Karvy Stock Broking scam: कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग घोटाला नवंबर 2019 में सामने आया था
Karvy Stock Broking Scam: अगर आपने भी कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड घोटाले में अपना पैसा गंवाया है, तो आपके पास अपना नुकसान वसूलने का एक आखिरी मौका है। शेयर मार्केट की रेगुलेटर, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर निवेशकों से जल्द से जल्द नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के पास अपना क्लेम दाखिल करने की अपील की है।
डेडलाइन: 2 जून 2025
SEBI ने कहा है कि, "कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड के खिलाफ निवेशकों के लिए क्लेम दाखिल करने की आखिरी तारीख नजदीक आ रही है। ऐसे में निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे इस समय सीमा को ध्यान रखें और जिन निवेशकों ने अभी तक क्लेम दाखिल नहीं किया है, वे 2 जून 2025 से पहले अपना क्लेम जरूर दर्ज करें।"
बयान में कहा गया है, "NSE के बाय-लॉज, रूल्स और रेगुलेशन के मुताबिक, निवेशकों से चूक करने वाले ब्रोकर के खिलाफ क्लेम मांगे गए थे और ऐसे निवेशकों के लिए क्लेम जमा करने की समय सीमा 02 जून 2025 तय की गई थी।"
अगर ब्रोकर चूक करता है तो निवेशक एक्सचेंज के इनवेस्टर प्रोटेक्शन फंड ट्रस्ट (निवेशक सुरक्षा निधि ट्रस्ट) से नुकसान का क्लेम/दावा करने के हकदार हैं, बशर्ते कि वे सभी मानदंडों और दस्तावेजों को पूरा करें।
कितनी राशि तक मिलेगा मुआवजा?
अगर ब्रोकर डिफॉल्ट करता है या उसे एक्सचेंज से निष्कासित कर दिया जाता है, तो उस स्थिति में NSE के इन्वेस्टर प्रोटेक्शन फंड ट्रस्ट से अधिकतम 35 लाख रुपये प्रति निवेशक तक का मुआवजा मिल सकता है, बशर्ते सभी नियम व दस्तावेज पूरे हों। हालांकि यह बढ़ा हुआ क्लेम लिमिट 13 अगस्त 2024 के बाद डिफॉल्टर घोषित किए गए ब्रोकर्स पर लागू होगा। NSE के इस ट्रस्ट में 30 अप्रैल 2025 तक 2,494 करोड़ रुपये की राशि मौजूद है।
कार्वी को 23 नवंबर 2020 को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) द्वारा डिफॉल्टर घोषित किया गया था। इसके बाद NSE के नियमों के अनुसार निवेशकों से क्लेम मांगे गए थे।
वहीं BSE में किसी ब्रोकर के डिफॉल्ट या निष्कासित किए जाने की स्थिति में 16 लाख रुपये तक का मुआवजा निर्धारित है। निवेशकों को उसी एक्सचेंज से मुआवजा दिया जाता है, जहां ट्रेड हुआ हो। हालांकि एक्सचेंज केवल तभी मुआवजा देते हैं, डिफॉल्टर ब्रोकरेज की संपत्तियां निवेशकों के क्लेम को चुकाने के लिए पर्याप्त नहीं हों।
कहां करें संपर्क?
यदि आपको क्लेम प्रक्रिया में कोई दिक्कत है या जानकारी चाहिए, तो आप NSE के टोल फ्री नंबर 1800 266 0050 (IVR विकल्प 5) पर संपर्क कर सकते हैं या ईमेल भेज सकते हैं: defaultisc@nse.co.in
क्या था कार्वी घोटाला?
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग घोटाला नवंबर 2019 में सामने आया, जब अगस्त 2019 में कंपनी की जांच के दौरान कई गंभीर अनियमितताएं पाई गईं। कंपनी ने ग्राहकों के शेयरों को गिरवी रखकर लोन लिए, और उन्हें अन्य संस्थाओं को डायवर्ट कर दिया।
कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग घोटाला अगस्त 2019 में कंपनी के निरीक्षण के बाद नवंबर 2019 में सामने आया था। गहन जांच के बाद कई अनियमितताएं पाई गईं, जिनमें ग्राहकों के शेयरों को संपार्श्विक के रूप में गिरवी रखना और इन शेयरों पर ऋण लेना और उन्हें अन्य संस्थाओं में स्थानांतरित करना शामिल था।
सेबी ने पाया कि गिरवी रखी गई प्रतिभूतियों का मूल्य 30 जून 2017 को 202 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2018 तक 1,855 करोड़ रुपये हो गया और सितंबर 2019 तक बढ़कर 2,700 करोड़ रुपये हो गया, इससे पहले कि कंपनी को तरलता की समस्या का सामना करना पड़े।
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार, कार्वी द्वारा गिरवी रखे गए शेयरों की वैल्यू 30 जून 2017 को 202 करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2018 तक 1,855 करोड़ रुपये हो गई। वहीं सितंबर 2019 में इसकी वैल्यू 2,700 करोड़ रुपये के पार पहुंच गई। इसके बाद कंपनी लिक्विडिटी संकट में फंस गई और घोटाला उजागर हुआ।
क्या हुए बदलाव?
इस घोटाले के बाद SEBI ने ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिसमें शेयर गिरवी रखने की प्रक्रिया में सुधार, तेज सेटलमेंट प्रक्रिया, ग्राहकों के खाते में सीधे सिक्योरिटी ट्रांसफर, फंड्स का क्लियरिंग कॉर्पोरेशन को डायरेक्ट ट्रांसफर आदि शामिल हैं।
तो अगर आपने भी कार्वी घोटाले में पैसे गंवाए हैं, तो अब देरी न करें। 2 जून 2025 से पहले अपना क्लेम जरूर दाखिल करें, ताकि आपको नियमानुसार मुआवजा मिल सके।
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