प्रमोद गुब्बी ने कहा कि इस समय बाजार और ग्लोबल पॉलिसी दोनों में बहुत ज्यादा अनिश्चितता देखने को मिल रही है। ऐसे में निवेश ज्यादा जोखिम वाले निवेश विकल्पों को लेकर सतर्क दिख रहे हैं
Market trend : मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के प्रमोद गुब्बी का कहना है कि मार्जिन,लोन ग्रोथ और असेट क्वालिटी से जुड़ी चुनौतियों बावजूद, बैंकों का वैल्यूएशन उनकी हालिया तेजी के बाद भी, ब्रॉडर मार्केट की तुलना में उचित बना हुआ है। ट्रम्प टैरिफ के कारण उत्पन्न अनिश्चितता पर कमेंट करते हुए,गुब्बी ने कहा कि हालांकि अभी यह पता है कि टैरिफ के मुद्दे में स्पष्टता कब आएगी लेकिन अंततः इसका समाधान जरूर होगा। उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप टैरिफ के चलते बनी अनिश्चितता का वर्तमान दौर लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए बार्गेन बाइंग करने के लिए बहुत अच्छा समय है। इस समय तमाम अच्छे शेयर बहुत अच्छे भाव पर मिल रहे हैं। प्रमोद गुब्बी मार्सेलस इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के को-फाउंडर हैं।
क्या आप टैरिफ जोखिम के बाद किसी बड़े ट्रेंड या थीम को उभरते देख रहे हैं?
इसके जबाव में प्रमोद गुब्बी ने कहा कि इस समय बाजार और ग्लोबल पॉलिसी दोनों में बहुत ज्यादा अनिश्चितता देखने को मिल रही है। ऐसे में निवेश ज्यादा जोखिम वाले निवेश विकल्पों को लेकर सतर्क दिख रहे हैं। इसके चलते बाजार और खास कर अमेरिकी बाजार में इक्विटी, बॉन्ड और करेंसी में कमजोरी देखने को मिल रही है। लेकिन अंततः वर्तमान में चल रही दिक्कतों का समाधान जरूर होगा। ऐसे में हमें इस समय सस्ते में मिल रहे अच्छे शेयरों के लंबे निवेश नजरिए से खरीदना चाहिए।
क्या आप मानते हैं कि ट्रंप की 90 दिन की समय-सीमा एक बाध्यकारी समय-सीमा से ज्यादा एक राजनीतिक पैंतरेबाजी है?
इस पर प्रमोद ने कहा कि वे कोई पॉलिसी एक्सपर्ट नहीं है लेकिन उन्होंने लगता है कि एक्सपर्ट भी इस विषय पर निश्चितता के साथ कुछ नहीं कह सकते। अभी इस पर कुछ कहना सिर्फ अटकलबाजी ही होगी।
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि टैरिफ जोखिम के कारण इक्विटी बाजार में आने वाली गिरावट पूरी हो चुकी है? या फिर अभी और गिरावट बाकी है?
सामान्य परिस्थितियों में भी शॉर्ट में बाज़ारों की भविष्यवाणी करना बहुत कठिन होता है। मौजूदा माहौल को देखते हुए,बाज़ार के बॉटम का अनुमान लगाना मुश्किल है। लेकिन लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए इस समय अच्छी क्वालिटी के शेयरों में निवेश करने का अच्छा मौका है।
क्या आप डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन से जुड़े शेयरों को लेकर बुलिश हैं?
आंकडों से पता चलता है कि देश के मिडिल क्लास से खर्च में कमी आई है। कोविड के बाद लोगों का खर्च काफी बढ़ा था। ऐसे में रिटेल लोन में काफी बढ़त हुई थी। लेकिन अब इसमें सुस्ती देखने को मिल रही है। इसके अलावा बढ़ते ऑटोमेशन और AI के चलते रोजगार सृजन और आय ग्रोथ में भी कमी आई है। यह स्थिति डिस्क्रिशनरी कंजम्प्शन से जुड़े शेयरों के लिए अच्छी नहीं है।
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