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भारत-पाक तनाव के बीच भी शेयर बाजार में बढ़त

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बावजूद बुधवार को मुंबई में बेंचमार्क सूचकांक मामूली बढ़त दर्ज करने में कामयाब रहे। विशेषज्ञों ने कहा कि निवेशकों का मनोबल सकारात्मक था, जिसका मोटे तौर पर कारण अहम कारोबारी साझेदारों के साथ भारत की व्यापार वार्ताओं की प्रगति थी। इनमें मंगलवार को ब्रिटेन के साथ हुआ मुक्त व्यापार समझौता शामिल है।

सेंसेक्स 0.13 फीसदी यानी 106 अंक चढ़कर 80,747 पर बंद हुआ। निफ्टी-50 इंडेक्स 34.8 अंक की बढ़ोतरी के साथ 24,414 पर टिका। निफ्टी मिडकैप 100 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 सूचकांकों में क्रमश: 1.6 फीसदी और 1.4 फीसदी की मजबूती आई। इंडिया विक्स इंडेक्स महज 0.34 फीसदी बढ़कर 19.1 पर बंद हुआ। दूसरी ओर, पाकिस्तान के बाजार में भारी गिरावट दर्ज हुई।

कराची का बेंचमार्क केएसई-30 इंडेक्स कारोबार के दौरान 6 फीसदी से ज्यादा फिसल गया था लेकिन अंत में 3 फीसदी गिरकर बंद हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय बाजार की प्रतिक्रिया से निवेशकों में किसी तरह की चिंता के संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि बाजार की प्रतिक्रिया से इनकार नहीं था लेकिन बाजार की प्रतिक्रिया से पता चलता है कि निवेशक अर्थव्यवस्था के लिए किसी बड़े नुकसान की संभावना नहीं देख रहे हैं।

सिटी में वैश्विक प्रमुख (इमर्जिंग मार्केट इकनॉमिक्स) जोहाना चुआ ने एक नोट में लिखा, हमारा मानना है कि पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ने के बावजूद भारतीय परिसंपत्तियां काफी हद तक नियंत्रित रहेंगी। पाकिस्तान के साथ पिछले झड़पीले हालात को देखते हुए भी बाजार के प्रतिभागी सहज दिखे। बर्नस्टीन के इक्विटी रणनीतिकार वेणुगोपाल गैरे और निखिल अरेला ने बुधवार को बाजार खुलने से पहले एक नोट में लिखा, भारतीय इक्विटी बाजारों ने सभी मौकों पर वापसी की है। इसलिए हमारा मानना है कि अगर इक्विटी बाजार में गिरावट आती है तो खरीदारी सबसे अच्छी रणनीति है।

परमाणु हथियार से लैस दो पड़ोसियों के बीच हुए पिछले संघर्षों से जाहिर हुआ है कि भारतीय शेयर बाजार शुरुआती झटके वाली प्रतिक्रिया से जल्द उबर जाते हैं। उदाहरण के लिए फरवरी 2019 में भारत ने आतंकवादी हमलों के जवाब में निशाना साधकर हमले शुरू किए तो इसके एक सप्ताह बाद निफ्टी इंडेक्स में 1 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई थी। नोट में कहा गया है, हमारे परिदृश्यों में दोनों पड़ोसियों के बीच बड़े पैमाने पर युद्ध के जोखिम का अनुमान नहीं किया गया है। हालांकि 1999 के करगिल युद्ध से पता चलता है कि इक्विटी बाजार में भारी गिरावट के बाद तेजी से बढ़ोतरी होती है।

गौर करने लायक दूसरा पहलू ट्रंप के टैरिफ के बाद वैश्विक व्यापार में हो रहे बदलावों का असर है। दो हफ्ते पहले पहलगाम में आतंकवादी हमले के बावजूद भारत में विदेशी निवेश मजबूत बना हुआ है। पिछले 14 कारोबारी सत्रों में (15 अप्रैल से) विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार खरीदार बने हुए हैं और उन्होंने देसी शेयरों में 44,439 करोड़ रुपये का निवेश किया है, जो करीब दो साल में उनकी खरीद का सबसे लंबा सिलसिला है।

बुधवार को एफपीआई ने 2,586 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे, वहीं देसी संस्थागत निवेशक 2,378 करोड़ रुपये के खरीदार रहे। बाजार में चढ़ने और गिरने वाले शेयरों का अनुपात सकारात्मक रहा और बीएसई पर 2,206 शेयर चढ़े जबकि 1,683 में गिरावट आई। एनएसई पर 17 सेक्टर सूचकांकों में से सिर्फ तीन हेल्थकेयर, फार्मा और एफएमसीजी ही नुकसान के साथ बंद हुए। सबसे ज्यादा बढ़त दर्ज करने वालों में निफ्टी ऑटो और निफ्टी फाइनैंशियल सर्विसेज रहे।

First Published - May 7, 2025 | 11:46 PM IST

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