‘हमने पिछले पांच साल के दौरान भारत में अपने निवेश को दोगुना किया है। केवल वित्तीय सेवा क्षेत्र में ही हमारा कुल निवेश करीब 20 अरब डॉलर का है।
Last Updated- March 05, 2025 | 10:12 PM IST
सिंगापुर का सॉवरिन वेल्थ फंड जीआईसी भारत में अपना निवेश दोगुना करने की योजना बना रहा है। उसे लगता है कि देश में उपभोक्ता मांग में तेजी आएगी। जीआईसी ने करीब 30 साल पहले भारत में निवेश करना शुरू किया था। तमाम वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद जीआईसी को बुनियादी ढांचा, उपभोक्ता बाजार, प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में जबरदस्त संभावनाएं दिख रही हैं।
जीआईसी के सीईओ लिम चाउ कियात ने एक बातचीत में कहा, ‘भूराजनीति में बदलाव और अमेरिका की व्यापार नीतियों के कारण काफी वैश्विक अनिश्चितता दिख रही है, लेकिन भारत अनुकूल स्थिति में है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत ने काफी हद तक अपने स्वतंत्र रुख को बरकरार रखा है और वहां मौजूद संभावनाओं के बारे में हम काफी उत्साहित हैं।’
लिम ने निवेश के लिहाज से भारत के आकर्षण की वजह बताते हुए कहा कि कंपनियां आपूर्ति श्रृंखलाओं को विविध बना रही हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि और अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) एवं अन्य निवेश का रुख भारत की ओर होगा। इससे भारत में काफी रोजगार सृजित होंगे और मध्यवर्ग को मजबूती मिलेगी।’
कई सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में जीआईसी की महत्त्वपूर्ण हिस्सेदारी है। लिम ने कहा, ‘हमने पिछले पांच साल के दौरान भारत में अपने निवेश को दोगुना किया है। केवल वित्तीय सेवा क्षेत्र में ही हमारा कुल निवेश करीब 20 अरब डॉलर का है। इसमें बैंकों के अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, बीमा और परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियां शामिल हैं। यह क्षेत्र भारत की वृद्धि, मध्यवर्ग के बढ़ते दायरे और डिजिटलीकरण के अनुरूप है।’ जीआईसी मुख्य तौर पर रियल एस्टेट, बुनियादी ढांचा, उपभोक्ता बाजार, प्रौद्योगिकी एवं स्वास्थ्य सेवा जैसे क्षेत्रों में काफी सक्रिय रहा है। एलऐंडटी, इन्फोसिस, भारती एयरटेल आदि कंपनियों में उसका निवेश रहा है।
लिम ने भारत की युवा आबादी, सुधारों और तकनीकी प्रगति के साथ-साथ हाल में बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर किए गए निवेश पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘सबसे प्रमुख चुनौती रोजगार सृजन की है क्योंकि मध्यवर्ग की आय बढ़ने से खर्च को रफ्तार मिलेगी जिससे मुनाफा होगा। मगर सुधार के लिए किए गए उपायों के नतीजे अब दिखने लगे हैं और उद्योग विस्तार की राह पर अग्रसर हैं।
एक अन्य महत्त्वपूर्ण चुनौती कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता है। मगर हम देख रहे हैं कि अक्षय ऊर्जा में निवेश के जरिये इस निर्भरता को कम करने के लिए नीतिगत प्रयास और उद्यमिता पहल की जा रही हैं।’ शेयर बाजार में हालिया गिरावट व प्रभाव के बारे में लिम ने कहा, ‘इससे सौदों के लिए अधिक अवसर पैदा होते हैं और हमें कई संभावित सौदे दिख रहे हैं।’
First Published - March 5, 2025 | 10:07 PM IST
टिप्पणियाँ