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ब्रोकर्स को बार-बार की जांच से मिलेगा छुटकारा, SEBI बना रहा यह बड़ा प्लान

स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी के प्रतिनिधि इस बात की भी जांच करते रहते हैं कि ब्रोकर की तरफ से तय नियमों का प्लान किया जा रहा है या नहीं।

ब्रोकर्स के लिए अच्छी खबर है। अब इंस्पेक्शन विजिट में उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। सेबी इस बारे में ब्रोकर एसोसिएशंस, एक्सचेंज, क्लियरिंग कॉर्पोरेशंस और डिपॉजिटरीज से बातें कर रहा है। इस बातचीत से जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। ब्रोकर्स ने इंस्पेक्शन विजिट की वजह से उनके कामकाज में आने वाली दिक्कतों के बारे में सेबी को बताया था। एक सूत्र ने कहा कि इस बारे में बातचीत चल रही है कि अगर किसी वर्टिकल का एक मार्केट इंफ्रास्ट्रक्चर इंस्टीट्यूशंस (एमआईआई) रूटीन इंस्पेक्शन के लिए ब्रोकर के ऑफिस में जाता है तो उसी वजह के लिए दूसरा एमआईआई इंस्पेक्शन के लिए नहीं जाएगा। वह अपनी जांच की रिपोर्ट दूसरे एमआईआई को शेयर कर देगा।

अभी अलग-अलग संस्थाओं के प्रतिनिधि अलग-अलग जांच करते हैं

इंस्पेक्शन की यह व्यवस्था डिपॉजिटरीज (Depositaries) और क्लियरिंग कॉर्पोरेशन (Clearing Corporation) में भी लागू करने के बारे में सोचा जा सकता है। ब्रोकर्स इंस्पेक्शन विजिट की संख्या में भी कमी चाहते हैं। लेकिन, SEBI और एक्सचेंजों का मानना है कि इंस्पेक्शन विजिट की लिमिट तय करना मुमकिन नहीं है। इसकी वजह यह है कि कई बार किसी खास जानकारी, न्यूज, इनपुट्स की वजह से इंस्पेक्शन करना जरूरी हो जाता है। अभी क्लियरिंग कॉर्पोरेशन, डिपॉजिटरीज सहित दूसरी संस्थाओं के प्रतिनिधि जांच के लिए अलग-अलग ब्रोकर्स के ऑफिस में जाते हैं।

जांच के लिए बड़ी टीम पहुंचने से होती है दिक्कत

ब्रोकिंग इंडस्ट्री से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, "पिछले कुछ समय से MIIs की तरफ से ज्वाइंट इंस्पेक्शन का ट्रेंड देखने को मिल रहा है।" उन्होंने कहा कि कई बार ऐसा भी होता है कि जांच के लिए काफी बड़ी टीम ऑफिस पहुंच जाती है। ऐसे में ब्रोकर के लिए बड़ी समस्या पैदा हो जाती है। इस प्रॉब्लम को दूर करने की कोशिश हो रही है। ऑफ-साइट इंसपेक्शन की बात भी चल रही है। उदाहरण के लिए स्टॉक एक्सचेंजों को सभी डेटा ऑनलाइन उपलब्ध हो जाता है। इसलिए वे ऑनसाइट इंस्पेक्शन की जगह ऑफलाइन इंस्पेक्शन कर सकते हैं।

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शिकायतों की वजह से जांच जरूरी हो जाती है

स्टॉक एक्सचेंजों और सेबी के प्रतिनिधि इस बात की भी जांच करते रहते हैं कि ब्रोकर की तरफ से तय नियमों का प्लान किया जा रहा है या नहीं। इस जांच में बुक और अकाउंट्स की जांच भी शामिल होती है। ब्रोकर्स से नो योर कस्टमर, क्लाइंट के फंड के इस्तेमाल, मार्जिन के नियमों के पालन आदि के बारे में सवाल पूछे जाते हैं। इसके अलावा ब्रोकर के खिलाफ मिली शिकायत पर भी जांच होती है। इस बारे में सेबी को भेजे ईमेल का जवाब नहीं मिला।

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