भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने 30 जनवरी, 2025 को एक परिपत्र जारी कर बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रीमियम में सालाना 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि न की जाए। अगर कोई बीमा कंपनी प्रीमियम इससे अधिक बढ़ाना चाहती है तो उसे पहले आईआरडीएआई से अनुमति लेनी होगी।
शिकायतों का अंबार
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम को बढ़ाने वाले तीन प्रमुख कारक हैं। पहला, चिकित्सा से जुड़ी महंगाई दर जो भारत में 14-15 फीसदी है। दूसरा, बीमाकर्ता द्वारा किए गए दावों का अनुभव और तीसरा कारक है उम्र दायरे में बदलाव। जब कोई ग्राहक 60 से 65 आयु वर्ग या 65 से 70 आयु वर्ग के दायरे में आता है तो अक्सर प्रीमियम की रकम काफी बढ़ जाती है। पॉलिसीएक्स के मुख्य कार्याधिकारी नवल गोयल ने कहा, ‘जरूरी नहीं कि स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में हर साल वृद्धि हो। कोई कंपनी तीन साल तक प्रीमियम को स्थिर रख सकती है और उसके बाद उसमें काफी वृद्धि कर सकती है। अगर कोई ग्राहक ऐसे तीसरे साल में किसी स्वास्थ्य बीमा योजना को खरीदता है तो उसे लगेगा कि प्रीमियम में कुछ ही समय बाद भारी बढ़ोतरी कर दी गई है।’
बुजुर्गों में बढ़ती उम्र के कारण बीमार पड़ने की संभावना अधिक होती है। यही कारण है कि बीमाकर्ता प्रीमियम की रकम बढ़ा देते हैं। सिक्योरनाउ के सह-संस्थापक कपिल मेहता ने कहा, ‘आम तौर पर वरिष्ठ नागरिकों का प्रीमियम पहले से ही अधिक रहता है। जब उसमें भारी वृद्धि की जाती है तो ग्राहकों की शिकायतों का अंबार लग जाता है। इसलिए बीमा नियामक ने इस मुद्दे का संज्ञान लिया है।’
बेहतर निश्चितता
अगर कोई सीमा निर्धारित कर दी जाए तो उसका सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। पॉलिसीबाजार के प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) सिद्धार्थ सिंघल ने कहा, ‘इससे वरिष्ठ नागरिकों को यह भरोसा होगा कि उनका प्रीमियम एक निश्चित सीमा के भीतर ही बढ़ेगा। इससे वरिष्ठ नागरिक अथवा उनके बच्चे (उनकी ओर से) स्वास्थ्य बीमा योजनाएं खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे।’ ऐसे में वरिष्ठ नागरिकों को भी अपने इस खर्च के लिए बजट बनाना आसान हो जाएगा।
अब बीमा कंपनियों से उम्मीद की जाती है कि वे इस बात को ध्यान में रखेंगी कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए मूल्य निर्धारण पर नियामक की नजर रहती है। मेहता ने कहा, ‘बीमा कंपनियां अब इस बात का अधिक ध्यान रखेंगी कि नई बीमा योजनाओं की कीमत कैसे निर्धारित करें और समय के साथ-साथ अपने प्रीमियम में वृद्धि किस प्रकार करें।’ गोयल ने कहा कि शुरू में कम कीमत के साथ ग्राहकों को आकर्षित करने और बाद में कीमत बढ़ाने की मानसिकता अब संभवत: खत्म हो जाएगी।
अधिक शुरुआती कीमत
मगर इस उपाय के कुछ नकारात्मक प्रभाव भी हो सकते हैं। बीमा कंपनियां अपनी योजनाओं की शुरुआती कीमत अधिक रख सकती हैं। मेहता ने कहा, ‘वे यह सुनिश्चित करना चाहेंगी कि योजना को लॉन्च करते समय कीमत सही रहे।’ अंडरराइटिंग मानकों में भी कुछ सख्ती भी हो सकती है। मेहता ने कहा, ‘बीमाकर्ता इस बारे में भी सख्त रुख अपना सकते हैं कि पॉलिसी किन ग्राहकों के लिए जारी की जा रही है।’ बीमा पॉलिसी को जारी किए जाने के बाद उसमें दी जाने वाली कवरेज को कम नहीं किया जा सकता लेकिन उसकी विशेषताओं में कुछ बदलाव किया जा सकता है। गोयल ने कहा, ‘पहले कीमत बढ़ाते समय पॉलिसी में कुछ अतिरिक्त विशेषताओं को शामिल किया जाता था। मगर भविष्य में ऐसे मामले कम ही दिखने के आसार हैं।’
अधिक शुरुआती प्रीमियम के असर से कैसे बचें
अधिक प्रीमियम से बचने के लिए डिडक्टिबल का विकल्प चुनना चाहिए। डिडक्टिबल दावे की वह रकम होती है जिसका भुगतान बीमाधारक खुद करता है और बीमाकर्ता इससे अधिक रकम का भुगतान करता है। मणिपाल सिग्ना हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख (पॉलिसी एवं परिचालन) आशिष यादव ने कहा, ’10 से 20 हजार रुपये की छोटी डिडक्टिबल रकम भी आपके प्रीमियम को काफी कम कर देगी।’ मेहता ने सुझाव दिया कि आपात चिकित्सा स्थितियों के लिए डिडक्टिबल के बराबर रकम अलग रखनी चाहिए। वरिष्ठ नागरिकों को छोटे-छोटे दावे भी अपनी जेब से चुका देने चाहिए। केयर हेल्थ इंश्योरेंस के प्रमुख (वितरण) अजय शाह ने कहा, ‘अच्छी सेहत बरकरार रखते हुए और अनावश्यक दावों से बचते हुए आप नो-क्लेम बोनस को बढ़ा सकते हैं।’ जब अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत पड़े तो अपने पसंदीदा नेटवर्क अस्पताल में जाएं। सिंघल ने कहा, ‘ऐसे अस्पताल का उपयोग करने से आपको प्रीमियम पर 15 फीसदी तक की छूट मिल सकती है।’ इन दिनों बीमा योजनाएं मॉड्यूलर हो गई हैं। सिंघल ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिक को उन सुविधाओं को भी नजरअंदाज करना चाहिए जिनकी उन्हें शायद ही आवश्यकता पड़े।’ उन्होंने प्रीमियम का भुगतान छोटी मासिक किस्तों में करने की भी सलाह दी है। आपको 60 वर्ष या इससे अधिक उम्र तक प्रतीक्षा करने के बजाय कम उम्र में ही स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीद लेना चाहिए क्योंकि कम उम्र में आपको पास अधिक विकल्प उपलब्ध होंगे। गोयल ने कहा, ‘इससे आपको उचित मूल्य पर एक अच्छी पॉलिसी मिल सकती है।’ उन्होंने बिना तामझाम वाली पॉलिसी चुनने का सुझाव दिया क्योंकि वह अधिक सस्ती होगी।
सख्त अंडरराइटिंग मानदंड
वरिष्ठ नागरिकों के लिए अंडरराइटिंग मानदंड सख्त होते हैं। आने वाले दिनों में वे और सख्त हो सकते हैं। यादव ने कहा, ‘वरिष्ठ नागरिकों के लिए उन विशेष योजनाओं की तलाश करें, जिनमें अंडरराइटिंग मानदंड अधिक अनुकूल हों।’ उन्होंने कहा कि यदि आप अपने मेडिकल हिस्ट्री का विस्तृत विवरण देते हैं और मौजूदा स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में खुलकर बताते हैं तो बीमा कंपनियां जोखिम का बेहतर मूल्यांकन कर सकती हैं। जब कोई बीमाकर्ता आपका आवेदन अस्वीकार कर दे तो दूसरे के यहां प्रयास करें। शाह ने कहा कि यह कारगर हो सकता है क्योंकि अलग-अलग कंपनियों में अंडरराइटिंग मानदंड भी अलग-अलग होते हैं। अंडरराइटिंग से पहले की प्रक्रिया पर गौर करें। मेहता ने कहा, ‘अपनी मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध कराते हुए बीमाकर्ता से पूछें कि क्या वे आपके प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे।’
अधिक सह-भुगतान विकल्प वाली स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की तलाश करें। शाह ने कहा, ‘ऐसी योजनाओं को अधिक जोखिम वाले लोगों के लिए स्वीकृत किए जाने की अधिक संभावना होती है।’ सिंघल ने कहा कि विशेष बीमारियों (जैसे, हृदयरोग आदि) पर केंद्रित बीमा पॉलिसी को चुनना भी एक विकल्प हो सकता है। इस तरह की पॉलिसी पहले से बीमार ग्राहकों को भी स्वीकार करती है। गोयल ने किसी अच्छे ब्रोकर की मदद लेने का भी सुझाव दिया जो आपको बताएंगे कि कौन-सी बीमा कंपनी आपके लिए बेहतर रहेगी।
First Published - March 3, 2025 | 11:08 PM IST
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