इबोला वायरस एक गंभीर इंफेक्शन वाली वायरस है. यह ब्लीडिंग बुखार का कारण बनता है. यह वायरस मनुष्यों और अन्य प्राइमेट्स को प्रभावित करता है.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Swati Raj Laxmi | Updated at : 10 Mar 2025 03:29 PM (IST)
ब्रिटेन में तेजी से फैल रहा है इबोला वायरल
इबोला वायरस एक गंभीर इंफेक्शन वाली वायरस है. यह ब्लीडिंग बुखार का कारण बनता है. यह वायरस इंसानों और अन्य प्राइमेट्स को प्रभावित करता है. इबोला वायरस से होने वाली बीमारी को इबोला रक्तस्रावी बुखार (ईवीडी) भी कहा जाता है. इबोला एक रेयर फॉर द रेयरेस्ट लेकिन जानलेवा बीमारी है. यह गंभीर बीमारी के प्रकोप का कारण बन सकती है. खासकर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में. यह आपको संक्रमित जानवरों या लोगों के शरीर के लिक्विड के कॉन्टैक्ट में आने से होता है. इनके लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, चकत्ते, उल्टी और रक्तस्राव शामिल हैं. अगर आप इबोला के संपर्क में आए हैं और आपको इसके लक्षण हैं, तो तुरंत डॉक्टरों की सहायता लें.
इबोला एक गंभीर बुखार है
इबोला एक प्रकार का वायरल रक्तस्रावी बुखार है जो इबोलावायरस जीनस के वायरस की कई प्रजातियों के कारण होता है. इबोला के लक्षण फ्लू जैसे शुरू होते हैं लेकिन गंभीर उल्टी, रक्तस्राव और न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क और तंत्रिका) समस्याओं में बदल सकते हैं.
इबोला चमगादड़, गैर-मानव प्राइमेट और मृग से लोगों में फैल सकता है. वहां से यह मनुष्य से मनुष्य में फैल सकता है और प्रकोप पैदा कर सकता है (जहां बड़ी संख्या में लोग एक ही समय में संक्रमित हो जाते हैं). प्रकोप ज्यादातर अफ्रीका के कुछ हिस्सों में होता है.
इबोला वायरस की बीमारी क्या है?
इबोला वायरस रोग (ईवीडी) इबोलावायरस (विशेष रूप से, ज़ैरे इबोलावायरस) के कारण होने वाली बीमारियों में से एक है और इसे "इबोला" के रूप में जाना जाता है. यह इबोला प्रकोप और मौतों का सबसे आम कारण है. शोधकर्ताओं ने केवल ईवीडी के खिलाफ़ प्रभावकारिता के लिए इबोला वैक्सीन और उपचार का परीक्षण किया है, न कि अन्य प्रकार के इबोला का.
इबोला कितने टाइप के होते हैं
इबोला का कारण बनने वाले वायरस का नाम उस स्थान के नाम पर रखा जाता है जहां उन्हें पहली बार पहचाना गया था. ज़ैरे इबोलावायरस इबोला वायरस रोग (ईवीडी) का कारण बनता है. सूडान वायरस के रूप में भी जाना जाता है, सूडान इबोलावायरस सूडान वायरस रोग (एसवीडी) का कारण बनता है. ताई फ़ॉरेस्ट वायरस के रूप में भी जाना जाता है, ताई फ़ॉरेस्ट इबोलावायरस ताई फ़ॉरेस्ट वायरस रोग (टीएएफवी) का कारण बनता है.
इबोला के इतने प्रकार हैं?
इबोला दुर्लभ है. लेकिन इबोला रोग का प्रकोप तब से नियमित रूप से होता रहा है जब से 1976 में ज़ैरे (अब डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कांगो) में इबोलावायरस की पहली बार पहचान की गई थी. ज़्यादातर प्रकोप ज़ैरे इबोलावायरस और सूडान इबोलावायरस के कारण होते हैं. सबसे बड़ा इबोला प्रकोप ज़ैरे इबोलावायरस का 2014-2016 का प्रकोप था. कुल मिलाकर, 10 देशों में 28,646 मामले और 11,323 मौतें दर्ज की गईं.
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इबोला बीमारी के लक्षण क्या हैं?
तेज सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, त्वचा के नीचे लाल चकत्ते या खून के धब्बे (पेटीकिया या परपुरा), थकान और कमजोरी, भूख न लगना, उल्टी या दस्त, यह खूनी हो सकता है. ब्लीडिंग या चोट लगना, लाल या खून से भरी आंखें इबोला बीमारी के लक्षण हो सकते हैं.
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Published at : 10 Mar 2025 03:23 PM (IST)
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