हिंदी न्यूज़टेक्नोलॉजीब्रह्मांड क्यों है? वैज्ञानिकों की नई खोज से उठ सकता है सृष्टि के सबसे बड़े रहस्य से पर्दा!
दक्षिण डकोटा के घने जंगलों के ऊपर धुंध में छिपी एक प्रयोगशाला में वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे हैं जिसने विज्ञान को दशकों से उलझा रखा है, आख़िर ब्रह्मांड का अस्तित्व क्यों है?
By : एबीपी टेक डेस्क | Edited By: हिमांशु तिवारी | Updated at : 14 May 2025 01:10 PM (IST)
(ब्रह्मांड क्यों होता है)
Source : Pixabay
Why Universe Exists: दक्षिण डकोटा के घने जंगलों के ऊपर धुंध में छिपी एक प्रयोगशाला में वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब ढूंढ़ रहे हैं जिसने विज्ञान को दशकों से उलझा रखा है, आख़िर ब्रह्मांड का अस्तित्व क्यों है? अमेरिका की यह टीम इस सवाल का उत्तर पाने की दौड़ में शामिल है जिसमें जापान के वैज्ञानिक उनसे कई साल आगे निकल चुके हैं. आज की खगोलशास्त्र की थ्योरीज़ यह नहीं समझा पा रही हैं कि तारे, ग्रह और आकाशगंगाएं कैसे अस्तित्व में आईं. इस रहस्य की चाबी छिपी है एक सूक्ष्म कण में, जिसे न्यूट्रिनो कहा जाता है. दोनों टीमें न्यूट्रिनो की जांच के लिए विशेष डिटेक्टर बना रही हैं.
चल रहा DUNE
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में वैज्ञानिक एक विशाल प्रयोग "डीप अंडरग्राउंड न्यूट्रिनो एक्सपेरिमेंट" (DUNE) चला रहे हैं जो धरती की सतह से 1,500 मीटर नीचे स्थित है. यहां तीन विशाल गुफाएं बनाई गई हैं जिनका आकार इतना विशाल है कि उनमें काम कर रहे बुलडोज़र तक खिलौनों जैसे लगते हैं. इस प्रोजेक्ट के विज्ञान निदेशक डॉ. जैरेट हाइज कहते हैं कि ये गुफाएं "विज्ञान के लिए बनाए गए गिरजाघरों" जैसी हैं. वे पिछले 10 वर्षों से इनका निर्माण कार्य देख रहे हैं. इन गुफाओं में सतह की रेडिएशन और शोर से पूरी तरह अलग एक शांत वातावरण है, अब यह प्रोजेक्ट अपने सबसे अहम चरण की ओर बढ़ रहा है. डॉ. हाइज कहते हैं, "हम वो डिटेक्टर बनाने के मोड़ पर हैं जो हमारे ब्रह्मांड की समझ को पूरी तरह बदल सकता है. 30 देशों के 1,500 वैज्ञानिक मिलकर इस सवाल का उत्तर खोजने को तैयार हैं, आखिर हम हैं क्यों?"
वैज्ञानिक खोज रहे जवाब
जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई तो दो तरह के कण बने मैटर (द्रव्य) और एंटीमैटर. थ्योरी के अनुसार, दोनों एक-दूसरे को पूरी तरह से खत्म कर देने चाहिए थे और कोई चीज़ नहीं बचती, सिर्फ ऊर्जा. लेकिन हम आज मौजूद हैं यानि द्रव्य ने किसी तरह जीत हासिल की. इस रहस्य को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक न्यूट्रिनो और उसके विरोधी कण, एंटी-न्यूट्रिनो का गहराई से अध्ययन कर रहे हैं. वे इन दोनों कणों की किरणों को धरती के नीचे स्थित इलिनॉय से साउथ डकोटा तक, 800 मील दूर, भेजेंगे और जांचेंगे कि इन कणों में कोई बारीक अंतर है या नहीं. अगर न्यूट्रिनो और एंटी-न्यूट्रिनो अलग-अलग तरीके से बदलते हैं तो यही वह सुराग हो सकता है जो यह बता सके कि आखिर द्रव्य ने कैसे जीत पाई.
क्या है DUNE
DUNE एक वैश्विक सहयोग है जिसमें 30 देशों के 1,400 वैज्ञानिक शामिल हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ ससेक्स की डॉ. केट शॉ का मानना है कि यह खोज हमारी ब्रह्मांड की समझ और मानवता की आत्म-पहचान दोनों को बदल सकती है. वे कहती हैं, "आज हम तकनीक, इंजीनियरिंग और सॉफ़्टवेयर की उस स्थिति में हैं जहां हम ब्रह्मांड के सबसे बड़े सवालों से सीधा मुकाबला कर सकते हैं – यह बेहद रोमांचक है."
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Published at : 14 May 2025 01:09 PM (IST)
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