अमेरिकी प्रॉपरायटरी फर्म जेन स्ट्रीट के इंडिया में कुछ फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस ट्रेड्स जांच के दायरे में हैं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) इन डेरिवेटिव सौदों की जांच करेगा। इस मामले से जुड़े लोगों ने मनीकंट्रोल को यह जानकारी दी। जेन स्ट्रीट दुनिया की बड़ी प्रॉपरायटरी फर्मों में से एक है। यह लाखों करोड़ डॉलर के ट्रांजेक्शन करती है। जेन स्ट्रीट सिंगापुर पीटीई भारत में फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर (एफपीआई) के रूप में रजिस्टर्ड है। उसके फंड के कस्टोडियन की भी जांच होगी।
प्रॉपरायटरी फर्म का मतलब
प्रॉपरायटरी फर्म (Proprietary Firm) ऐसे फर्म को कहा जाता है जो किसी क्लाइंट की जगह खुद के लिए ट्रेडिंग करती हैं। दरअसल, NSE के सर्विलांस सिस्टम ने जेन स्ट्रीट के कुछ खास डेरिवेटिव सौदों को चिन्हित किया था। एनएसई ने पाया था कि जेन स्ट्रीट के कुछ ट्रेड एक ही काउंटरपार्टी से मैच किए गए फिर रिवर्स कर दिए गए। इसका मतलब यह है कि जेन स्ट्रीट ने बहुत कम समय में अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को रिवर्स कर दिया। ऐसा पहले की कीमत से काफी ज्यादा या काफी कम कीमत पर किया गया।
एनएसई ने जनवरी में भेजा नोटिस
NSE ने इस बारे में जेन स्ट्रीट के कस्टोडियन बैंक को जनवरी में नोटिस भेजा था। इसके जवाब में कस्टोडियन बैंक और जेन स्ट्रीट ने कहा था कि जिन सौदों के बारे में सवाल पूछे गए हैं वे मशीम बेस्ड थे। उनमें कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं था। कस्टोडियन बैंक और जेन स्ट्रीट ने कहा था कि इससे यह साफ हो जाता है तो यह ट्रेड किसी मकसद से नहीं किया गया था। एनएसई स्टॉक मार्केट का पहला लेवल का रेगुलेटर है। उसे ट्रेडिंग मेंबर्स, कस्टोडियन और दूसरे दूसरे रजिस्टर्ड पार्टिसिपेंट्स को किसी ट्रेड को लेकर नोटिस इश्यू करने का अधिकार है।
फंड कई एआई मॉडल्स का इस्तेमाल करते हैं
इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा, "F&O के सभी बड़े प्लेयर्स के पास कई AI मॉडल्स होते हैं। ये मॉडल्स ट्रेड्स के लिए अलग-अलग क्राइटेरिया का इस्तेमाल करते हैं। कई बार दो अलग मॉडल्स एक ही सिचुएशन के बारे में विपरीत पोजीशन लेते हैं। ऐसा भी होता है कि एक ही एल्गो माइक्रो-सेकेंड लेवल मूवमेंट पर अलग-अलग ट्रेड सजेस्ट करते हैं।" उन्होंने कहा कि न सिर्फ Jane Street बल्कि ऐसे चार और विदेशी पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स हैं, जिन्हें एनएसई का नोटिस मिला है। वे नोटिस का जवाब देने की प्रक्रिया में हैं।
जेन स्ट्रीट की दिलचस्पी इंडियन मार्केट्स में बढ़ी है
इस बारे में NSE और Jane Street को भेज ईमेल का जवाब नहीं मिला। यह मामला ऐसे वक्त सामने आया है, जब इंडिया में जेन स्ट्रीट का कामकाज तेजी से बढ़ रहा है। इसके फंड इंडिया के डेरिवेटिव मार्केट्स में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। इंडियन मार्केट्स के डेरिवेटिव सेगमेंट में देशी और विदेशी इनवेस्टर्स की दिलचस्पी पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ी है। मार्केट रेगुलेटर सेबी इस पर चिंता जता चुका है। उसने इसे नियंत्रित करने के लिए कई कदम भी उठाए हैं।
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