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ब्रश ज्यादा बेहतर है दातून? 12 ऐसे पेड़ जिनकी टहनियों से दांत साफ करने से मिलता है फायदा

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Datun VS Brush: दांतों की सफाई और स्वास्थ्य के लिए दातून करना बहुत फायदेमंद होता है, जो दांतों को मजबूत बनाने, मसूड़ों की समस्याओं को दूर करने और मुंह की बदबू को कम करने में मदद करते हैं.

By : आईएएनएस | Updated at : 18 Apr 2025 07:05 PM (IST)

Benefits of Datun: पुराने जमाने में लोग दांतों की सफाई के लिए नीम की डंडी का इस्तेमाल करते थे पर आज कल के लोग ब्रश का इस्तेमाल करने लगे है, लेकिन कहा जाता है कि प्राकृतिक ब्रश का इस्तेमाल करना कई गुना फायदेमंद है. नीम, बबूल या और टहनियों से बनी दातून न केवल दांतों को साफ और चमकदार बनाती है बल्कि दांतों को मजबूत भी करती है.

"दन्तविशोधनम् गन्धम् वैरस्यम् च निहन्ति, जिह्वादन्त, आस्यजम् मलम् निष्कृष्य सद्यः रुचिम् आधत्ते." महर्षि वाग्भट के अष्टांग हृदयम में यह श्लोक वर्णित है, जिसका अर्थ है "दांतों की सफाई से दुर्गंध दूर होती है, जीभ, दांत से गंदगी दूर होती है और स्वाद में सुधार आता है. दांतों की सफाई के साथ पूरे शरीर के लिए दातून को फायदेमंद माना जाता है. इसके लिए समय भी निर्धारित है.

कितने तरह की दातून होती है?

अष्टांग हृदयम में महर्षि वाग्भट ने दातून के बारे में विस्तार से बताया है. दातून कैसा होना चाहिए? किस महीने में किसका इस्तेमाल करें, इसे लेकर भी बहुत कुछ लिखा गया है. महर्षि वाग्भट बताते हैं कि दातून वही बेहतर है जो स्वाद में कसैला या कड़वा हो और नीम से ज्यादा कड़वा क्या हो सकता है? मगर उन्होंने नीम से भी अच्छे मदार के दातून के बारे में बताया है. अष्टांग हृदयम में नीम, मदार के अलावा बबूल, अर्जुन, आम, अमरुद, जामुन, महुआ, करंज, बरगद, अपामार्ग, बेर, शीशम के साथ ही बांस का भी वर्णन मिलता है.

12 ऐसे पेड़ जिनसे दातून करना फायदेमंद

महर्षि ने नीम, मदार समेत 12 ऐसे पेड़ का नाम बताया है, जिनके दातून आप कर सकते हैं. इनके इस्तेमाल के लिए माह भी निर्धारित हैं. महर्षि ने चैत्र माह से लेकर गर्मी भर नीम, मदार या बबूल का दातून करने के लिए बताया है. सर्दियों में अमरुद या जामुन, तो वहीं, बरसात के मौसम में उन्होंने आम या अर्जुन का दातून करने की सलाह अपने ग्रंथ में दी है. महर्षि के ग्रंथ में वर्णित है कि नीम के दातून को निरंतर नहीं किया जा सकता है. इसके लिए बीच में विराम देना आवश्यक है. तीन महीने लगातार करने के बाद मंजन या दूसरे दातून का इस्तेमाल करना चाहिए. वृक्ष विशेष के रस न सिर्फ हमारे दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि शरीर के कई रोगों में भी राहत मिलती है.

नीम के दातून में एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं, जो दांतों पर जमी प्लाक और बैक्टीरिया को खत्म करते हैं. नीम के दातून से मसूड़ों में सूजन और खून आने की समस्या को खत्म किया जा सकता है. मुंह से आने वाली दुर्गंध भी दूर होती है. नीम की छाल में निम्बीन या मार्गोसीन नामक तिक्त तत्व और निम्बोस्टेरोल पाया जाता है. इसकी टहनी से निकले रस से मसूड़ों की सूजन, पायरिया, दांतों में कीड़ा लगना, आदि कष्ट दूर होते हैं.

शरीर के लिए फायदेमंद है दातून

अष्टांग हृदयम में वर्णित है कि यदि गर्भवती महिलाएं नीम की ताजी टहनियों की दातून सुबह-शाम नियमित रूप से करती हैं, तो उसका गर्भस्थ शिशु निरोगी जन्म लेता है और उसे किसी भी प्रकार के रोग निरोधी टीकों को लगाने की आवश्यकता ही नहीं होती. आयुर्वेद में बबूल की दातून कफनाशक, पित्तनाशक, रक्त संबंधित अनेक समस्याओं को दूर करने वाला माना जाता है. बबूल के अंदर एक गोंद होता है, जिसमें पाए जाने वाले तत्व अतिसार, फेफड़े से संबंधित समस्याओं के साथ ही दांतों के असमय न गिरने देने, मसूड़ों से खून न निकलने, मुंह के छालों का रोकने का भी गुण होता है.

ब्रह्मलीन पं. तृप्तिनारायण झा शास्त्री के अनुसार लगातार बबूल के दातून को करते रहने से बांझपन एवं गर्भपात होने का भय नहीं रहता है. अर्जुन की टहनी क्रिस्टलाइन लेक्टोन युक्त होती है. यह रक्त, हृदय रोगों में राहत देने के साथ शारीरिक सुंदरता को बढ़ाने वाला होता है. इसकी ताजी टहनी से दातून करने से हाई ब्लड प्रेशर, मधुमेह, टीबी समेत अनेक बीमारियां नष्ट हो जाती हैं.

गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं के लिए रामबाण

मधूक या महुआ में माउरिनग्लाइाोसाइडल सैपोनिन तत्व पाया जाता है. जो वात पित्त शामक, त्वचा, मूत्र मार्ग से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के साथ ही दांतों की कमजोरी, दांतों से खून आना, मुंह और गला सूखने की परेशानियों से बचाता है. बरगद की दातून में टैनिक नामक तत्व पाया जाता है, जो आंखों की रोशनी बढ़ाने वाला, गर्भावस्था में होने वाली समस्याओं के लिए रामबाण माना जाता है. ब्रह्मलीन पं. तृपिनारायण झा शास्त्री के अनुसार बरगद की टहनियों को लगातार दातून करने से मुख और शरीर से संबंधित सभी समस्याएं खत्म हो जाती हैं.

कई बीमारियों के लिए लाभदायक

अपामार्ग की टहनी में क्षारीय गुण होता है. यह पथरी, श्वास रोग, त्वचा संबंधित रोगों का नाश करता है.करंज की दातून बवासीर के साथ ही पाचन से जुड़ी समस्याओं में भी राहत देती है. इसके नियमित सेवन से पेच की जलन, पेट में कीड़े लगने की समस्या में आराम मिलता है. वहीं, बेर के दातून से मुंह की समस्याएं तो दूर होती ही हैं, साथ ही ये गले की खराश, अधिक मासिक स्राव संबंधी शारीरिक परेशानियों को भी दूर करता है. इससे दांत के कीड़े, रक्त विकार, खांसी, मुंह से बदबू संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं.

लाख टके का सवाल कि आकार दातून होना कैसा चाहिए? आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि दातून लगभग 6-8 इंच लंबी होनी चाहिए और खूब महीन कूची बनाकर ही करनी चाहिए. यह सुबह शाम करना और भी फायदेमंद माना जाता है. दातून करने के दौरान हमेशा उकड़ू (पांव के बल) बैठना चाहिए, जिससे दातून का लाभ सभी अंग प्राप्त कर सकते हैं.

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Published at : 18 Apr 2025 07:04 PM (IST)

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रुमान हाशमी, वरिष्ठ पत्रकार

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