हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया'हिंदुओं के जल, जमीन और मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी', गुवाहाटी में बोले मोहन भागवत
मोहन भागवत ने कहा, 'प्रत्येक भारतीय परिवार को अपनी भाषा, वस्त्र, भोजन, आवास और भ्रमण में स्वदेशी को अपनाना चाहिए. हमें विदेशी भाषाओं के उपयोग को कम करने और अपनी मातृभाषा में संवाद को बढ़ाना चाहिए.'
By : एबीपी लाइव | Edited By: Santosh Singh | Updated at : 23 Feb 2025 08:16 PM (IST)
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
गुवाहाटी पहुंचे आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संघ कार्यकर्ता मिलन समारोह में हिस्सा लिया. संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा, 'समाज के लिए आवश्यक 5 परिवर्तनों, अर्थात् सामाजिक समरसता, पारिवारिक मूल्यबोध, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी और नागरिक कर्तव्य पर चर्चा होनी चाहिए.
न्यूज़ एजेंसी ANI की रिपोर्ट के मुताबिक, मोहन भागवत ने कहा, 'समाज के आचरण में परिवर्तन लाने वाली बातें हमने कहीं हैं. हम सभी हिन्दुओं को एक मानते हैं लेकिन कुछ लोग उनमें जाति के नाम पर भेद मानते हैं, हमें सभी हिन्दुओं को एक करना है ,उनके सुख दुःख में हमें साथ रहना है. जहां संघ की शाखा है वहां हमने हिन्दुओं को एक करने का काम किया है. जहां-जहां संघ है वहां हिन्दुओं के जल,जमीन,मकान, मंदिर और श्मशान सभी की हमें रक्षा करनी है.'
'स्वदेशी आचरण अपनाना जरूरी'
आरएसएस प्रमुख ने कहा, 'हमें स्वदेशी का आचरण करना है, हमारे देश के अंदर हम अंग्रेजी क्यों बोलेंगे, हमें अपनी मातृभाषा बोलनी चाहिए. जहां अंग्रेजी की आवश्यकता है उसको वहां बोलेंगे लेकिन हमें स्वदेशी आचरण अपनाना चाहिए. परिवार में भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देने से समाज सही दिशा में आगे बढ़ेगा.'
'एकता को बढ़ावा देने पर बल देना होगा'
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा,'समाज में विभिन्न जातियों, मतों, क्षेत्रों और भाषाओं के बीच मित्रता और एकता को बढ़ावा देने के महत्व पर बल देना चाहिए ताकि एक समरस समाज का निर्माण किया जा सके. अपने परिवार में भारतीय मूल्यों को बढ़ावा देना समाज को सही दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्ग प्रदान करेगा. सभी हिन्दू मंदिरों, जलाशयों और श्मशान भूमि को आपसी सहयोग के माध्यम से उपयोग करना चाहिए.'
उन्होंने कहा, 'पर्यावरण संरक्षण में समाज की सामूहिक जिम्मेदारी पर भी बात होनी चाहिए, जिसमें जल संरक्षण, पॉलिथीन न्यूनता और वृक्षारोपण जैसी क्रियाओं को महत्व दिया. प्रत्येक भारतीय परिवार को अपनी भाषा, वस्त्र, भोजन, आवास और भ्रमण में स्वदेशी को अपनाना चाहिए. हमें विदेशी भाषाओं के उपयोग को कम करने और अपनी मातृभाषा में संवाद को बढ़ाना चाहिए.'
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Published at : 23 Feb 2025 08:16 PM (IST)
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