हिंदी न्यूज़न्यूज़इंडिया'भाषा एक पुल होनी चाहिए, युद्ध की वजह नहीं', हिंदी विवाद को लेकर स्टालिन पर भड़के जयंत चौधरी
Tamil Nadu CM M.K. Stalin Remark: NEP का बहस केवल हिंदी बनाम तमिल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे भारत में भाषाई पहचान, सांस्कृतिक विविधता और शिक्षा नीति के भविष्य से जुड़ा बड़ा मुद्दा बनती जा रही है.
By : एबीपी लाइव डेस्क | Edited By: गौतम सिंह | Updated at : 27 Feb 2025 10:18 PM (IST)
एम. के. स्टालिन की टिप्पणी पर जयंत सिंह ने तीखा पलटवार किया
Tamil Nadu CM M.K. Stalin Remark: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने गुरुवार (27 फरवरी,2025 ) को केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर भारत की 20 से अधिक क्षेत्रीय भाषाएं हिंदी के कारण खत्म हो गई हैं. इस बयान के बाद राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री चौधरी जयंत सिंह ने उन पर तीखा पलटवार किया है.
चौधरी जयंत सिंह ने एक्स (Twitter) पर स्टालिन से सीधा सवाल किया, "तमिलनाडु के माननीय मुख्यमंत्री श्री स्टालिन, आप कितनी भाषाएं बोल/समझ सकते हैं? निस्संदेह बहुभाषावाद ने आपकी जीवन यात्रा में आपकी मदद की है, फिर तमिलनाडु के युवाओं को उसी अवसर से क्यों वंचित किया जाए?" उन्होंने आगे राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के सेक्शन 4.13 का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि बहुभाषावाद और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने के लिए त्रिभाषा फॉर्मूला लागू किया जाएगा.
"भाषा एक पुल होनी चाहिए, युद्ध का कारण नहीं!"
स्टालिन को दोबारा टैग कर पूछा सवाल
जयंत सिंह ने एक और पोस्ट में स्टालिन को टैग करते हुए लिखा, "मुख्यमंत्री स्टालिन ने अब तक जवाब नहीं दिया, लेकिन मुझे पता है कि वे 3-4 भाषाएं बोल सकते हैं. दक्षिण भारत के कई महान नेता - डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, श्री एचडी देवेगौड़ा, डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, श्री पीवी नरसिम्हा राव और श्री केआर नारायणन - कई भाषाएँ समझते और बोलते थे. फिर तमिलनाडु की नई पीढ़ी को इस लाभ से वंचित क्यों किया जाए?"
डीएमके का आरोप: हिंदी से क्षेत्रीय भाषाएं खत्म हो रही हैं
डीएमके सरकार का कहना है कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के जरिए हिंदी थोपने की कोशिश कर रही है, जिसे तमिलनाडु स्वीकार नहीं करेगा. सीएम स्टालिन का दावा है कि हिंदी के दबदबे के कारण बिहार, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में मैथिली, ब्रजभाषा, बुंदेलखंडी और अवधी जैसी भाषाएं कमजोर हो गई हैं. हालांकि, केंद्र सरकार ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा कि NEP किसी भी भाषा को थोपने की जगह बहुभाषावाद को बढ़ावा देती है.
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Published at : 27 Feb 2025 10:18 PM (IST)
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प्रदीप भंडारीबीजेपी नेता
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