हिंदी न्यूज़बिजनेसलोगों को मिलेगा RBI का दिवाली तोहफा, सस्ते हो सकते हैं घर-गाड़ियों के लोन, बढ़ेंगी नौकरियां
RBI Repo Rate: आरबीआई ने फरवरी के महीने में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जबकि अप्रैल के महीने में हुई बैठक के बाद फिर से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर लोगों को बड़ी राहत दी गई.
By : एबीपी बिजनेस डेस्क | Edited By: राजेश कुमार | Updated at : 16 May 2025 11:38 AM (IST)
लोगों को मिलेगा RBI का दिवाली तोहफा, सस्ते हो सकते हैं घर-गाड़ियों के लोन, बढ़ेंगी नौकरियां
Source : File
RBI Repo Rate Cut: आम लोगों के लिए ये खबर काफी राहत देने वाली हो सकती है. आर्थिक मोर्चे पर उसे लगातार बढ़ावा देने के लिए मौद्रिक नीतियों में ढील देने वाले आरबीआई की तरफ से अगले महीने यानी जून से लेकर दिवाली तक 0.50 प्रतिशत की कटौती तय मानी जा रही है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले महीने 4 से 6 जून के बीच आरबीआई की समीक्षा बैठक है. इसमें मौद्रिक नीति समिति की तरफ से अहम फैसला लेकर लोगों को खुशखबरी दी जा सकती है.
रिपोर्ट्स की मानें तो आरबीआई कमेटी की बैठक से पहले ही 0.25 प्रतिशत की कटौती पर आपसी सहमति बन चुकी है. अगस्त के पहले हफ्ते में या फिर सितंबर के आखिरी हफ्ते में होने वाली बैठक में आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में एक और कटौती संभव है. दिवाली भी 20 अक्टूबर को है. ऐसे में जनता को आरबीआई का दिवाली तोहफा रियायत के रूप में दिया जा सकता है.
मिल सकता है दिवाली तोहफा
आरबीआई ने फरवरी के महीने में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है, जबकि अप्रैल के महीने में हुई बैठक के बाद फिर से रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर लोगों को बड़ी राहत दी गई. एसबीआई ने तो अपनी रिपोर्ट में इससे पहले यहां तक कहा था कि वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान आरबीआई की तरफ से 125 बेसिस प्वाइंट तक की बड़ी कटौती की जा सकती है.
एसबीआई की इस महीने के पहले हफ्ते में आयी रिपोर्ट में बताया गया है कि जून और अगस्त के महीने में होने वाली बैठकों में करीब 75 बेसिस प्वाइं की कटौती की जा सकती है, जबकि वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही के दौरान भी 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती संभव है.
क्या होता है रेपो रेट
हर दो महीने में आरबीआई की बैठक होती है, जिसमें नीतिगत मामलों की समीक्षा की जाती है. आरबीआई मोनेट्री पॉलिसी कमेट में शामिल छह सदस्यों में से तीन आरबीआई के होते हैं जबकि अन्य केन्द्र सरकार की तरफ से नियुक्त किए जाते हैं. वित्त वर्ष के दौरान छह बैठकें होती है. इसी में रेपो रेट बाजार की स्थिति को देखते हुए तय किया जाता है ताकि मंहगाई और अर्थव्यवस्था काबू में रहे.
रेपो रेट वो दर होता है, जिस पर आरबीआई की तरप से बैंकों को कर्ज दिया जाता है. अगर रेट रेट में कटौती होती तो इसका सीधा आम लोगों के ऊपर पड़ता है, क्योंकि उसके बाद बैंकों की तरफ से मिलने वाला बैंक लोन सस्ता हो जाता है. इसके साथ ही, लोगों के लोन पर ईएमआई भी सस्ती हो जाती है. घर और गाड़ियों के लोन भी सस्ते हो जाते हैं.
Published at : 16 May 2025 11:30 AM (IST)
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