हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया'ना बाबरनामा पढ़ाएंगे और ना मनुस्मृति', हिस्ट्री ऑनर्स के सिलेबस पर मचे बवाल पर डीयू की दो टूक
DU Controversy: DU के हिस्ट्रीऑनर्स पाठ्यक्रम में मनुस्मृति और बाबरनामा को जोड़ने का प्रस्ताव आते ही विवाद छिड़ गया. छात्रों और शिक्षकों के विरोध के बीच DU प्रशासन ने इसे लेकर अपनी सफाई पेश की.
By : अजातिका सिंह | Edited By: पूजा कुमारी | Updated at : 04 Mar 2025 01:21 PM (IST)
DU पाठ्यक्रम में मनुस्मृति और बाबरनामा!
Source : Twitter
DU History Honours Curriculum Change: दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) के हिस्ट्री ऑनर्स पाठ्यक्रम में मनुस्मृति और तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा) को शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था. ये बदलाव चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (FYUP) के सातवें सेमेस्टर के लिए किया गया था. जैसे ही ये प्रस्ताव सामने आया विश्वविद्यालय में इस पर विरोध शुरू हो गया. छात्रों और शिक्षकों के एक वर्ग ने इस बदलाव को आपत्तिजनक बताते हुए इसे हटाने की मांग की.
छात्रों और शिक्षकों का कहना था कि इन ग्रंथों को पाठ्यक्रम में शामिल करना इतिहास के नाम पर एक नया विवाद खड़ा करने जैसा है. कई शिक्षकों ने इसे पढ़ाई के मूल उद्देश्य से भटकाने वाला बताया और विश्वविद्यालय प्रशासन से अनुरोध किया कि वे इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करें. कुछ छात्रों ने इसे एकतरफा विचारधारा को बढ़ावा देने वाला बताया जबकि कुछ ने कहा कि इतिहास की समग्र समझ के लिए अलग-अलग ग्रंथों का अध्ययन जरूरी है.
DU प्रशासन ने क्या कहा?
छात्रों और शिक्षकों के विरोध के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रशासन ने इस मुद्दे पर अपना आधिकारिक बयान दिया. विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर विकास गुप्ता ने ABP न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत में कहा, 'ना हम बाबरनामा पढ़ाएंगे और ना ही मनुस्मृति को पढ़ाएंगे. अभी हमारे पास ये प्रस्ताव नहीं आया है और इसे एकेडमिक काउंसिल (AC) और एक्जीक्यूटिव काउंसिल (EC) में पास नहीं किया जाएगा.'
उन्होंने आगे कहा कि विश्वविद्यालय को इस तरह की विवादास्पद चीजों में नहीं पड़ना चाहिए और किसी भी शिक्षक की ओर से पाठ्यक्रम में इस तरह के बदलाव को जबरदस्ती लागू करने की कोशिश पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.
छात्रों को व्यापक और संतुलित शिक्षा देना प्राथमिकता
DU प्रशासन ने ये भी स्पष्ट कर दिया कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य छात्रों को एक व्यापक और संतुलित शिक्षा प्रदान करना है. इसलिए कोई भी नया विषय या बुक तभी जोड़ी जाएगी जब वह शिक्षण और अनुसंधान की दृष्टि से उपयोगी होगी. विश्वविद्यालय ने इस मुद्दे को खत्म करने की कोशिश करते हुए दोहराया कि वह किसी भी राजनीतिक या वैचारिक विवाद में नहीं फंसना चाहता.
Published at : 04 Mar 2025 01:21 PM (IST)
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शंभू भद्रएडिटोरियल इंचार्ज, हरिभूमि, हरियाणा
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