हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया‘महिलाओं को मिले एक मर्डर की छूट’, शरद पवार वाली NCP की नेता ने राष्ट्रपति से कर दी बड़ी मांग
एनसीपी (एसपी) गुट की नेता रोहिणी खडसे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर महिला दिवस के अवसर पर एक अनोखी मांग की है. इस पत्र में उन्होंने महिलाओं को एक हत्या करने की छूट देने की मांग है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: गौतम सिंह | Updated at : 09 Mar 2025 03:17 PM (IST)
एनसीपी (एसपी) नेता रोहिणी खडसे
International Women's Day: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर एनसीपी (शरदचंद्र) की महिला शाखा की अध्यक्ष रोहिणी खडसे ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक पत्र लिखकर एक अनोखी मांग की. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने ऊपर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ एक हत्या करने की छूट दी जाए.
दरअसल, रोहिणी खडसे ने यह पत्र मुंबई में 12 वर्षीय लड़की के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना के संदर्भ में लिखा. उन्होंने कहा कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन कानून-व्यवस्था नाकाम साबित हो रही है. उन्होंने महिलाओं को आत्मरक्षा के लिए एक बार हत्या करने की अनुमति देने की अपील की.
पत्र में क्या लिखा है?
खडसे ने विश्व जनसंख्या समीक्षा सर्वेक्षण का हवाला देते हुए कहा कि भारत को एशिया में महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित देश बताया गया है. उन्होंने लिखा, "हम उस मानसिकता को खत्म करना चाहते हैं जो यौन हिंसा और अत्याचार को बढ़ावा देती है. हमें एक हत्या की अनुमति दी जाए." उन्होंने महारानी ताराबाई और अहिल्याबाई होल्कर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब उनके राज्य और लोगों पर संकट आया, तो उन्होंने तलवार उठाई. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और महात्मा बुद्ध की अहिंसा की भूमि पर यह मांग करना दुखद है, लेकिन आज महिलाओं की सुरक्षा सबसे बड़ा मुद्दा बन गया है.
मा. द्रौपदी मूर्मू
राष्ट्रपती, भारत @rashtrapatibhvn
विषय :- एक खुन माफ करणेबाबत
महोदया,
सर्वात प्रथम आपल्याला जागतिक महिला दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा ! आपला देश हा महात्मा बुद्ध आणि महात्मा गांधींचा देश म्हणून ओळखला जातो. जे शांतीचे अहिंसेचे मोठे प्रतीक आहे तरी आपली क्षमा… pic.twitter.com/bE8JMogdZ7
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध
एनसीआरबी (राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो) की रिपोर्ट 2022 के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराध के 4,45,256 मामले दर्ज हुए. हर घंटे औसतन 51 एफआईआर दर्ज की गईं. 2021 में 4,28,278 मामले और 2020 में 3,71,503 मामले दर्ज किए गए थे. यह आंकड़े दर्शाते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है.
बता दें कि यह पत्र सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है और सियासी बहस भी शुरू हो गई है. यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और राष्ट्रपति भवन की ओर से इस पर क्या प्रतिक्रिया आती है.
Published at : 09 Mar 2025 03:16 PM (IST)
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डॉ ख्याति पुरोहितस्वतंत्र पत्रकार व अध्यापिका
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