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ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ से किन शेयरों के आएंगे बुरे दिन, किन्हें हो सकता है फायदा?

मूडीज का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ से TCS और Infosys को सबसे कम नुकसान पहुंचने की उम्मीद है

शेयर बाजारों में इन दिनों सुस्ती का माहौल है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले महीने 2 अप्रैल से भारत समेत दुनिया के कई देशों पर रेसिप्रोकल टैक्स लागू करने का ऐलान किया है। मार्केट एक्सपर्ट्स यह समझने में लगे है कि अगर ऐसा होता है तो किन भारतीय कंपनियों को नुकसान होगा और कौन-से शेयर इससे फायदा उठा सकते हैं? ग्लोबल रेटिंग एजेंसी मूडीज ने इसे लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट निकाली है। मूडीज की रिपोर्ट की मानें तो ट्रंप के टैरिफ से ऑटो, स्टील, केमिकल और आईटी सेक्टर पर सबसे अधिक असर देखने को मिल सकता है। खासकर भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए ये बुरी खबर हो सकती है।

टाटा मोटर्स और समवर्धना मदरसन जैसी कंपनियों के लिए यह चिंता की बात है। Moody’s का कहना है कि 2 अप्रैल से लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ इन कंपनियों की प्रॉफिटेबिलिटी यानी मुनाफे को प्रभावित कर सकते हैं। भारत के कुल वाहन एक्सपोर्ट में से 3% अमेरिका जाता है, और ऑटो पार्ट सप्लायर्स को भी इस टैरिफ का असर झेलना पड़ेगा।

टाटा मोटर्स पर असर

टाटा मोटर्स की सब्सिडियरी कंपनी Jaguar Land Rover (JLR) को इस टैरिफ से बड़ा झटका लग सकता है। अमेरिका में बिकने वाली जगुआर लैंड रोवर की सभी कारें यूरोपियन यूनियन या ब्रिटेन में बनती हैं, और इन पर टैरिफ बढ़ने से कंपनी के लिए कीमतें बढ़ाना मुश्किल हो सकता है। इससे अमेरिका में जगुआर लैंड रोवर के कारों की मांग घट सकती है, जो कि टाटा मोटर्स के लिए झटके वाली बात होगी।


हालांकि, ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने इस बीच टाटा मोटर्स के स्टॉक की रेटिंग को "होल्ड" से बढ़ाकर "बाय" कर दिया और इसमें मौजूदा स्तर से 29 फीसदी तक तेजी की संभावना जताई है।

समवर्धना मदरसन पर असर

दूसरी ओर समवर्धना मदरसन की 20% कमाई नॉर्थ अमेरिका से आती है, जिसमें मैक्सिको से होने वाली कमाई भी शामिल है। Moody’s का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ के बाद कंपनी ग्राहकों पर बढ़ी हुई लागत का असर डालने की कोशिश करेगी, लेकिन इसमें उसे कितनी सफलता मिलेगी, ये देखना दिलचस्प होगा।

किन कंपनियों को फायदा होगा?

अब सवाल ये भी उठता है कि इस नए टैरिफ का फायदा किन कंपनियों को मिल सकता है? मूडीज का कहना है कि ट्रंप के टैरिफ से भारतीय आईटी कंपनियों को, खासकर TCS और Infosys को सबसे कम नुकसान पहुंचने की उम्मीद है। मूडीज ने कहा कि ट्रंप के टैरिफ का आईटी कंपनियों पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन अमेरिका की सख्त इमिग्रेशन पॉलिसी और H1B वीजा नियमों में बदलाव इनके लिए चुनौती जरूर खड़ी कर सकते हैं।

आईटी कंपनियां ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए पहले ही में अमेरिका में ऑनसाइट हायरिंग बढ़ाकर अपने जोखिमों को कुछ हद तक कम करने की रणनीति अपनाई है। TCS और Infosys की प्रॉफिटेबिलिटी इंडस्ट्री में सबसे मजबूत मानी जाती है, जिससे वे अपनी बढ़ी हुई लागत को आसानी से मैनेज कर सकते हैं।

इस बीच अगर वैल्यूएशन की बात करें तो इस समय आईटी कंपनियों में इंफोसिस सबसे आकर्षक भाव पर कारोबार कर रही है। इसका एक साल का फारवर्ड पीई रेशियो इस समय टीसीएस और HCL टेक्नोलॉजी से भी कम है। इंफोसिस के शेयरों में इस साल अबतक 16.2 फीसदी की गिरावट आ चुकी है, जबकि TCS और HCL Tech में भी 15% से 20% तक की गिरावट देखी गई है।

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