रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने कहा कि इससे बड़ी ‘नियामकीय अनिश्चितता’ पैदा हो जाएगी
Last Updated- March 05, 2025 | 10:26 PM IST
प्रतीकात्मक तस्वीर
दूरसंचार कंपनियों ने बुधवार को दूरसंचार विभाग (डीओटी) और भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) पर प्रस्तावित सेवा प्राधिकरण ढांचे में ओवर-द-टॉप (ओटीटी) संचार सेवाओं और उपग्रह संचार पर उनकी चिंताओं का समाधान नहीं करने का आरोप लगाया।
दूरसंचार क्षेत्र में लाइसेंसिंग व्यवस्था में में बड़े बदलाव के तहत दूरसंचार नियामक ने पिछले साल सुझाव दिया था कि नए दूरसंचार अधिनियम, 2023 के अनुरूप देश में दूरसंचार सेवाओं को कवर करने के लिए ऑथोराइजेशन की तीन नई श्रेणियां बनाई जाएं। उसने सरकार के साथ ‘अनुबंध वाले समझौते’ पर आधारित वर्तमान लाइसेंस व्यवस्था को बदलने को भी कहा है। वह ऐसी प्रणाली के पक्ष में है, जिसमें सरकार दूरसंचार कंपनियों को ऑथोराइजेशन देती हो।
रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया का प्रतिनिधित्व करने वाली सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने कहा कि इससे बड़ी ‘नियामकीय अनिश्चितता’ पैदा हो जाएगी और ‘पूर्वानुमान’ लगा पाना भी मुश्किल होगा। इस कारण दीर्घावधि निवेशकों और उनके निवेश को खतरा हो सकता है। लेकिन इस संबंध में चिंताएं अभी तक दूर नहीं की गई हैं।
इस बीच, सीओएआई ने इस पर जोर दिया है कि गैर कवरेज वाले ग्रामीण इलाकों में कवरेज बढ़ाने के लिए सैटेलाइट संचार का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उसने अन्य सभी क्षेत्रों में सेवा प्रदाताओं और सैटकॉम सेवा प्रदाताओं के बीच समान अवसरों की जरूरत बताई है।
उसने कहा है, ‘इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर दूरसंचार विभाग या ट्राई ने ध्यान नहीं दिया है जिससे निवेशकों की भावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।’
First Published - March 5, 2025 | 10:19 PM IST
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