हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडियाफर्जी बीमा क्लेम मामले में तीन दोषियों को 5 साल की सजा, 35.30 लाख रुपये का जुर्माना
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 62 लाख रुपये के फर्जी बीमा क्लेम मामले में 31 दिसंबर, 2004 को केस दर्ज किया था और 20 लोगों को आरोपी बनाया था, इसके बाद 2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी.
By : मनोज वर्मा | Edited By: विजय कुमार बिट्ठल | Updated at : 05 Jun 2025 10:16 PM (IST)
अहमदाबाद सीबीआई कोर्ट ने दोषियों को सुनाई पांच साल की सजा
CBI Court Verdict in Fake Insurance Claim Scam: अहमदाबाद की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोर्ट ने एक पुराने फर्जी बीमा क्लेम मामले में तीन आरोपियों को दोषी करार देते हुए 5-5 साल की सख्त सजा सुनाई है. कोर्ट ने इन तीनों पर कुल 35.30 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. जिन लोगों को दोषी करार दिया गया है उनमें किकू भाई एस. धोड़ी, जो यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की सिलवासा ब्रांच में असिस्टेंट थे, इसके अलावा वसंत भाई के. पटेल और अपूर्व पटेल, ये दोनों प्राइवेट पर्सन थे.
साल 2004 में 62 लाख रुपये के फर्जी बीमा क्लेम का किया था घोटाला
ये मामला साल 2004 का है. सीबीआई ने 31 दिसंबर, 2004 को इस केस को दर्ज किया था, इस मामले में कुल 20 लोगों को आरोपी बनाया गया था. जिनमें सरकारी अफसर और प्राइवेट पर्सन दोनों शामिल थे. आरोप था कि इन्होंने मिलकर करीब 62 लाख रुपये का फर्जी बीमा क्लेम घोटाला किया.
सर्वेयर और अधिकारी की मिलीभगत से पास हुए थे फर्जी इंश्योरेंस क्लेम
इन लोगों ने 10 अलग-अलग फर्जी फायर इंश्योरेंस क्लेम दायर किए थे. सभी क्लेम में यही कहा गया कि घास का स्टॉक आग लगने से जल गया. इन मामलों में अपूर्व पटेल जैसे सर्वेयर ने फर्जी रिपोर्ट तैयार की और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के अधिकारी किकूभाई धोड़ी ने उन रिपोर्टों को पास करवाया.
सीबीआई जांच में सच कैसे आया सामने?
सीबीआई जांच में ये साफ हो गया कि सभी 10 में से सिर्फ एक क्लेम फर्जी तरीके से पास किया गया था, जो वसंतभाई पटेल का था और उसमें 8,97,300 की राशि बीमा कंपनी से ले ली गई थी. इस क्लेम में अपूर्व पटेल ने झूठी सर्वे रिपोर्ट बनाई और वसंत पटेल ने चेक के जरिए पैसे निकाले.
लेकिन चौंकाने वाली बात ये थी कि चेक पर साइन तो वसंत पटेल के थे लेकिन हैंडराइटिंग किकूभाई धोड़ी की थी. इससे ये साबित हो गया कि किकूभाई ने अपने रिश्तेदार वसंतभाई को फायदा पहुंचाने के लिए इस घोटाले में सक्रिय भूमिका निभाई थी.
जांच पूरी कर सीबीआई ने 2007 में दाखिल की थी चार्जशीट
सीबीआई ने मामले की जांच पूरी करने के बाद 31 दिसंबर, 2007 को पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. कोर्ट ने सुनवाई के बाद तीन लोगों को दोषी पाया और उन्हें 5 साल की सजा और 35.30 लाख का जुर्माना लगाया.
Published at : 05 Jun 2025 10:15 PM (IST)
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