हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियापलभर में समुंदर में तबाह होंगे दुश्मन के जलपोत, इंडियन नेवी को मिली NASM-SR; DRDO ने किया सफल परीक्षण
Naval Anti Ship Missile: इस मिसाइल को डीआरडीओ की अलग-अलग लैब्स में विकसित किया गया है. नौसेना ने इसे एक बेहद महत्वपूर्ण कदम बताया.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: अभिषेक प्रताप सिंह | Updated at : 26 Feb 2025 10:36 PM (IST)
डीआरडीओ ने नवल एंटी-शिप मिसाइल लॉन्च की
India Tested NASM SR Missile: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय नौसेना ने अपनी तरह की पहली नौसैनिक जलपोत-रोधी मिसाइल (एनएएसएम-एसआर) का सफल उड़ान परीक्षण किया. ये टेस्टिंग ओडिशा के चांदीपुर की एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से हुई. अधिकारियों ने बुधवार (26 फरवरी, 2025) को यह जानकारी दी.
उन्होंने बताया कि मंगलवार को किए गए परीक्षण में भारतीय नौसेना के ‘सी किंग हेलीकॉप्टर’ से मिसाइल प्रक्षेपित की गई, जिसने पोत के लक्ष्य के संबंध में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ और भारतीय नौसेना को बधाई दी.
‘मिसाइल की क्षमता हुई सिद्ध’
अधिकारियों ने कहा, ‘‘परीक्षणों ने मिसाइल की क्षमता को सिद्ध कर दिया है और इसने अपनी अधिकतम मारक सीमा पर ‘समुद्र-स्किमिंग मोड’ में एक छोटे जहाज के लक्ष्य पर सीधा प्रहार किया. यह मिसाइल लक्ष्य साधने के लिए स्वदेशी ‘इमेजिंग इन्फ्रा-रेड सीकर’ का उपयोग करती है.’’
DRDO & @indiannavy successfully tested the first-of-its-kind Naval Anti-Ship Missile (NASM-SR) from ITR Chandipur on Feb 25, 2025. Launched from a Sea King helicopter, it demonstrated Man-in-Loop control, hitting a small ship target with pinpoint accuracy. Featuring an Indigenous… pic.twitter.com/WEoxEtqdKX
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) February 26, 2025इंडियन नेवी ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि उड़ान के दौरान फिर से लक्ष्य निर्धारण के लिए तस्वीरें सीधे पायलट तक वापस भेजने के संबंध में किया गया परीक्षण भी सफल रहा है. वहीं, नौसेना ने कहा कि स्वदेशी रूप से विकसित पहली नौसेना एंटी शिप मिसाइल के डिजाइन और विकास को आगे बढ़ाते हुए, भारतीय नौसेना ने डीआरडीओ के सहयोग से 25 फरवरी को बालासोर के आईटीआर से सीकिंग 42बी हेलीकॉप्टर से मिसाइल के दो और रिलीज फ्लाइट ट्रायल सफलतापूर्वक किए. यह फायरिंग हथियार के साकार होने और आला मिसाइल प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
इस मिसाइल को डीआरडीओ की अलग-अलग प्रयोगशालाओं की ओर से विकसित किया गया है, जिनमें अनुसंधान केंद्र इमारत, रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला, उच्च ऊर्जा सामग्री अनुसंधान प्रयोगशाला और टर्मिनल बैलिस्टिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला शामिल हैं.
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Published at : 26 Feb 2025 10:36 PM (IST)
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