हिंदी न्यूज़लाइफस्टाइलहेल्थनोएडा में तीन साल की बच्ची की कोरोना से मौत, क्या बच्चों के लिए जानलेवा है ये वाला वेरिएंट?
गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा में कोविड-19 के केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. 5 जून 2025 को जिले में 20 नए मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद यहां कुल एक्टिव केस 158 हो गए.
By : एबीपी लाइव | Edited By: Sonam | Updated at : 06 Jun 2025 11:41 AM (IST)
कोरोना से नोएडा में बच्ची की मौत
Source : ABP Live
उत्तर प्रदेश के नोएडा में कोरोनावायरस से साढ़े तीन साल की बच्ची की मौत होने की खबर है. बताया जा रहा है कि बच्ची को डिहाइड्रेशन की शिकायत थी, जिसके बाद उसे दिल्ली के चाचा नेहरू अस्पताल में एडमिट कराया गया था. जांच के दौरान बच्ची कोविड-19 पॉजिटिव पाई गई थी. ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या कोविड-19 का नया वेरिएंट बच्चों के लिए खतरनाक है? आइए इस बारे में जानते हैं विस्तार से...
नोएडा में कितने हैं कोरोना के केस?
गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा में कोविड-19 के केस काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. 5 जून 2025 को जिले में 20 नए मामले दर्ज किए गए, जिसके बाद यहां कुल एक्टिव केस 158 हो गए. बता दें कि देश के अन्य हिस्सों में भी कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. इसकी वजह ओमिक्रॉन के सब-वेरिएंट्स जैसे JN.1, LF.7, और NB.1.8.1 बताए जा रहे हैं. नोएडा की इस बच्ची की मृत्यु कोविड-19 से जुड़ी पहली मौत के रूप में दर्ज की गई है.
क्या है NB.1.8.1 वेरिएंट?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, NB.1.8.1 कोविड-19 का नया सब-वेरिएंट है, जो जो JN.1 वेरिएंट का वंशज है और इसका ताल्लुक ओमिक्रॉन वेरिएंट से भी है. यह वेरिएंट जनवरी 2025 के दौरान पहली बार तमिलनाडु में भारत के कोविड-19 जीनोम अनुक्रमण कंसोर्टियम ने खोजा था. WHO ने इसे वेरिएंट अंडर मॉनिटरिंग (VUM) के रूप में कैटेगराइज किया है. NB.1.8.1 में एक्स्ट्रा स्पाइक म्यूटेशन T22N, F59S, G184S, A435S, V445H, और T478I हैं, जो इसे ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा संक्रामक बनाते हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि NB.1.8.1 सब-वेरिएंट गंभीर बीमारी का कारण बनने के आसार कम हैं, लेकिन नोएडा में बच्ची की मौत ने इस धारणा को चुनौती दी है कि कोविड-19 बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है.
बच्चों पर कोविड-19 का प्रभाव
2020 के दौरान कोविड-19 महामारी की शुरुआत में यह माना जाता था कि बच्चे वायरस से कम प्रभावित होते हैं. यही वजह है कि उनमें ज्यादातर हल्के या बिना लक्षण वाले मामले देखे जाते हैं. हालांकि, डेल्टा और ओमिक्रॉन जैसे वेरिएंट्स आने के बाद बच्चे भी कोरोना से संक्रमित हुए. खासकर ऐसे बच्चे कोविड पॉजिटिव पाए गए, जिन्हें वैक्सीन नहीं लगाई जा सकती थी. 2022 तक ग्लोबल डेटा में देखा गया कि बच्चों में SARS-CoV-2 के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे केस उन इलाकों में ज्यादा नजर आए, जहां टीकाकरण की दर कम मिली.
नोएडा की जिस बच्ची की मौत हुई, उसकी उम्र साढ़े तीन साल थी और वह डिहाइड्रेशन के कारण अस्पताल में भर्ती हुई थी. जांच के दौरान वह कोविड-19 पॉजिटिव पाई गई. ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि कोरोना वायरस ने उसकी सेहत को ज्यादा गंभीर कर दिया.
क्या बच्चों के लिए जानलेवा है NB.1.8.1?
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. यवोन माल्डोनाडो के अनुसार, NB.1.8.1 अधिक संक्रामक है, लेकिन यह गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनता. हालांकि, कुछ मामलों में जैसे छोटे बच्चों या पहले से मौजूद गंभीर बीमार बच्चों के लिए यह दिक्कत बढ़ा सकता है. गौर करने वाली बात है कि अमेरिका में पिछले एक साल के दौरान कोविड-19 से 150 बच्चों की मौत हुई है, जो इन्फ्लूएंजा से होने वाली 231 बच्चों की मौतों के लगभग बराबर है. इससे पता चलता है कि कोविड-19 बच्चों के लिए पूरी तरह से हानिरहित नहीं है. अगर बच्चे की इम्युनिटी कमजोर है या उसे गंभीर बीमारियां हैं तो दिक्कत बढ़ सकती है.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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Published at : 06 Jun 2025 11:41 AM (IST)
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