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SEBI news: वायदा कारोबार पर SEBI के अहम प्रस्ताव, वायदा बैन में बार-बार नहीं आएंगे शेयर

अभी ऑप्शंस ओपन इंटरेस्ट में स्ट्राइक प्राइस का नोशनल वैल्यू लेते हैं। डेल्टा बेस्ड OI में स्ट्राइक के डेल्टा के हिसाब से कैलकुलेशन होगा। OTM कॉल की डेल्टा के हिसाब से गणना की जाएगी

SEBI news: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने वायदा बाजार पर अहम कंसलटेशन पेपर जारी किया है। सेबी चाहता है कि शेयर बार-बार वायदा बैन में ना आए। इसके लिए रेगुलेटर ने OI कैलकुलेशन का फॉर्मूला बदलने की वकालत की है। वायदा पर SEBI के इस कंसलटेशन पेपर में सिफारिश की गई है कि ओपन इंटरेस्ट कैलकुलेशन का तरीका बदला जाना चाहिए। अभी F&O में हर ट्रेडर के ओपन सौदे जोड़ते हैं। ऑप्शंस में नोशनल वैल्यु के हिसाब से OI (ओपन इंटरेस्ट) कैलकुलेट करते हैं। लेकिन अब फ्यूचर्स इक्विलेंट या डेल्टा बेस्ड OI कैलकुलेशन का प्रस्ताव है।

सेबी का उद्देश्य है कि बार-बार शेयर वायदा बैन में ना जाए। अभी ऑप्शंस के नोशनल वैल्यू की वजह से MWPL(मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट ) जल्दी 95 फीसदी के पार हो जाती है। सेबी चहती है कि इंडेक्स डेरिवेटिव पोजिशन लिमिट में भी बदलाव किया जाना चाहिए। इसके साथ ही SEBI, MWPL के कैलकुलेशन का फॉर्मूला भी बदलना चाहती है।

क्या है डेल्टा बेस्ड OI कैलकुलेशन?

अभी ऑप्शंस ओपन इंटरेस्ट (OI) में स्ट्राइक प्राइस का नोशनल वैल्यू लेते हैं। डेल्टा बेस्ड OI में स्ट्राइक के डेल्टा के हिसाब से कैलकुलेशन होगा। OTM कॉल की डेल्टा के हिसाब से गणना की जाएगी। अगर OTM का डेल्टा 0.2 होगा तो उसी के हिसाब से OI जुड़ेगा। बता दें की F&O सेगमेंट के अंतर्गत वायदा बैंन में वे कंपनियां शामिल होती हैं, जिनके डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट मार्केट वाइड पोजीशन लिमिट के 95 फीसदी से ज्यादा हो जाती हैं।

सेबी ने इस कंसलटेशन पेपर के वायदा बाजार का गहराई के बढ़ाने और ओपन इंटरेस्ट के लिए वायदा बाजार में होने वाले बहुत से हेर-फेर पर रोक लगाने की कोशिश की है। सेबी ने बताया है कि 1 जुलाई 2024 से 30 सितंबर 2024 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस अवधि में 366 बार स्टॉक्स बैन में चले गए हैं। लेकिन नया डेल्टा बेस्ड ओपन इन्टरेस्ट कैलक्युलेटर अपनाया गया होता तो केवल 27 स्टॉक की बैन में जाते दिखते। इसका मतलब ये है कि अगर ओपन इन्टरेस्ट गणना की सेबी द्वारा प्रस्तावित नई पद्धति लागू हो जाती की तो वायदा बैन की घटनाओं में 90 फीसदी की कमी आएगी।

सेबी ने इस कंसलटेशन पेपर के वायदा बाजार का गहराई के बढ़ाने और ओपन इंटरेस्ट के लिए वायदा बाजार में होने वाले बहुत से हेर-फेर पर रोक लगाने की कोशिश की है।

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