एनएसईएल मामले में फंसे कमोडिटी ब्रोकर्स के लिए अच्छी खबर है। सेबी उनके लिए जल्द एक सेटलमेंट स्कीम पेश कर सकता है। इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने यह जानकारी दी। सूत्र ने बताया कि सेटलमेंट स्कीम अगले महीने सेबी के बोर्ड की मीटिंग में पेश की जा सकती है। बोर्ड विचार के बाद इस स्कीम को मंजूरी दे सकता है। यह स्कीम पिछले साल आने वाली थी। लेकिन, कुछ टेक्निकल मसलों और दूसरी वजहों से नहीं आ सकी।
सेटलमेंट स्कीम का ड्राफ्ट तैयार
बताया जाता है कि इस स्कीम से जुड़े कुछ मसलों का समाधान हो गया है। स्कीम का ड्राफ्ट तैयार है। बोर्ड की मंजूरी मिलते ही इसे पेश कर दिया जाएगा। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक दूसरे सूत्र ने कहा, "ऐसे ब्रोकर्स जिनके खिलाफ किसी एजेंसी ने चार्जशीट फाइल की है, वे इस स्कीम का फायदा नहीं उठा सकेंगे। लेकिन, ऐसे ब्रोकर्स जिनके खिलाफ सेबी की प्रोसिडिंग्स चल रही है, वे सेटलमेंट के लिए अप्लाई कर सकेंगे।"
ब्रोकर्स मामले से बाहर निकलना चाहते हैं
सूत्र ने यह भी बताया कि यह सेटलमेंट स्कीम किसी दूसरे एजेंसी की तरफ से होने वाले एक्शन की स्थिति में किसी तरह का बचाव नहीं कर सकेगी। अगर किसी एजेंसी ने चार्जशीट फाइल की है तो अप्लिकेंट्स को सेबी के नियमों के मुताबिक 'फिट एंड प्रॉपर' नहीं माना जा सकता। एक तीसरे सूत्र ने कहा कि एनएसईएस मामले में फंसे कमोडिटी ब्रोकर्स अब मामले से बाहर निकलना चाहते हैं। इसलिए सेबी अगर ऐसी स्कीम पेश करता है तो यह ऐसे ब्रोकर्स के लिए बहुत अच्छा है।
कई ब्रोकरेज फर्मों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई
सिक्योरिटीज एपेलेट ट्राइब्यूनल (SAT), IRDAI और PFRDA ने पहली बार दिसंबर 2023 में इस तरह की सेटलमेंट स्कीम पेश करने का सुझाव सेबी को दिया था। सैट का भी मानना रहा है कि सेबी की तरफ से 300 से अधिक केस किए गए थे, जो अलग-अलग फॉरम पर अटके हुए हैं। इन मामलों पर न सिर्फ सेबी के संसाधनों का बेकार इस्तेमाल हो रहा है बल्कि सैट को भी अपने संसाधन खर्च करने पड़ रहे हैं। सेबी की कार्रवाई का सामना करने वाली बड़ी ब्रोकरेज फर्मों में Motilal Oswal Commodities, India Infoline Commodities, Anand Rathi Commodities, Geofin Comtrade, Way2Wealth Commodities, JM Financial Comtrade, Emkay Commotrade, Philip Commodities शामिल हैं। लेकिन, यूनिवर्सल ब्रोकिंग लाइसेंस होने की वजह से उनके बिजनेस पर असर नहीं पड़ा है।
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2013 में हुआ था NSEL स्कैम
SAT ने दिसंबर 2023 में अपने आदेश में कहा था, "ऐसी कोई स्कीम ऐसे लोगों के लिए वन टाइम स्कीम हो सकती है। सेटलमेंट की शर्तें अट्रै्क्टिव होनी चाहिए ताकि इसमें नोटिसेज/एनटिटीज/एपेलेंट्स दिलचस्पी दिखा सकें।" 2013 में NSEL स्कैम के बाद सेबी ने सेबी एक्ट का उल्लंघन करने वाली ब्रोकरेज फर्मों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। ब्रोकर्स के खिलाफ आरोप यह था कि उन्होंने NSEL के साथ मिलीभगत की थी और इवेस्टर्स को पेयर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स में निवेश करने का लालच दिया था। जबकि उन्हें यह पता था कि ऐसे कॉन्ट्रैक्ट्स स्पॉट कॉन्ट्रैक्ट्स नहीं थे और उन्हें इजाजत नहीं थी।
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