हिंदी न्यूज़न्यूज़विश्वभारत के किसी काम का नहीं है USA का F-35 फाइटर प्लेन! जानें 5 बड़े कारण क्यों है ये घाटे का सौदा
F-35 Lightning II: एफ-35 लाइटनिंग II दुनिया का सबसे एडवांस्ड 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है. अमेरिका इसे भारत को बेचना चाहता है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: Ashutosh Singh | Updated at : 24 Feb 2025 02:36 PM (IST)
F-35 लड़ाकू विमान
Source : twitter
F-35 Lightning II: अमेरिकी स्टेल्थ फाइटर जेट एफ-35 लाइटनिंग II को दुनिया का सबसे एडवांस्ड फाइटर जेट माना जाता है. यह 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे अमेरिकी कंपनी लॉकहेड मार्टिन (Lockheed Martin) ने विकसित किया है.
लेकिन क्या यह भारत के लिए सही विकल्प होगा? हाल ही में यह चर्चा जोरों पर है कि भारत को एफ-35 खरीदना चाहिए या नहीं. हालांकि, कुछ वजहें ऐसी हैं जो भारत के पक्ष में नहीं जातीं. आइए जानते हैं उन 5 बड़े कारणों के बारे में, जो एफ-35 को भारत के लिए एक मुश्किल विकल्प बनाते हैं.
महंगा सौदा और भारी मेंटेनेंस खर्च
CNBC की रिपोर्ट के अनुसार, एफ-35 दुनिया के सबसे महंगे लड़ाकू विमानों में से एक है. इसकी कीमत 80-100 मिलियन डॉलर (करीब 800 करोड़ रुपये) प्रति विमान हो सकती है. सिर्फ खरीदना ही नहीं, इसकी मेंटेनेंस लागत भी काफी ज्यादा है. त्येक उड़ान घंटे की कीमत लगभग $36,000 (लगभग 30 लाख) है. भारत को इसे ऑपरेट करने के लिए एयरबेस और इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश करना पड़ेगा.
अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा (CAATSA)
भारत पहले ही रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद चुका है, जिस पर अमेरिका की CAATSA (Countering America's Adversaries Through Sanctions Act) के तहत प्रतिबंध लगाने की नीति है. ऐसे में अगर भारत एफ-35 खरीदने की कोशिश करता है, तो अमेरिका इस डील में बाधा डाल सकता है.
टेक्नोलॉजी ट्रांसफर नहीं करेगा अमेरिका
भारत अपने ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन के तहत स्वदेशी रक्षा तकनीक विकसित कर रहा है. लेकिन अमेरिका अपने एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वाले हथियारों को किसी दूसरे देश के साथ साझा नहीं करता. इसका मतलब है कि एफ-35 की मेंटेनेंस और अपग्रेड के लिए भारत को पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर रहना होगा.
भारत के एयरबेस और ऑपरेशनल चुनौतियां
एफ-35 को ऑपरेट करने के लिए भारत के एयरबेस को अपग्रेड करने की जरूरत होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल लागत काफी बढ़ जाएगी. इसके अलावा भारतीय वायुसेना पहले से ही राफेल, सुखोई-30MKI और तेजस जैसे लड़ाकू विमानों पर निर्भर है, जो पहले से स्थापित सिस्टम के हिसाब से बेहतर काम करते हैं.
भारत के पास पहले से किफायती विकल्प मौजूद
भारत अपने AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है, जो 5वीं पीढ़ी का स्वदेशी फाइटर जेट होगा. साथ ही, भारत के पास पहले से ही राफेल और सुखोई-30MKI जैसे बेहतरीन फाइटर जेट्स मौजूद हैं. ऐसे में एफ-35 पर निवेश करना महंगा और रणनीतिक रूप से सही फैसला नहीं होगा.
Published at : 24 Feb 2025 02:36 PM (IST)
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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार
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