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अमेरिका-चीन की वजह से इन 3 स्टॉक्स में आई तेजी, एक्सपर्ट बोले निवेश से पहले जरूर बरतें सावधानी

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रिपोर्ट के अनुसार, कॉपर की कीमतें 9000 से 10200 डॉलर प्रति टन के बीच बनी रह सकती हैं और इसमें उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है.

By : एबीपी बिजनेस डेस्क | Edited By: सुष्मित सिन्हा | Updated at : 17 May 2025 05:36 PM (IST)

वेदांता, हिंडाल्को और नालको जैसे दिग्गज मेटल स्टॉक्स में इस हफ्ते में जोरदार रिबाउंड देखने को मिला. इन कंपनियों के शेयरों में 4 फीसदी से 13 फीसदी तक की मजबूती दर्ज की गई. सबसे ज़्यादा फायदा नालको को हुआ, जबकि वेदांता ने भी 7 फीसदी से अधिक की छलांग लगाई. निवेशकों के लिए यह हफ्ता राहत लेकर आया, लेकिन विशेषज्ञ अब भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं.

अमेरिका-चीन टैरिफ बातचीत से बढ़ी उम्मीदें

मेटल मार्केट की इस तेजी के पीछे सबसे बड़ी वजह अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ को लेकर चल रही बातचीत है. चीन दुनिया का सबसे बड़ा कमोडिटी उपभोक्ता है और जब वहां से सकारात्मक संकेत मिलते हैं, तो ग्लोबल मेटल मार्केट में भी हलचल तेज हो जाती है. निवेशकों को उम्मीद है कि अगर टैरिफ को लेकर समझौता होता है, तो मेटल की मांग और कीमत दोनों में सुधार आ सकता है.

एल्युमीनियम और कॉपर की कीमतों में रिकवरी

अप्रैल 2025 के पहले सप्ताह में लंदन मेटल एक्सचेंज (LME) पर एल्युमीनियम की कीमतें 2300 डॉलर प्रति टन से नीचे आ गई थीं. इसका कारण ट्रंप टैरिफ के चलते डिमांड में आई गिरावट थी. लेकिन अब एल्युमीनियम की कीमतें 2475 डॉलर प्रति टन तक पहुंच चुकी हैं. हालांकि, ये अब भी मार्च 2025 के 2700+ डॉलर प्रति टन के शिखर से नीचे हैं. इसी तरह कॉपर की कीमतें भी 8600 डॉलर प्रति टन से बढ़कर अब 9475 डॉलर प्रति टन पर आ चुकी हैं. यह तेजी टैरिफ को लेकर बने पॉजिटिव माहौल के चलते आई है.

क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट

मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के मुताबिक, मेटल मार्केट अभी भी कई विरोधाभासों से जूझ रहा है. एक ओर तो अधिकतर मेटल्स में सप्लाई सरप्लस (अतिरिक्त आपूर्ति) की संभावना जताई जा रही है, वहीं दूसरी ओर ग्लोबल डिमांड कमजोर पड़ती नजर आ रही है. इसके साथ ही, यूएस-चीन टैरिफ बातचीत की अनिश्चितता ने बाजार को सतर्क बना रखा है.

विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ डील से आई पॉजिटिविटी केवल अस्थायी राहत है. डॉलर की मज़बूती मेटल की कीमतों के लिए एक नया जोखिम बन सकती है. हालांकि, हाल में घोषित टैरिफ उतने गंभीर नहीं हैं जितनी आशंका थी, लेकिन ये अब भी वैश्विक व्यापार के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं.

सोच-समझकर करें निवेश

रिपोर्ट के अनुसार, कॉपर की कीमतें 9000 से 10200 डॉलर प्रति टन के बीच बनी रह सकती हैं और इसमें उतार-चढ़ाव जारी रहने की संभावना है. बाजार की यह अनिश्चितता दिखाती है कि निवेशकों को फिलहाल एक सतर्क और सूचित रणनीति अपनानी चाहिए. जल्दबाज़ी में लिए गए फैसले जोखिम भरे हो सकते हैं.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

ये भी पढ़ें: पैसा रखें तैयार! IPO मार्केट में होने वाली है एक और धमाकेदार एंट्री, ग्रे मार्केट में तहलका मचा रही ये कंपनी

Published at : 17 May 2025 05:32 PM (IST)

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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार

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