UN, पाकिस्तान को दिखाई थी औकात

Atal Bihari Expose Pak In UN: मोदी सरकार की ओर से शशि थरूर अमेरिका और ब्रिटेन का दौरा करेंगे. कभी इसी तरह से नरसिम्हा राव की सरकार में अटल बिहारी को भी यूएन में पाक को एक्सपोज करने के लिए भेजा गया था.

By : एबीपी लाइव | Edited By: निधि पाल | Updated at : 18 May 2025 11:24 AM (IST)

पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस नेता शशि थरूर भाजपा और पीएम मोदी के बड़े करीब नजर आ रहे थे. इसकी वजह यह है कि शशि थरूर को मोदी सरकार की ओर से अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है. यह मामला राष्ट्रहित का है और मोदी सरकार ने फैसला लिया है कि भारतीय सांसदों का डेलिगेशन विदेशों का दौरा करेंगे और पाक समर्थित आतंकवाद की जानकारी देंगे. इस डेलिगेशन में शशि थरूर का भी नाम है. शशि थरूर के साथ-साथ कांग्रेस के और भी सांसद विदेशों का दौरे पर जाने वाले हैं. मोदी सरकार ने इसके जरिए पीवी नरसिम्हा राव की कूटनीति पर चलने का फैसला किया है. उस दौर में नरसिम्हा राव ने पाकिस्तान की औकात दिखाने के लिए विपक्ष से अटल बिहारी वाजपेयी को यूएन भेजा था. चलिए इस बारे में थोड़ा विस्तार से जानें.

अटल बिहारी की वजह के गिर गया था पाक का प्रस्ताव

1994 की बात है जब तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार के सत्र में एक प्रतिनिधिमंडल को भेजने का फैसला किया था. इसका उद्देश्य था कि कश्मीर समस्या पर भारत का पक्ष रखा जाए और पाकिस्तान द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव को असफल किया जाए, जिसमें दिल्ली की निंदा की जाती थी. उस वक्त यह प्रस्ताव इतना सफल रहा था कि अटल बिहारी के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की वजह के पाक का प्रस्ताव गिर गया था. 

विदेश नीति के धुरंधर थे अटल बिहारी

अटल बिहारी को विदेश नीति का धुरंधर माना जाता था. तभी नरसिम्हा राव ने अटल बिहारी के साथ कश्मीर के फारूक अब्दुल्ला और उस दौर के विदेश राज्य मंत्री सलमान खुर्शीद भी थे. संयुक्त राष्ट्र के बारे में गहन जानकारी के साथ-साथ प्रतिनिधिमंडल को मजबूत करना था, इसके लिए संयुक्त राष्ट्र में भारत के तत्कालीन राजदूत हामिद अंसारी को भी शामिल किया था. अटल बिहारी वाजपेयी ने पार्टी लाइन से हटकर मित्रवत संबंध मजबूत किए थे. राजनीतिक करियर में उनका भरोसा हमेशा व्यक्तिगत समीकरणों पर रहा है. पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के साथ भी उनके खास संबंध थे, जो कि राजनीति में हमेशा से चर्चा में थे.  

वापसी पर हुआ था शानदार स्वागत

अटल बिहारी ने जिनेवा में जाकर दिखा दिया था कि जब राष्ट्र की बात आती है तो पूरा देश एकजुट हो जाता है और इस कूटनीति ने भी दुनिया को यह दिखा दिया था कि कश्मीर मुद्दे पर हमेशा से भारत का इरादा गंभीर ही रहा है. अटल बिहारी ने विदेशी धरती पर पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई थी. इस सफलता के तुरंत बाद जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट का प्रमुख जावेद मीर पकड़ लिया गया था. वहीं जब जिनेवा से जीतकर भारतीय प्रतिनिधिमंडल लौटा तो उसका स्वागत ऐसे किया गया जैसे जीत के बाद क्रिकेटर्स का किया जाता है.

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Published at : 18 May 2025 11:23 AM (IST)

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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार

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