4 घंटे पहले 1

Mutual Funds Buying-Selling: Nifty के 39 स्टॉक्स में म्यूचुअल फंड्स ने घटाई हिस्सेदारी, आपके पोर्टफोलियो में है कोई?

Nifty 50 के 50 शेयरों में से म्यूचुअल फंड ने लगभग 39 कंपनियों में निवेश हल्का किया है, जबकि शेष में होल्डिंग बढ़ाई।

Mutual Funds Buying-Selling: ऐसे समय में जब विदेशी निवेशक धड़ाधड़ बिकवाली कर रहे थे, उस समय भी भारत के म्यूचुअल फंड्स ब्लू-चिप स्टॉक्स ताबड़तोड़ खरीदारी कर रहे थे लेकिन अप्रैल में रुझान एकाएक पलट गया। अप्रैल महीने में भारत के म्यूचुअल फंड्स ने अपनी होल्डिंग हल्की करनी शुरू कर दी। मनीकंट्रोल की हालिया रिसर्च के मुताबिक म्यूचुअल फंड्स ने निफ्टी 50 के करीब 75 फीसदी स्टॉक्स में अपनी होल्डिंग हल्की की है। एनालिस्ट्स के मुताबिक यह रुझान घरेलू संस्थागत निवेशकों की मुनाफावसूली है।

Mutual Funds ने सबसे अधिक की ICICI Bank में बिकवाली

निफ्टी 50 के शेयरों में से म्यूचुअल फंड ने लगभग 39 कंपनियों में निवेश हल्का किया है, जबकि शेष में होल्डिंग बढ़ाई। ICICI बैंक में म्यूचुअल फंड्स ने सबसे अधिक बिकवाली की, जिसमें 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हुई। इसके बाद एचडीएफसी बैंक में 5,285 करोड़ रुपये और भारती एयरटेल में 4,819 करोड़ रुपये की बिकवाली हुई। इसके बाद भारत के म्यूचुअल फंड्स ने आईटीसी (4,466 करोड़ रुपये), एक्सिस बैंक (3,081 करोड़ रुपये), बजाज फाइनेंस (2,600 करोड़ रुपये), सिप्ला (2,522 करोड़ रुपये), एसबीआई (2,454 करोड़ रुपये), महिंद्रा एंड महिंद्रा (1,931 करोड़ रुपये), एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस (1,846 करोड़ रुपये), हिंदुस्तान यूनीलीवर (1,504 करोड़ रुपये), और टाटा मोटर्स (1,266 करोड़ रुपये) में बिकवाली की।

वहीं दूसरी तरफ भारत के म्यूचुअल फंड्स ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में सबसे अधिक खरीदारी की जिसमें म्यूचुअल फंड ने 1,647 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद सबसे अधिक टाटा स्टील में 1,285 करोड़ रुपये और इंफोसिस में 1,210 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके बाद घरेलू म्यूचुअल फंड्स ने सबसे अधिक रिलायंस इंडस्ट्रीज (957 करोड़ रुपये), डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज (690 करोड़ रुपये), एचडीएफसी लाइफ इंश्योरेंस (515 करोड़ रुपये), जेएसडब्ल्यू स्टील (403 करोड़ रुपये), और बजाज ऑटो (267 करोड़ रुपये) में पैसे डाले।

Nifty

क्या कहना है एक्सपर्ट का?

एक्सिस सिक्योरिटीज के राजेश पालवीय (Rajesh Palviya) का कहना है कि हालिया खरीदारी-बिकवाली मुनाफावसूली या पोर्टफोलियो के एडजस्टमेंट को दिखाता है। कंपनियां तिमाही नतीजे जारी कर रही हैं और ऐसे में कुछ एडजस्टमेंट्स होता है यानी खरीदारी-बिकवाली होती है। कुल मिलाकर फंड प्रवाह स्थिर बना हुआ है। राजेश के मुताबिक म्यूचुअल फंड ने रणनीतिक रणनीति के तहत मौके का फायदा उठाते हुए उन चुनिंदा शेयरों में हिस्सेदारी कम कर दी होगी, जिनमें तेजी आई थी। राजेश पालवीय के मुताबिक पिछले सितंबर से लगातार बिकवाली के बाद एफआईआई हाल ही में निचले स्तरों पर आकर्षक मूल्यांकन का लाभ उठाते हुए नेट बायर्स बन गए हैं।

डिस्क्लेमर: मनीकंट्रोल.कॉम पर दिए गए सलाह या विचार एक्सपर्ट/ब्रोकरेज फर्म के अपने निजी विचार होते हैं। वेबसाइट या मैनेजमेंट इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। यूजर्स को मनीकंट्रोल की सलाह है कि कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले हमेशा सर्टिफाइड एक्सपर्ट की सलाह लें।

पूरा लेख पढ़ें

ट्विटर से

टिप्पणियाँ