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शेयर बाजार पर पहलगाम हमले का असर: आएगी बड़ी गिरावट या खरीदारी का मौका?

पहलगाम हमले और भारत की संभावित सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई के बीच निवेशक अभी "वेट एंड वॉच" मोड में हैं

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने का असर आज 25 अप्रैल को शेयर बाजार पर भी साफ दिखाई दिया। सेंसेक्स 589 अंक गिरकर बंद हुआ। वहीं निफ्टी फिसलकर 24,000 पर आ गया। कारोबार के दौरान तो एक समय सेंसेक्स 1,200 अंकों तक टूट गया था। बीएसई के स्मॉलकैप और मिडकैप इंडेक्स करीब 2.5 फीसदी तक गिर गए। कंपनियों की मार्केट वैल्य में कुल करीब 9 लाख करोड़ की गिरावट आई। पूरे दिन निवेशक यह आकलन करने में जुटे रहे कि आखिर भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव का शेयर मार्केट पर कितना असर पड़ सकता है? इससे भी अहम बात ये कि क्या ये गिरावट एक दिनों में रुक जाएगी या फिर निवेशकों को लंबी गिरावट के लिए तैयार हो जाना चाहिए?

भारतीय शेयर बाजारों ने आज 25 अप्रैल को सतर्क रुख अपनाया। पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले और भारत की संभावित सैन्य और कूटनीतिक कार्रवाई के बीच निवेशक अभी "वेट एंड वॉच" के मोड में हैं। जानकारों का कहना है कि फिलहाल बाजार की प्रतिक्रिया संयमित रही है, लेकिन अगर दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ा, तो इससे मार्केट का सेंटीमेंट एकदम बिगड़ सकता है।

इसी बीच, कमजोर तिमाही नतीजे और विदेशी निवेशकों की स्ट्रैटजिक वापसी, इन दोनों वजहों ने शेयर बाजार को दो अलग-अलग दिशाओं में खींचा है। यही वजह है कि बाजार फिलहाल किसी भी दिशा में स्पष्ट ब्रेकआउट देने की जगह "कंसॉलिडेशन" की ओर बढ़ रहा है।

White Oak के फाउंडर प्रशांत खेमका का कहना है कि मार्केट फिलहाल कोई बड़ी सैन्य कार्रवाई की उम्मीद नहीं कर रहा है। पहले के घटनाओं के दौरान जैसी सीमित कार्रवाई देखी गई थी, वैसी ही कार्रवाई के इस बार भी होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं। खेमका का कहना है कि अगर ऐसा होता है तो बाजार को कोई सीधा झटका नहीं लगेगा।

लेकिन कई निवेशकों का मानना है कि इस बार जैसे पीएम मोदी पहले अपना सऊदी का दौरा बीत में छोड़कर आए, जैसे उन्होंने बयान दिए हैं और जिस तरह की लगातार हाई लेवल मीटिंग हो रही हैं, उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि भारत इस बार पहले से कहीं अधिक बड़ी और गंभीर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। अगर ऐसा होता है तो फिर शेयर मार्केट की सारी कैलकुलेशन ध्वस्त हो सकती हैं।

Helios Capital के फाउंडर और फंड मैनेजर समीर अरोड़ा कहते हैं—“आप कभी भी ऐसी घटनाओं के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हो सकते।”

वहीं पर अबैकस एसेट मैनेजर के सुनील सिंघानिया ने कहा कि बाजार की आज चाल निवेशकों के लिए मौन संदेश हैं कि हमें फिलहाल इंतजार करने की रणनीति अपनानी चाहिए।

इस बीच सेंसेक्स पिछले दो दिनों से लगभग सपाट या लाल निशान में रहा है। लेकिन इससे पहले 9 अप्रैल से 23 अप्रैल के बीच शेयर बाजारों में भारी तेजी देखी गई। सेंसेक्स ने इस दौरान लगभग 6,000 अंकों या करीब 8 फीसदी की छलांग लगाई थी। इस पूरी तेजी में सबसे अहम भूमिका निभाई थी, बैंकिंग सेक्टर ने। पिछले साल परफॉर्म न करने के बाद, बैंकों में वैल्यू रोटेशन और शॉर्ट कवरिंग की वजह से तेजी आई।

टेक्निकल एक्सपर्ट सुशील केडिया का कहना है कि बैंकिंग शेयरों में सेफ हेवन बाइंग देखने को मिली, लेकिन अब शॉर्ट कवरिंग पूरी हो चुकी है और बाजार में एक नई गिरावट आ सकती है।

इस पूरे मामले में विदेशी निवेशकों की भूमिका भी दिलचस्प रही है। अप्रैल महीने में जहां FII ने कुल 55 करोड़ डॉलर की बिकवाली की है, वहीं पिछले सात कारोबारी दिनों में वे 3 अरब डॉलर की खरीदारी कर चुके हैं। एक विदेशी ब्रोकरेज हाउस के इक्विटीज हेड का कहना है कि ये कोई पैसिव फ्लो नहीं है, बल्कि अमेरिकी शेयर बाजारों में अनिश्चितता के चलते विदेशी निवेशकों ने अपनी रणनीति बदली है और अब वे भारत आ रहे हैं।

हालांकि, उन्होंने साथ में यह भी कहा कि मार्केट की चाल के लिए विदेशी निवेशकों के फंडिंग फ्लो पर भरोसा नहीं किया जा सकता, बल्कि असली कहानी कंपनियों की अर्निंग्स और वैल्यूएशन से ही तय होगी। लेकिन जब हम कंपनियों की अर्निंग्स और तिमाही नतीजों की देखें तो, तो उतनी मजबूत नहीं दिखाई देती।

मनीकंट्रोल की एक एनालिसिस के मुताबिक, 111 कंपनियों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट सालाना आधार पर सिर्फ 6% बढ़ा है, जो बीते 5 तिमाही में सबसे कमजोर ग्रोथ है। इन कंपनियों की नेट प्रॉफिट और नेट सेल्स ग्रोथ भी कमजोर रही है।

आईटी और FMCG सेक्टर भी इस बार अब तक निराशाजनक रहा है। Infosys, TCS, HCL Tech, Wipro सभी की आमदनी में गिरावट आई है, वहीं HUL और Nestle जैसी कंपनियों ने भी कमजोर नतीजे दिए हैं।

एक ब्रोकरेज फर्म के एनालिस्ट्स ने बताया कि बाजार में अभी जो भी थोड़ी-बहुत तेजी दिख रही है, वह वैल्यू के चलते आ रही है, न कि कंपनियों के फंडामेंटल के दम पर। यहां तक कि कंजम्प्शन सेक्टर को लेकर भी चिंता जताई जा रही है। बजट में टैक्स सेविंग्स के कई ऐलान किए गए थे। इससे उम्मीद थी कि लोग ज्यादा खर्च करेंगे, लेकिन डिमांड के आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं।

कुल मिलाकर, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत जरूर है, लेकिन शेयर बाजार की दिशा अब दो चीजों पर निर्भर करेगी। पहला, भारत-पाक तनाव कितना बढ़ता है, और दूसरा, कंपनियों की कमाई इस महंगे वैल्यूएशन को कितना जस्टिफाई कर पाती है। फिलहाल बाजार सांस रोके बैठा है, एक तरफ बॉर्डर की ओर निगाहें, तो दूसरी तरफ कंपनियों की अर्निंग्स शीट पर नजर।

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