हिंदी न्यूज़टेक्नोलॉजीसैन्य तकनीक की दुनिया में आ रहे हैं ये 5 बड़े बदलाव! बदल देंगे युद्ध का चेहरा
सैन्य क्षेत्र में नई तकनीक किसी भी देश की सुरक्षा को मज़बूती देने में अहम भूमिका निभाते हैं. 2024-2025 के दौरान कुछ ऐसी नई तकनीकें सामने आ रही हैं जो न केवल सैन्य रणनीतियों को पूरी तरह से बदल देंगी,
By : एबीपी टेक डेस्क | Edited By: हिमांशु तिवारी | Updated at : 07 Jun 2025 09:37 AM (IST)
(नई सैन्य तकनीक)
Source : X.com
New Weapon Technology: सैन्य क्षेत्र में तकनीकी नवाचार किसी भी देश की सुरक्षा को मज़बूती देने में अहम भूमिका निभाते हैं. 2024-2025 के दौरान कुछ ऐसी नई तकनीकें सामने आ रही हैं जो न केवल सैन्य रणनीतियों को पूरी तरह से बदल देंगी, बल्कि आधुनिक युद्ध के तौर-तरीकों को भी नए स्तर पर पहुंचा देंगी. आइए जानते हैं ऐसी 5 प्रमुख सैन्य तकनीकों के बारे में जो आने वाले समय में पूरी दुनिया की रक्षा व्यवस्था को प्रभावित करेंगी.
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)
AI अब सिर्फ सॉफ्टवेयर या चैटबॉट तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह अब युद्ध की रणनीति बनाने, दुश्मन की हरकतें भांपने और सैनिकों को खतरे से बचाने में बड़ी भूमिका निभा रहा है. AI सिस्टम्स रियल-टाइम में भारी मात्रा में डेटा को प्रोसेस करके कमांडर्स को तत्काल निर्णय लेने में मदद करते हैं.
AI से लैस ड्रोन और ऑटोनोमस व्हीकल्स अब निगरानी, हमले और खोज-बचाव अभियानों में इंसानों की जगह ले रहे हैं. इसके अलावा, AI साइबर सुरक्षा में भी गेम चेंजर बन चुका है जो खतरे को पारंपरिक तरीकों की तुलना में बहुत तेजी से पहचान कर निष्क्रिय करता है.
अत्याधुनिक रक्षा उपकरण
सैन्य उपकरणों में हो रहे तकनीकी सुधारों के चलते अब बुलेटप्रूफ जैकेट्स से लेकर मिसाइल सिस्टम तक पहले से कहीं ज़्यादा हल्के, मज़बूत और फुर्तीले बन चुके हैं. नैनोमैटेरियल्स और कंपोज़िट टेक्नोलॉजी से तैयार नए बॉडी आर्मर सैनिकों को सुरक्षा तो देते ही हैं, साथ ही उनकी गति और सहनशक्ति को भी बनाए रखते हैं.
इसके अलावा, एक्सोस्केलेटन सूट्स सैनिकों को अतिरिक्त ताकत प्रदान करते हैं जिससे वो भारी सामान लेकर लंबे समय तक चल सकते हैं. वहीं, लेज़र और डायरेक्ट एनर्जी वेपन्स जैसे हथियार अब तेजी से खतरों को निष्क्रिय करने का नया साधन बन रहे हैं.
इंटरनेट ऑफ मिलिट्री थिंग्स (IoMT)
IoMT का मतलब है, सभी सैन्य डिवाइसेज़, वाहन और सिस्टम्स को आपस में जोड़ देना ताकि वे रीयल-टाइम में डेटा साझा कर सकें. इससे सेना को हर पल की सटीक जानकारी मिलती है जैसे सैनिकों की लोकेशन, स्वास्थ्य, गोला-बारूद की स्थिति आदि.
लाइट फिडेलिटी (LiFi) तकनीक की मदद से अब डिफेंस कम्युनिकेशन को रेडियो वेव्स की बजाय लाइट वेव्स के ज़रिये किया जा रहा है. यह न केवल डेटा को बेहद तेज़ी से भेजता है बल्कि हैकिंग या इंटरसेप्शन की आशंका को भी लगभग खत्म कर देता है.
रोबोटिक्स
अब रोबोट्स सिर्फ फैक्ट्री तक सीमित नहीं रहे. आधुनिक युद्ध में ड्रोन, ग्राउंड व्हीकल्स और अंडरवाटर रोबोट्स जैसे ऑटोनोमस सिस्टम निगरानी, बम डिफ्यूज़, रसद और दुश्मन की खोज जैसे काम कर रहे हैं – वो भी बिना किसी इंसानी खतरे के.
AI की मदद से ये सिस्टम ख़तरनाक इलाकों में खुद से रास्ता तलाश सकते हैं निर्णय ले सकते हैं और मिशन पूरा कर सकते हैं. समुद्री अभियानों में AUVs (Autonomous Underwater Vehicles) की मदद से अब माइन डिटेक्शन और सी सर्वे भी आसान हो गया है.
बिग डेटा और एनालिटिक्स
सेना के पास सैटेलाइट, ड्रोन, सेंसर्स और संचार नेटवर्क से प्रतिदिन लाखों डेटा पॉइंट्स आते हैं. इनका विश्लेषण करके न केवल दुश्मन की रणनीतियों को पहले से समझा जा सकता है बल्कि हथियारों की मेंटेनेंस, रसद और टुकड़ी संचालन को भी स्मार्ट तरीके से मैनेज किया जा सकता है.
बिग डेटा के ज़रिए सोशल मीडिया और ओपन-सोर्स डेटा से भी आतंकी गतिविधियों और अस्थिरता की आशंका को पहले से पहचाना जा सकता है. इससे सेनाएं पहले से तैयारी कर पाती हैं और प्रतिक्रिया तेज़ और सटीक होती है.
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Published at : 07 Jun 2025 09:36 AM (IST)
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